नई दिल्ली: भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की तैयारी में बड़ी कामयाबी मिली है। ISRO ने रविवार को पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-1) सफलतापूर्वक पूरा किया।
यह टेस्ट गगनयान मिशन के लिए तैयार किए गए पैराशूट सिस्टम की असली परिस्थितियों में जांच करने के लिए किया गया।
इसका मकसद गगनयान मिशन से पहले पैराशूट खुलने के प्रोसेस को चैक करना था। ये प्रोसेस मिशन के समय अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी तय करेगी।
टेस्ट के दौरान लगभग 5 टन वजनी डमी क्रू कैप्सूल को वायुसेना के चिनूक हेलिकॉप्टर से 4 किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया।
पैराशूट ने नीचे आते समय तय प्रोसेस में खुलकर कैप्सूल की रफ्तार धीमी की और उसे सुरक्षित लैंडिंग के लिए तैयार किया।
इस अहम टेस्ट में इसरो, भारतीय वायुसेना, डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्ट गार्ड ने मिलकर काम किया।
एयर ड्रॉप टेस्ट की 3 तस्वीरें…

गिराए जाने के पहले क्रू मॉड्यूल को देखते इसरो के वैज्ञानिक।

चिनूक हेलिकॉप्टर से क्रू मॉड्यूल गिराया गया।

पैराशूट के जरिए समुद्र की तरफ जाता क्रू मॉड्यूल।
गगनयान मिशन से भारत को क्या हासिल होगा
- स्पेस एक बढ़ती हुई इकोनॉमी है, जो 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 154 लाख करोड़ रुपए की हो जाएगी। इसलिए भारत का इसमें बना रहना जरूरी है।
- रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत स्पेस में इंसान भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा।
- स्पेस के जरिए सोलर सिस्टम के अन्य पहलुओं की रिसर्च का रास्ता खुलेगा।
- भारत को खुद का स्पेस स्टेशन बनाने के प्रोजेक्ट में मदद मिलेगी।
- रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में नए रोजगार बनेंगे।
- निवेश बढ़ेगा, जिससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।
- स्पेस इंडस्ट्री में काम कर रहे दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने का मौका मिलेगा।
दिल्ली में सम्मानित हुए गगनयान के एस्ट्रोनॉट्स
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को इंडियन एयरफोर्स स्पेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। उन्होंने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके अन्य सहयोगियों, ग्रुप कैप्टन पी वी नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को सम्मानित किया। इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह भी मौजूद रहे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को दिल्ली में गगनयात्रियों, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन पी वी नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को सम्मानित किया।
राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे बताया गया कि आप (शुभांशु शुक्ला) भी बजरंग बली के भक्त हैं। आपने वहां (अंतरिक्ष में) कई बार हनुमान चालीसा पढ़ी होगी। हनुमान जी का एक भक्त आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटा है। यह सिर्फ विज्ञान की जीत नहीं है। यह विश्वास और साहस की गूंज है।’
वहीं, एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने कहा, ‘मेरे पास क्लिप है, जिसमें मैंने स्पेस से भारत को कैप्चर करने की कोशिश की थी। स्पेस से भारत वाकई बहुत खूबसूरत दिखता है। खासकर रात के समय हिंद महासागर के ऊपर साउथ से नॉर्थ की तरफ आते समय, जब भारत के ऊपर से गुजरते हैं तो वह जीवन में देखे जाने वाले सबसे खूबसूरत नजारों में से एक होता है।’
शुभांशु ने स्पेस का एक वीडियो दिखाते हुए बताया कि वे उस समय भारत के ऊपर से गुजर रहे थे। वीडियो में ऊपर की तरफ पृथ्वी है। नीचे तारे दिख रहे हैं। शुभांशु ने बताया कि वीडियो के अंत में ऑर्बिट से सूर्योदय भी दिख रहा है।

