Saturday, July 5, 2025

PM मोदी दो दिन के दौरे पर अर्जेंटीना पहुंचे, होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने भव्य स्वागत किया, बिजनेस समिट में हिस्सा लेंगे, राष्ट्रपति जेवियर से मिलेंगे; लिथियम सप्लाई पर समझौता संभव

ब्यूनस आयर्स: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिन के दौरे पर अर्जेंटीना पहुंच गए। यहां होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत किया।

PM बनने के बाद मोदी का यह दूसरा अर्जेंटीना दौरा है। इससे पहले वे 2018 में G20 समिट में हिस्सा लेने अर्जेंटीना गए थे।

PM मोदी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर जेवियर मिलई के बीच आज द्विपक्षीय बातचीत होगी। इसके अलावा वो भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे।

मोदी की यात्रा के दौरान भारत-अर्जेंटीना के बीच डिफेंस, एग्रीकल्चर, एनर्जी, परमाणु सहयोग, व्यापार और निवेश पर चर्चा हो सकती है। दोनों देशों में लिथियम सप्लाई पर भी समझौता संभव है।

अर्जेंटीना के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है। मोदी 2 जुलाई से 10 जुलाई तक, 5 देशों की यात्रा पर हैं। वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बाद अर्जेंटीना पहुंचेंगे। इसके बाद उनका अगला पड़ाव ब्राजील है।

मोदी के अर्जेंटीना दौरे से जुड़ी तस्वीरें…..

पीएम मोदी भारतीय समयानुसार शनिवार सुबह ब्यूनस आयर्स के एजीजा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड हुए।

पीएम मोदी भारतीय समयानुसार शनिवार सुबह ब्यूनस आयर्स के एजीजा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड हुए।

होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने पीएम मोदी का स्वागत किया।

होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने पीएम मोदी का स्वागत किया।

पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की और उनसे हाथ मिलाए।

पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की और उनसे हाथ मिलाए।

अर्जेंटीना में मोदी के दौरे का शेड्यूल

5 जुलाई:

  • अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से मुलाकात करेंगे।
  • भारत-अर्जेंटीना बिजनेस समिट 2025 में हिस्सा लेंगे।
  • महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर करेंगे।
  • भारतीय मूल के लोगों के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे

6 जुलाई :

  • अर्जेंटीना के विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री, और ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक करेंगे।
  • लिथियम और लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की सप्लाई जैसे मुद्दों पर समझौता कर सकते हैं।
  • ब्राजील के लिए रवाना होंगे, जहां वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी रहते हैं। दोनों देश डिफेंस सेक्टर में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच फरवरी, 2025 में मिलिट्री ज्वाइंट एक्सरसाइज और इक्विपमेंट पर चर्चा हुई थी।

भारत और अर्जेंटीना G20, G77 और यूनाइटेड नेशन के सदस्य हैं। 2023 में G20 समिट की मेजबानी को लेकर अर्जेंटीना ने भारत की सराहना की थी और अफ्रीकन यूनियन (AU) को G20 में सदस्यता देने का समर्थन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच ₹53 हजार करोड़ का बिजनेस

भारत, अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। दोनों देशों के बीच, 2019 और 2022 के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर 6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (53 हजार करोड़ रुपए) पहुंच गया है।

भारत अर्जेंटीना को पेट्रोलियम तेल, कृषि रसायन और दोपहिया वाहन एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत, अर्जेंटीना से वनस्पति तेल (जैसे सोयाबीन और सूरजमुखी), लेदर और अनाज इंपोर्ट करता है।

दोनों देश शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम और एनर्जी में सहयोग पर भी जोर देते हैं। अर्जेंटीना, भारत की न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता का समर्थन करता है। भारत ने NSG सदस्यता के लिए 2016 में आवेदन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच लीथियम को लेकर दो बड़े समझौते हुए

15 जनवरी, 2024 में भारत ने अर्जेंटीना के साथ लिथियम माइनिंग खनन के लिए एक समझौता किया था।

200 करोड़ रुपए की लागत वाले इस समझौते के तहत, भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) को अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉक आवंटित किए जाएंगे।

दोनों देशों ने लिथियम खोजने और खनन में सहयोग बढ़ाने के लिए 19 फरवरी, 2025 को एक समझौता (MoU) किया है। भारत अभी तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है। यह समझौता चीन पर निर्भरता कम करने के लिए किया गया था।

अर्जेंटीना 100 सालों में 9 बार दिवालिया हुआ

अर्जेंटीना 20वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। यह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से भी आगे था। इसके बावजूद, 1816 में स्पेन से आजादी के बाद से अर्जेंटीना 9 बार अपने कर्ज चुकाने में नाकाम रहा है।

1930 से 1970 तक सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने, आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इम्पोर्ट पर टैरिफ को बढ़ा दिया।

इसका सबसे बुरा असर खेती पर पड़ा। इम्पोर्ट कम होने से देश में अनाज की कमी हो गई, जिससे 1940-50 के दशक में भुखमरी के हालात बन गए।

1980 के दशक में तानाशाही के दौरान सरकारी खर्च और विदेशी कर्ज 75% तक बढ़ा। जरूरत की चीजों की कीमतें 5000% तक पहुंच गई। ब्रेड, दूध, और चावल, इस भयंकर मंहगाई से सबसे अधिक प्रभावित हुए।

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी जीडीपी 474.8 बिलियन डॉलर (लगभग 40 लाख करोड़ रुपए) और प्रति व्यक्ति जीडीपी 12 हजार डॉलर (10 लाख रुपए) है। इसके बावजूद, ये देश आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है।


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