Friday, May 17, 2024
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BCC News 24: BIG न्यूज़- अब भिखारी भी हुए डिजिटल.. बेगर बोला- लोग छुट्‌टे का बहाना बनाते थे; दुकानों पर QR कोड देखा तो आया आइडिया, अब गले में कार्ड लटकाकर घूमता हूँ

मध्यप्रदेश: छिंदवाड़ा का एक भिखारी इन दिनों चर्चा में है। इसकी खासियत यह है कि वो भीख भी डिजिटली लेता है। उसका वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वह गले में फोन-पे का QR कोड लटकाकर चलता नजर आ रहा है। लोग जब छुट्‌टे नहीं होने का बहाना बनाते हैं तो वह कहता है कि ऑनलाइन पेमेंट कर दें। डिजिटल होने के बाद उसकी कमाई भी बढ़ गई है। क्योंकि पहले लोग जहां उसे सिर्फ एक-दो रुपए देते थे, अब वे कम से कम 5 रुपए ट्रांसफर करते हैं। डिजिटली भीख लेने वाले इस शख्स का नाम हेमंत सूर्यवंशी है, जो कभी नगर पालिका का कर्मचारी था। नौकरी जाने के बाद वह छिंदवाड़ा शहर की गलियों में घूमकर भीख मांगने लगा।

हेमंत का भीख मांगने का अंदाज भी निराला है। वह कहता है कि बाबूजी चिल्लर नहीं है तो फोन-पे या गूगल-पे से भीख दे दो। हेमंत का कहना है कि लोग डिजिटल तकनीक के चलते भीख भी आसानी से दे देते हैं। उसे अक्सर 5 से ज्यादा ही रुपए मिलते हैं। पहले लोग एक-दो रुपए के सिक्के ही देते थे।

हेमंत के अनुसार पहले वह नगर पालिका में काम करता था। फिर नौकरी जाने के बाद गम में इधर-उधर भटकने लगा। बाद में भीख मांगकर ही गुजर बसर करने लगा। हाथ में मोबाइल फोन और बारकोड लेकर हेमंत भले ही भीख मांग रहा हो, लेकिन अब वह भी भारत सरकार की डिजिटल कैशलेश इंडिया मुहिम का हिस्सा बन चुका है। जिसे छिंदवाड़ा की सड़कों पर लोगों से हंसी मजाक, मस्ती, डांस करते और गाते बजाते देखा जा सकता है। इसी के चलते उसके वीडियो सोशल मीडिया में भी वायरल हो रहे हैं।

ऐसे आया डिजिटल भीख का आइडिया

हेमंत अक्सर पैसे मांगने के लिए लोगों की दुकानों और ऑफिसों में जाता था, जहां उसकी नजर जगह-जगह लगे QR कोड पर पड़ी। इसके बाद उसने एक दुकानदार से पूरा मामला समझा और उसका क्यूआर कोड ले लिया। भीख का पैसा उसी दुकानदार के खाते में जमा होता है।

शाम को नकद रुपए दे देता है दुकानदार

हेमंत का कहना है कि भीख मांगने पर अक्सर लोग चिल्लर नहीं होने का बहाना बनाते थे, लेकिन अब उनका चिल्लर का बहाना नहीं चल रहा। दिन भर में कितना पैसा मिलता है इसका अंदाजा नहीं है। लोगों से 5,10, 20 रुपए मिलते है। जो पैसा मिल रहा है, उससे परिवार का पेट पाल रहा हूं। लोग जो पैसा देते हैं वो चौपाटी स्वीट कॉर्नर के खाते में जमा हो जाता है। शाम को दुकानदार इसके बदले में उसे नगद दे देता है।

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