Friday, July 4, 2025

PM मोदी बोले- त्रिनिनाद की प्रधानमंत्री कमला बिहार की बेटी, राम मंदिर का मॉडल, महाकुंभ का जल गिफ्ट किया, कहा- भारतीय प्रवासी अपने दिल में रामायण को साथ लाए

पोर्ट ऑफ स्पेन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार तड़के त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने पीएम कमला प्रसाद बिसेसर को ‘बिहार की बेटी’ कहा और उन्हें राम मंदिर का मॉडल और सरयू नदी के जल के साथ-साथ प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का जल भी भेंट किया।

PM मोदी ने भारतीय समुदाय की यात्रा को साहस की मिसाल बताया। PM ने कहा- वे (भारतीय प्रवासी) गंगा और यमुना को पीछे छोड़ आए, लेकिन अपने दिल में रामायण को साथ लाए।

उनके योगदान ने इस देश को सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया है। वे अपनी मिट्टी छोड़ आए, लेकिन अपने संस्कार नहीं छोड़े। वे सिर्फ प्रवासी नहीं थे, बल्कि एक सभ्यता के दूत थे।

PM मोदी ने ऐलान किया कि भारतीय मूल के लोगों की छठी पीढ़ी को भी ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार तड़के त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन पहुंचे हैं।

प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर और उनके 38 मंत्रियों और चार सांसदों ने एयरपोर्ट पर मोदी की अगवानी की।

PM मोदी के त्रिनिदाद दौरे की तस्वीरें…

त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ PM मोदी को रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंचीं।

त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ PM मोदी को रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंचीं।

बीते 30 सालों में किसी भी भारतीय PM की यह पहली त्रिनिदाद यात्रा है।

बीते 30 सालों में किसी भी भारतीय PM की यह पहली त्रिनिदाद यात्रा है।

भारतीय मूल के कलाकारों ने PM मोदी के स्वागत में पारंपरिक डांस किया।

भारतीय मूल के कलाकारों ने PM मोदी के स्वागत में पारंपरिक डांस किया।

भारतीय मूल के कलाकारों से मिलते PM मोदी।

भारतीय मूल के कलाकारों से मिलते PM मोदी।

PM मोदी का स्वागत करने एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग पहुंचे।

PM मोदी का स्वागत करने एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग पहुंचे।

PM मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की PM कमला परसाद-बिसेसर और राष्ट्रपति कांगालू के साथ डिनर किया।

PM मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की PM कमला परसाद-बिसेसर और राष्ट्रपति कांगालू के साथ डिनर किया।

मोदी बोले- त्रिनिदाद और टोबैगो की रामलीला अनोखी है

PM मोदी ने कहा- 25 साल पहले मैं यहां आया था। तब से अब तक हमारी दोस्ती और मजबूत हुई है। बनारस, पटना, कोलकाता और दिल्ली भारत के शहर हैं, लेकिन यहां भी इनके नाम की सड़कें हैं। नवरात्रि, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी यहां खुशी, उत्साह और गर्व के साथ मनाए जाते हैं। चौताल और भटक गाना यहां फल-फूल रहे हैं।

मैं यहां कई परिचित चेहरों की गर्मजोशी और युवा पीढ़ी की आंखों में उत्सुकता देखता हूं, जो एक साथ जानने और बढ़ने के लिए उत्साहित हैं। हमारे रिश्ते भौगोलिक सीमाओं से परे हैं।

PM मोदी ने भारतीय समुदाय की श्रीराम के लिए गहरी आस्था की तारीफ की। उन्होंने कहा- मुझे आपकी प्रभु श्रीराम में गहरी आस्था का पता है। यहां की रामलीला वाकई अनोखी है। मुझे यकीन है कि आप सभी ने 500 साल बाद अयोध्या में रामलला की वापसी का स्वागत किया होगा।

आपने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पवित्र जल और शिला भेजी थी। मैं भी उसी भक्ति के साथ कुछ लाया हूं। मेरे लिए यह सम्मान की बात है कि मैं राम मंदिर की प्रतिकृति और पवित्र सरयू नदी का जल लेकर आया हूं।

PM कमला को लोग बिहार की बेटी मानते हैं

PM मोदी ने इस साल हुए महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं महाकुंभ का पवित्र जल अपने साथ लाया हूं। मैं कमला जी से अपील करता हूं कि वे संगम और सरयू नदी के पवित्र जल को यहां की गंगा धारा में अर्पित करें। भारतीय प्रवासी हमारा गर्व हैं। आप में से प्रत्येक भारत के मूल्यों और विरासत का राजदूत है।’

