रायपुर: छत्तीसगढ़ में अफसरों-कर्मचारियों ने सरकारी खजाने से 82 लाख 53 हजार 999 रुपए का गबन कर लिया है। कहीं-कहीं तो भ्रष्टाचार का खुलासा हुए 10 साल हो गए, लेकिन उनसे वसूली नहीं हो पाई है। महालेखाकार-CAG की ऑडिट आपत्तियों के बाद अब नगरीय प्रशासन विभाग ने 16 शहरों के निगम, पालिका और पंचायतों को नोटिस जारी किया है।
संचालक की ओर से जारी नोटिस में 67 अफसरों कर्मचारियों पर गबन का आरोप है। गबन की सबसे अधिक राशि श्याम रतन जायसवाल के नाम है। ये 2008-9 से 2010-11 तक जरही के मुख्य नगर पालिका अधिकारी थे। इन्होंने दो मदों में 23 लाख 24 हजार 249 और एक लाख 50 हजार 100 रुपए दबा लिए। जगदलपुर नगर िनगम में 2014-15 के दौरान आयुक्त रहे रमेश जायसवाल, राजस्व अधिकारी विनय श्रीवास्तव, सहायक राजस्व निरीक्षक चंदन प्रजापति और कैशियर अनिल पिल्लै ने दो बार में 16 लाख 10 हजार 262 और एक लाख 22 हजार 742 रुपए का हेरफेर कर दिया। अंबिकापुर नगर निगम में 2010-11 के दौरान आयुक्त रहे राकेश जायसवाल, रमेश सिंह और लेखापाल अच्छेलाल साहू के नाम से एक लाख 44 हजार 47 रुपए का गबन दर्ज है। संचालक ने खैरागढ़, छुरिया, जशपुर, खरसिया, मल्हार, मुंगेली, बैकुंठपुर, कोण्डागांव, भानुप्रतापपुर, चारामा, नारायणपुर, सुकमा और दंतेवाड़ा नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को ऑडिट आपत्तियों के साथ कार्रवाई का निर्देश भेजा है। इसमें एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई कर रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया है। अफसरों का कहना है कि गबन करने वालों पर नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
गबन करने वालों में आयुक्त से लेकर दिहाड़ी कामगार तक
प्रदेश के जिन 16 नगरीय निकायों को यह नोटिस जारी हुआ है, उनमें गबन करने वालों का ट्रेक रिकॉर्ड भी गजब है। सरकारी पैसे का गबन करने वालों में आयुक्त और मुख्य नगर पालिका अधिकारियों से लेकर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी तक शामिल हैं। सबसे अधिक संख्या राजस्व निरीक्षकों की है। चारामा में तो चार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों, सहायक राजस्व निरीक्षक और कैशियर की मिलीभगत से 9 लाख रुपए से अधिक राशि का घपला हुआ है।
गबन के ये मामले 2008-9 से 2018-19 तक के
संचालक की ओर से भेजे गए पत्र में जो मामले हैं वह 2008-9 से लेकर 2018-19 तक के हैं। खरसिया में 2010-11 से 2011-12 के बीच मुख्य नगर पालिका अधिकारी डीआर सिदार ने 1 लाख 15 हजार 540 रुपए का गबन किया। बाद में सिदार तहसीलदार बन गए। खैरागढ़ का गबन 2008-9 से 2010-11 के बीच हुआ। दंतेवाड़ा में गबन का मामला 2018-19 का है।