वॉशिंगटन डीसी: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भारत से संबंधों को लेकर ट्रम्प प्रशासन को चेतावनी दी है। न्यूजवीक मैगजीन में लिखे अपने आर्टिकल में निक्की कहा कि अगर भारत के साथ 25 साल में बना भरोसा टूटता है, तो यह एक रणनीतिक गलती होगी।
निक्की ने यह आर्टिकल ट्रम्प के भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ और उसके दोनों देशों के संबंध पर असर के बारे में लिखा है। उन्होंने ट्रम्प प्रशासन को सलाह दी है कि वह भारत को एक और लोकतांत्रिक साझेदार माने।
‘भारत-अमेरिका के रास्ते अलग लेकिन मंजिल एक’
निक्की ने आर्टिकल की शुरुआत रीगन और इंदिरा गांधी के बीच 43 साल पहले हुए एक मुलाकात से की है। उन्होंने लिखा- जुलाई 1982 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने व्हाइट हाउस में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए डिनर रखा था।
उस समय उन्होंने कहा था कि भारत और अमेरिका दो आजाद देश हैं। कभी-कभी हमारे रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही है। लेकिन चार दशक बाद आज अमेरिका-भारत संबंध मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।
निक्की बोलीं- भारत पर टैरिफ लगाया, चीन पर नहीं
निक्की ने अपने आर्टिकल में आगे लिखा कि चीन पर रूस से तेल खरीदने के बावजूद कोई प्रतिबंध नहीं है, जबकि भारत पर अमेरिकी टैरिफ लगाए जा रहे हैं। हेली के मुताबिक यह दिखाता है कि अमेरिका- भारत रिश्तों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
हेली ने कहा कि भारत ही वह देश है जो एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को बैलेंस कर सकता है। पूर्व राजदूत ने यह भी कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही जापान को पीछे छोड़ देगा। भारत का यह उभार चीन की महत्वाकांक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक विवाद को अगर लंबे समय के लिए बढ़ाया गया, तो चीन इसका फायदा उठा लेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सीधे पीएम मोदी से बात करें और रिश्तों को फिर से पटरी पर लाएं।
निक्की बोलीं- ट्रम्प प्रशासन के दो मकसद, पूरा करने के लिए भारत की जरूरत
- ट्रम्प प्रशासन की विदेश नीति के दो बड़े मकसद हैं। पहला चीन को पीछे छोड़ना और ताकत के जरिए दुनिया में शांति कायम करना। इन दोनों मकसद को पाने के लिए भारत के साथ रिश्ते सुधारना बेहद जरूरी है।
- भारत को चीन जैसा विरोधी मानकर सजा देना सही नहीं है। भारत एक लोकतांत्रिक और अहम साझेदार है। अगर अमेरिका भारत के साथ ऐसे ही टकराव जारी रखता है, तो यह रिश्तों के लिए खतरनाक होगा।
- एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को रोकने में भारत ही सबसे मजबूत देश है। अगर अमेरिका ने इस साझेदारी को कमजोर कर दिया तो यह एक बड़ी रणनीतिक भूल होगी।
- अभी के समय में भारत की अहमियत और भी बढ़ जाती है। अमेरिका अपनी सप्लाई चेन को चीन से हटाना चाहता है।
- कुछ चीजों का उत्पादन अमेरिका में तेजी से नहीं हो सकता, जैसे कपड़े, सस्ते मोबाइल और सोलर पैनल। इन मामलों में भारत चीन का सबसे बड़ा विकल्प है।
‘भारत एक लोकतांत्रिक देश, दुनिया के लिए खतरा नहीं’
हेली ने कहा कि लंबी समय के लिए भारत का महत्व और गहरा है। भारत ने 2023 में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनना शुरू कर दिया है। जहां चीन की ज्यादातर आबादी बूढ़ी हो रहा है, वहीं भारत में ज्यादातर काम करने वाले लोग अभी जवान हैं।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही जापान को पछाड़कर चौथे नंबर पर आ जाएगा। भारत का उभार चीन के बाद की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक घटना है और यही चीन की महत्वाकांक्षाओं को सबसे बड़ी चुनौती देगा। फर्क ये है कि भारत लोकतंत्र है, इसलिए उसका उभार दुनिया के लिए खतरा नहीं, बल्कि अवसर है।
अमेरिका को भारत को वैसा ही महत्व और संसाधन देने चाहिए जैसा वह चीन या इजराइल को देता है। भारत और अमेरिका की दोस्ती और दशकों पुराना भरोसा मौजूदा मुश्किलों को पार करने का मजबूत आधार है।
व्यापार और रूसी तेल जैसे मुद्दों पर कठिन बातचीत करनी होगी, लेकिन यही कठिन बातचीत साझेदारी को और गहरा बना सकती है। सबसे अहम यह है कि दोनों देश साझा लक्ष्य समझें। चीन का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत जैसे दोस्त की जरूरत है।

(Bureau Chief, Korba)