PM मोदी ने कहा- हम सिर्फ खून या सरनेम से नहीं, बल्कि अपनेपन की भावना से जुड़े हैं। भारत आपकी ओर देखता है और आपका स्वागत करता है। PM कमला जी के पूर्वज बिहार के बक्सर से थे। उन्होंने वहां का दौरा भी किया है। लोग उन्हें बिहार की बेटी मानते हैं।

PM मोदी ने बिहार की विरासत की तारीफ की और कहा- बिहार की विरासत भारत और विश्व का गौरव है। बिहार ने सदियों से कई क्षेत्रों में दुनिया को रास्ता दिखाया है।

त्रिनिदाद एंड टोबैगो लैटिन अमेरिका के पास मौजूद है।

त्रिनिदाद एंड टोबैगो लैटिन अमेरिका के पास मौजूद है।

30 साल बाद भारतीय PM की त्रिनिदाद यात्रा

पोर्ट ऑफ स्पेन के पियार्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भारतीय समुदाय के लोग भी मौजूद थे, जिन्होंने पारंपरिक डांस के जरिए PM मोदी का स्वागत किया। 1999 के बाद किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली यात्रा है।

प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने PM मोदी को न्योता दिया था। अपनी यात्रा के दौरान PM मोदी राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में प्रधानमंत्री कमला के साथ-साथ राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू से भी मुलाकात करेंगे। गौरतलब है कि दोनों ही शीर्ष नेता भारतीय मूल की हैं।

PM मोदी को एयरपोर्ट पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

PM मोदी को एयरपोर्ट पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

दौरे का मकसद दोनों देशों में संबंध मजबूत करना

इस ऐतिहासिक यात्रा का मकसद भारत और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करना है। PM मोदी की यह यात्रा एक और मायने में बेहद खास है।

दरअसल, इस साल त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भारतीय मजदूरों के पहली बार पहुंचने की 180वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस देश की करीब 40% आबादी भारतीय मूल की है, जिनके पूर्वज 19वीं सदी में वहां काम की तलाश में गए थे।

मोदी के त्रिनिदाद एंड टोबैगो दौरे का शेड्यूल

3 जुलाई (त्रिनिदाद एंड टोबैगो के समयानुसार)

  • त्रिनिदाद एंड टोबैगो की संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित किया।
  • भारतीय डायस्पोरा के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल हुए।
  • राष्ट्रपति कांगालू के साथ PM मोदी ने डिनर किया।

4 जुलाई (त्रिनिदाद एंड टोबैगो के समयानुसार)

  • PM मोदी कई मंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
  • रक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, UPI तकनीक, कृषि और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी, कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे।
  • देर शाम मोदी अर्जेंटीना के लिए रवाना होंगे।

मोदी ने 25 साल पहले त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भाषण दिया था

प्रधानमंत्री मोदी 25 साल पहले भी त्रिनिदाद एंड टोबैगो गए थे। अगस्त 2000 में, भाजपा के तत्कालीन जनरल सेक्रेटरी के तौर पर मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो में विश्व हिंदू सम्मेलन में एक हजार से ज्यादा लोगों के सामने भाषण दिया था।

इस सम्मेलन में त्रिनिदाद एंड टोबैगो के तत्कालीन प्रधानमंत्री बासदेव पांडे, RSS सरसंघचालक के. सुदर्शन, स्वामी चिदानंद सरस्वती और अशोक सिंघल जैसी बड़ी शख्सियत शामिल हुई थीं। यह सम्मेलन 1998 में नैरोबी में अखिल-अफ्रीका हिंदू सम्मेलन और 1995 में दक्षिण अफ्रीका में विश्व हिंदू सम्मेलन के बाद एक सीरीज के तहत आयोजित किया गया था।

इसमें नई दिल्ली, न्यूयॉर्क, कैरिबियन, उत्तरी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका सहित क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। वेस्ट इंडीज यूनिवर्सिटी के लर्निंग रिसोर्स सेंटर में, मोदी ने ‘हिंदू धर्म और समकालीन विश्व मुद्दे – विकासशील प्रौद्योगिकी और मानव विश्व’ पर भाषण दिया था।

साल 2000 में त्रिनिदाद एंड टोबैगो में विश्व हिंदू सम्मेलन (WHC) में भाषण देते नरेंद्र मोदी।

साल 2000 में त्रिनिदाद एंड टोबैगो में विश्व हिंदू सम्मेलन (WHC) में भाषण देते नरेंद्र मोदी।

