इस्लामाबाद: पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (PoK) के 3 बड़े शहरों में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन जारी है। PoK की अवामी एक्शन कमेटी (AAC) की अपील पर सोमवार को पूरे इलाके में दुकानें, बाजार और सड़कें बंद कर दी गईं।
लोकल लोग महंगाई, बेरोजगारी, और पाकिस्तानी सेना की ज्यादतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। सुरक्षा बलों के काफिले पर पथराव की घटनाएं भी सामने आई हैं।
कोटली में शनिवार को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों ने गोलीबारी की, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सेना के खिलाफ- ‘हम तुम्हारी मौत हैं’ जैसे नारे लगाए।
PoK में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के सोशल मीडिया पर वायरल फुटेज…

लोगों ने रविवार रात सरकार के खिलाफ मशाल लेकर जुलूस निकाला।

मोटरसाइकिल लेकर मार्च निकालते PoK के नागरिक।

कुछ इलाकों में पाकिस्तानी सेना के सिपाहियों के साथ मारपीट की गई।
सरकार ने भारी सिक्योरिटी तैनात की
हजारों लोग कोटली, रावलकोट और मुजफ्फराबाद जैसे शहरों में आजादी और पाकिस्तानी सेना वापस जाओ जैसे नारे लगा रहे हैं। प्रदर्शनों को दबाने के लिए सरकार ने भारी सिक्योरिटी तैनात की है।
AAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा- हम सिर्फ अपने हक मांग रहे हैं, जो 70 साल से हमें नहीं मिले। अब सरकार को हमें हमारे अधिकार देने होंगे।
AAC ने सरकार के सामने 38 मांगें रखी हैं, जिनमें 3 प्रमुख हैं…
- पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए बनी 12 विधानसभा सीटें खत्म करने की मांग।
- बिजली परियोजनाओं में लोकल लोगों के फायदे को ध्यान रखा जाए।
- आटे और बिजली के बिलों पर छूट देने की मांग, क्योंकि महंगाई से लोग परेशान हैं।
PoK में पत्रकारों की एंट्री बैन
पाकिस्तान सरकार ने PoK में पत्रकारों और टूरिस्ट की एंट्री बैन कर दी है। लोकल रिपोर्टर्स भी आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें न्यूट्रल कवरेज करने से रोका जा रहा है। इसके अलावा कई मानवाधिकार संगठन भी इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं।
PoK में आधी रात से इंटरनेट बंद कर दिया गया है। सरकार को डर है कि ये प्रदर्शन आजादी की मांग में बदल सकते हैं।

आंदोलनकारी ने बताया कि सेना ने शांतिपूर्ण जुलूस पर गोलीबारी की।
PoK में पहले भी कई बार प्रदर्शन हुए
PoK में पहले भी कई बार सेना और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पिछले साल मई में सस्ते आटे और बिजली के लिए लोगों ने हड़ताल की थी। लोग कहना है कि PoK में मौजूद मंगला डैम से बिजली बनती है, फिर भी उन्हें सस्ती बिजली नहीं मिलती।
इसी तरह 2023 में भी बिजली की कीमतें बढ़ाने और गेहूं की सब्सिडी हटाने के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए थे। 2022 में भी सरकार के एक कानून के खिलाफ लोगों ने सड़कें जाम की थीं और आजादी के नारे लगाए थे।

(Bureau Chief, Korba)