रायपुर: छत्तीसगढ़ में पटवारियों की हड़ताल पर सरकार ने एस्मा लगा दिया है। लगातार 23 दिन से हड़ताल से सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहे थे। सीएम भूपेश के निर्देश के बाद एक्शन लिया गया है। पटवारियों की हड़ताल से आम लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव को कड़े निर्देश देते हुए कहा था कि हड़ताल की वजह से युवाओं, नागरिकों को नौकरी, भत्ते संबंधी कार्यों में कोई भी परेशानी नहीं आनी चाहिए।
इस वक्त प्रदेश में स्कूल,कॉलेजों में एडमिशन से लेकर भर्तियां चल रही हैं। और जरूरी दस्तावेज के लिए लोगों को पटवारियों के पास जाना होता है लेकिन पटवारियों की हड़ताल की वजह से जनता की परेशानी बढ़ गई है। इसके अलावा जमीनों के नामातंरण, सीमांकन, बटांकन जैसे कई महत्वपूर्ण काम प्रभावित हो रहे हैं।

प्रदेशभर में पटवारी 15 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं
मांगे पूरी नहीं होने तक हड़ताल जारी रखने की चेतावनी
छत्तीसगढ़ के राजस्व पटवारी संघ अपनी 9 सूत्रीय मांग को लेकर 15 मई यानी पिछले 23 दिनों से राज्य स्तरीय में हड़ताल पर हैं। राजस्व पटवारी संघ की हड़ताल के चलते आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र सहित पटवारियों से जुड़े सभी काम पूरी तरह प्रभावित हैं। तहसील कार्यालय में आम दिनों में सैकड़ों की तादाद में लोगों की भीड़ हुआ करती थी, लेकिन पटवारियों के हड़ताल पर चले जाने से तहसील कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। इधर पटवारी संघ भी अपनी मांगों को लेकर अड़ा हुआ है और मांगे पूरी नहीं होने तक हड़ताल जारी रखने की चेतावनी दी है।
इन प्रमुख मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं पटवारी
– पटवारियों के वेतन में बढ़ोत्तरी की मांग
– वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति
– कार्यालय, संसाधन और भत्ते दिए जाए
– स्टेशनरी का भत्ता दिया जाए
– अन्य हल्के का अतिरिक्त प्रभार मिलने पर भत्ता
– पटवारी भर्ती के लिए योग्यता स्नातक करने की मांग
– मुख्यालय निवास की बाध्यता समाप्त की जाए
– बिना विभागीय जांच के पटवारियों पर एफआईआर दर्ज ना की जाए
क्या है एस्मा?
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम छह महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है।
सरकारें क्यों लगाती हैं एस्मा?
सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है। इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रु. दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।
एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को रोक सकती है। विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद अगर कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है। वैसे तो एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं। इसमें थोड़े बहुत परिवर्तन कर कई राज्य सरकारों ने स्वयं का एस्मा कानून भी बना लिया है और अत्यावश्यक सेवाओं की सूची भी अपने अनुसार बनाई है।
