Tuesday, December 30, 2025

              स्पेस-X को पीछे छोड़कर ओपन AI बनी दुनिया की सबसे बड़ी स्टार्टअप कंपनी, वैल्यूएशन 500 बिलियन डॉलर पहुंची; स्पेस-X अभी 400 बिलियन डॉलर की कंपनी

              वॉशिंगटन: चैटGPT बनाने वाली कंपनी ओपन AI इलॉन मस्क की स्पेस-X को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी स्टार्टअप बन गई है। क्योंकि एक डील में कंपनी की वैल्यूएशन 500 बिलियन डॉलर (44.3 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा आंकी गई, जो स्पेस-x से ज्यादा है। स्पेसएक्स की वैल्यू 400 बिलियन डॉलर है।

              ओपनAI के मौजूदा और पुराने कर्मचारियों ने थ्राइव कैपिटल, सॉफ्टबैंक ग्रुप, ड्रैगनीर इनवेस्टमेंट ग्रुप, अबू धाबी की MGX और T. रो प्राइस जैसे निवेशकों को करीब 6.6 बिलियन डॉलर के शेयर्स इसी वैल्यूएशन पर बेचे।

              इस साल की शुरुआत में सॉफ्टबैंक की अगुआई में कंपनी ने एक फंड रेज किया था, जिसमें ओपनAI की वैल्यू 300 बिलियन डॉलर थी। एआई टेक्नोलॉजी में निवेश की होड़ और डेटा सेंटर व एआई सर्विसेज की मांग इस तेजी का कारण है।

              ओपनAI की वैल्यू बढ़ने के तीन कारण:

              • रेवेन्यू में तेज ग्रोथ: 2025 की शुरुआत में कंपनी का एनुअल रेवेन्यू दोगुना होकर 12 बिलियन डॉलर रहा। कंपनी ने इस साल के आखिर तक 20 बिलियन डॉलर का टारगेट रखा है। कंपनी की मजबूत फाइनेंशियल निवेशकों को अट्रैक्ट करता है।
              • बड़ा यूजर बेस: चैटGPT के 2 बिलियन एक्टिव यूजर्स हैं, जो 5 डॉलर मंथली मॉनेटाइजेशन फीस देते हैं। ऐसे में कंपनी को 120 बिलियन डॉलर रेवेन्यू की उम्मीद है, जो गूगल और फेसबुक के करीब है।
              • AI मार्केट में आगे: GPT-5 जैसे नए मॉडल्स और अमेरिकी सरकार के साथ साझेदारी ने ओपनAI को AI सेक्टर का लीडर बना दिया है। कंपनी अभी एंथ्रॉपिक और xAI जैसे कॉम्पिटिटर्स से काफी आगे है।

              नॉन-प्रॉफिट से फॉर-प्रॉफिट कंपनी बनने की तैयारी

              ओपन AI माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर नॉन-प्रॉफिट से फॉर-प्रॉफिट कंपनी बनने की योजना बना रही है, जिसमें नई पब्लिक बेनीफिट कॉरपोरेशन बनेगी। हालांकि, ओपन AI को गूगल, एन्थ्रोपिक जैसे कॉम्पिटिटर्स और एआई टैलेंट के लिए मेटा जैसी कंपनियों से कड़ी टक्कर मिल रही है।

              आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस हासिल करना अगला कदम

              7 अगस्त को चैटGPT 5 के लॉन्च पर सैम ऑल्टमैन ने कहा था कि OpenAI का लंबे समय का लक्ष्य आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) हासिल करना है, यानी ऐसा AI जो इंसानों की तरह हर तरह के काम कर सके।

              लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ये भी माना कि अगर AGI को सही ढंग से मैनेज नहीं किया गया, तो ये खतरनाक हो सकता है। सैम ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि ये तकनीक हमें कहां ले जाएगी। ये शानदार हो सकती है, लेकिन इसके रिस्क भी उतने ही बड़े हैं।’


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