इस्लामाबाद: पाकिस्तान में फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को तीनों सेनाओं का सुप्रीम यानी चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बनाने की प्रोसेस अटक गई है।
मुनीर को CDF बनाने के लिए 29 नवंबर तक नोटिफिकेशन जारी होना था, लेकिन PM शहबाज शरीफ ने अब तक इस पर साइन नहीं किए हैं। इससे पहले ही शहबाज 26 नवंबर को बहरीन चले गए थे, फिर 27 नवंबर को अनौपचारिक यात्रा पर लंदन रवाना हो गए।
मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि शहबाज शरीफ ने खुद को इस प्रक्रिया से इसलिए दूर कर लिया है, ताकि उन्हें आसिम मुनीर की नई नियुक्ति वाले आदेश पर साइन न करने पड़े।
पाकिस्तानी संसद ने 12 नवंबर को सेना की ताकत बढ़ाने वाला 27वां संवैधानिक संशोधन पास किया था। इसके तहत आसिम मुनीर को तीनों सेनाओं का सुपर चीफ यानी CDF बनाया जाना था। इस पद के मिलते ही उन्हें पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की कमान भी मिल जाती यानी वे देश के सबसे ताकतवर शख्स बन जाते।

नोटिफिकेशन जारी होने के बाद आर्मी चीफ मुनीर तीनों सेनाओं के डिफेंस चीफ बन जाएंगे।
27 नवंबर को पुराना पद खत्म हो गया
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, 27 नवंबर को पुराना पद खत्म होने के साथ ही 28 या 29 नवंबर तक नई नोटिफिकेशन जारी होना जरूरी था।
29 नवंबर 2022 को जनरल आसिम मुनीर को सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। उनका मूल कार्यकाल तीन साल का था, यानी 28 नवंबर 2025 को खत्म हो गया।
पिछले साल ही संसद ने कानून पास करके सेना प्रमुख का कार्यकाल 3 से बढ़ाकर 5 साल कर दिया था। इसलिए कानूनी रूप से उनका पद खतरे में नहीं था। फिर भी संविधान संशोधन के बाद नया नोटिफिकेशन जरूरी था।
चीफ ऑफ स्टाफ की जगह CDF पद बनाया गया था
पिछले महीने हुए संविधान संशोधन में चेयरमैन जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) की जगह CDF पद बनाया गया जो तीनों सेनाओं के बीच तालमेल रखेगी।
CJCSC शाहिद शमशाद मिर्जा के 27 नवंबर को रिटायर हो जाने के बाद अब तक आसिम मुनीर CDF नहीं बन पाए हैं।
पूर्व सुरक्षा सलाहकार बोले- शहबाज ने जानबूझकर खुद को इससे दूर किया
इस बीच भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) के सदस्य तिलक देवाशेर ने ANI से बातचीत में दावा किया है कि पीएम शहबाज शरीफ ने जानबूझकर ऐसा किया।
देवाशेर ने चिंता जताई कि आसिम मुनीर अपनी ताकत दिखाने के लिए भारत के खिलाफ कोई तनाव पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भले ही आधिकारिक रूप से यह साफ न हो कि मुनीर अब आर्मी चीफ हैं या नहीं, फिर भी उनके पास इतना असर है कि वे कुछ भी करवा सकते हैं।
देवाशेर के अनुसार, पाकिस्तान खुद इस बात को लेकर अनिश्चित है कि आर्मी चीफ कौन है और अगर मुनीर के मन में भारत पर दबाव बनाने या कोई घटना भड़काने का विचार आ गया तो हालात और खतरनाक हो जाएंगे।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष नवाज शरीफ 12 नवंबर को नेशनल असेंबली के सत्र में मौजूद रहे।
रक्षा मंत्री बोले- नोटिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है
रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने X पर पोस्ट करके बताया कि, ‘CDF की नोटिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जल्द ही नोटिफिकेशन जारी होगा।’ हालांकि सरकार ने यह नहीं बताया कि आखिर 29 नवंबर को नोटिफिकेशन क्यों नहीं जारी हुआ।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आज (सोमवार) दोपहर तक इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं। डॉन के मुताबिक, उनके लौटते ही कैबिनेट डिवीजन CDF की नोटिफिकेशन को अंतिम रूप देगा और आज शाम या कल सुबह तक इसे जारी कर दिया जाएगा।
विपक्ष बोला- शहबाज के पास अब सेना पर कंट्रोल नहीं
विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने मामले को लेकर टिप्पणी की। पार्टी ने कहा, ‘यह देरी साबित करती है कि शहबाज शरीफ के पास अब सेना पर कंट्रोल नहीं रहा।’
पीपुल्स पार्टी के सीनेटर रजा रब्बानी ने पूछा, “क्या संविधान के बाद भी कोई अनकहा वीटो पावर काम कर रहा है?” कई पूर्व जनरलों ने कहा कि नोटिफिकेशन न आना अपमानजनक है।
आर्मी के हाथों में परमाणु कमांड
27वें संविधान संशोधन का एक बहुत खास हिस्सा है नेशनल स्ट्रैटजिक कमांड (NSC) का गठन। यह कमांड पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम की निगरानी और नियंत्रण करेगी।
अब तक यह जिम्मेदारी नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) के पास थी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते थे, लेकिन अब से NSC के पास इसकी जिम्मेदारी हो जाएगी।
NSC का कमांडर भले ही प्रधानमंत्री की मंजूरी से नियुक्त होगा, लेकिन यह नियुक्ति सेना प्रमुख (CDF) की सिफारिश पर ही होगी। सबसे जरूरी यह पद सिर्फ आर्मी के अफसर को ही दिया जाएगा।
इससे देश के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अब पूरी तरह सेना के हाथ में चला जाएगा।
आसिम मुनीर को मिली ताकत से संयुक्त राष्ट्र चिंतित
पाकिस्तान में हुए संविधान संशोधन को लेकर संयुक्त राष्ट्र चिंता जता चुका है। यूएन ह्यूमन राइट एजेंसी (UNHR) के हाई कमिश्नर वोल्कर टर्क ने चेतावनी दी है कि 27वां संविधान संशोधन न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।
टर्क ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि यह बदलाव उन जरूरी कानूनी नियमों (रूल ऑफ लॉ) को भी कमजोर कर सकता है, जिनसे देश में कानून-व्यवस्था बनी रहती है। वहीं, पाकिस्तान ने 30 नवंबर को टर्क की चिंता को निराधार और गलत आशंका बताकर खारिज कर दिया।

(Bureau Chief, Korba)