शुभांशु ने स्पेस से लिया गया वीडियो भी दिखाया और बताया कि उस वक्त वे भारत के ऊपर थे।
शुभांशु का अगला मिशन गगनयान होगा
शुभांशु का अगला मिशन गगनयान होगा। यह ISRO का ह्यूमन स्पेस मिशन है। इसके तहत 2027 में स्पेसक्राफ्ट से वायुसेना के तीन पायलट्स को स्पेस में भेजा जाएगा। ये पायलट 400 किमी के ऑर्बिट पर 3 दिन रहेंगे, जिसके बाद हिंद महासागर में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग कराई जाएगी। मिशन की लागत करीब 20,193 करोड़ रुपए है।
गगनयान मिशन के लिए अभी वायुसेना के चार पायलट्स को चुना गया है, जिनमें से एक ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हैं। शुभांशु इसीलिए एक्सियम मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए थे।
गगनयान के जरिए पायलट्स को स्पेस में भेजने से पहले इसरो दो खाली टेस्ट फ्लाइट भेजेगा। तीसरी फ्लाइट में रोबोट को भेजा जाएगा। इसकी सफलता के बाद चौथी फ्लाइट में इंसान स्पेस पर जा सकेंगे। पहली टेस्ट फ्लाइट इस साल के अंत तक भेजी जा सकती है।
शुभांशु शुक्ला 18 दिनों तक ISS में रहकर लौटे
शुभांशु शुक्ला Axiom‑4 मिशन के तहत 18 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद 15 जुलाई 2025 को धरती पर सुरक्षित लौटे थे। इसके बाद, 17 अगस्त को भारत पहुंचे थे। 18 अगस्त को PM मोदी ने उनसे मुलाकात की थी। यह मुलाकात करीब 20 मिनट चली थी।

शुभांशु ने PM मोदी को Axiom-4 मिशन का मिशन पैच और तिरंगा भेंट किया, जिसे वे अपने साथ अंतरिक्ष स्टेशन ले गए थे।
ISRO ने ‘गगनयान मिशन’ की क्या-क्या तैयारी कर ली है और क्या बाकी है गगनयान मिशन का रॉकेट तैयार है और एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग जारी है…
1. लॉन्च व्हीकल तैयार: इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने लायक लॉन्च व्हीकल HLVM3 रॉकेट तैयार कर लिया गया है। इसकी सिक्योरिटी टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। इस रॉकेट को पहले GSLV Mk III के नाम से जाना जाता था, जिसे अपग्रेड किया गया है।
2. एस्ट्रोनॉट्स सिलेक्शन और ट्रेनिंग: गगनयान मिशन के तहत 3 एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में ले जाया जाएगा। इसके लिए एयरफोर्स के 4 पायलटों को चुना गया। भारत और रूस में इनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। इन्हें सिम्युलेटर के जरिए ट्रेनिंग दी गई है। स्पेस और मेडिकल से जुड़ी अन्य ट्रेनिंग दी जा रही हैं।
3. क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल: एस्ट्रोनॉट्स के बैठने वाली जगह क्रू मॉड्यूल और पावर, प्रप्लशन, लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली जगह सर्विस मॉड्यूल् अपने फाइनल स्टेज में है। इसकी टेस्टिंग और इंटीग्रेशन बाकी है।
4. क्रू एस्केप सिस्टम (CES): लॉन्चिंग के दौरान किसी अनहोनी की स्थिति में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से तुरंत अलग करने के लिए क्रू एस्केप सिस्टम तैयार किया जा चुका है। पांच तरह के क्रू एस्केप सिस्टम सॉलिड मोटर्स बनाए गए हैं, जिनका सफल परीक्षण भी हो चुका है।
5. रिकवरी टेस्टिंग: ISRO और नेवी ने अरब सागर में स्पलैशडाउन के बाद क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी के लिए टेस्टिंग की है। बैकअप रिकवरी के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ भी समझौता हुआ है।
6. मानव-रहित मिशन के लिए रोबोट: जनवरी 2020 में ISRO ने बताया कि गगनयान के मानव रहित मिशन के लिए एक ह्यूमोनोइड बनाया जा चुका है, जिसका नाम व्योममित्र है। व्योममित्र को माइक्रोग्रैविटी में एक्सपेरिमेंट्स करने और मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए तैयार किया गया है।
41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को एक्सियम मिशन-4 के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन में 18 दिन रहने के बाद 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटे थे।

(Bureau Chief, Korba)