कोलंबस ने त्रिनिदाद की खोज की, ईसाई धर्म से जुड़ा नाम रखा

भारत से त्रिनिदाद की दूरी करीब 13,822 किलोमीटर है। यह कैरेबियाई देश कहलाता है। कैरेबियाई देश का मतलब उन देशों से होता है जो कैरिबियन सागर के आस-पास या उसके द्वीपों पर बसे हुए हैं। कैरेबियाई देशों को सामूहिक रूप से ‘वेस्ट इंडीज’ भी कहा जाता है।

क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1498 में अपने तीसरे समुद्री सफर के दौरान त्रिनिदाद की खोज की थी। कोलंबस ने ही इस द्वीप का नाम त्रिनिदाद रखा, जिसका मतलब ‘त्रिमूर्ति’ होता है। उन्होंने यह नाम ईसाई धर्म के प्रतीक चिन्ह ‘ट्रिनिटी’ पर रखा था।

पहले इस द्वीप पर आदिवासी समुदाय रहते थे। कोलंबस के आने के बाद स्पेन ने 16वीं सदी में इस पर उपनिवेश स्थापित किया। ब्रिटेन ने 1797 में इसे अपने कब्जे में ले लिया और 1889 में टोबैगो को भी त्रिनिदाद के साथ मिला लिया। त्रिनिदाद एंड टोबैगो को साल 1962 में ब्रिटेन से आजादी मिली।

भारत ने सबसे पहले राजनयिक संबंध स्थापित किए

भारत ने त्रिनिदाद एंड टोबैगो की स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। दोनों देशों के संबंध 1845 में शुरू हुए थे। इस साल फातेल रज्जाक नाम का जहाज 225 भारतीय मजदूरों को लेकर त्रिनिदाद पहुंचा था।

इनमें ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के थे, जो वहां काम करने गए थे। इन मजदूरों को 5 से 7 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने के लिए ले जाया गया था। इन मजदूरों के साथ हुए ‘एग्रीमेंट’ को बोलचाल की भाषा में ‘गिरमिट’ कहा जाने लगा।

इस तरह एग्रीमेंट पर काम करने वाले मजदूरों को ‘गिरमिटिया’ कहा जाने लगा। भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के वंशज आज भी त्रिनिदाद एंड टोबैगो में बसे हैं, जो देश की कुल 13 लाख आबादी का लगभग 40% हिस्सा हैं। अभी वहां 5 लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग हैं।

त्रिनिदाद की राष्ट्रपति-PM भारत के गिरमिटिया मजदूरों की वंशज

साल 1834 में ब्रिटेन ने अफ्रीका में गुलाम प्रथा पर रोक लगा दी थी। ऐसे में यूरोपीय उपनिवेश वाले देशों में गन्ने के खेतों और दूसरे कामों के लिए मजदूरों की कमी होने लगी। इन मजदूरों की कमी पूरी करने के लिए भारत जैसे देशों से मजदूर लाए गए।

भारत से मजदूरों की पहली खेप 1834 में मॉरीशस भेजी गई। इतिहासकारों के मुताबिक, 1834 से 1920 तक करीब 15 लाख भारतीय मजदूरों को गिरमिटिया बनाकर मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम (दक्षिण अमेरिका), गुयाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, जमैका जैसे देशों में भेजा गया।

त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू और प्रधानमंत्री कमला बिसेसर, दोनों इन्हीं गिरमिटिया मजदूरों की वंशज हैं। कमला के परदादा राम लखन मिश्रा बिहार के बक्सर जिले के थे।

टोबैगो पर कब्जा करने के लिए 30 से ज्यादा जंग

टोबैगो दक्षिण अमेरिकी तट के बेहद नजदीक है। साल 1498 में कोलंबस ने टोबैगो को देखा तो था, लेकिन काफी छोटा होने की वजह से इस पर कब्जा नहीं किया। लेकिन साल 1600 के बाद स्थिति बदल गई।

इसकी लोकेशन की वजह से 16वीं से 19वीं सदी तक यूरोप के कई देश इस द्वीप पर कब्जा करने की कोशिश में जुट गए, ताकि यहां से कैरिबियन व्यापारिक रास्तों और आसपास की कॉलोनियों पर नजर रख सकें। सबसे पहले डच ने 1628 में टोबैगो पर कब्जे का दावा किया। फिर ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस, डच के अलावा कई यूरोपीय देश भी कब्जा जमाने की कोशिश करने लगे।

17वीं और 18वीं सदी के बीच 30 बार टोबैगो पर कब्जा हुआ। औसतन हर 5-10 साल में टोबैगो का शासक बदल जाता था। युद्धों और संधियों के जरिए यह द्वीप ब्रिटेन, डच और फ्रांस के बीच लगातार इधर-उधर होता रहा। इसलिए टोबैगो को ‘कैरिबियन का फुटबॉल’ कहा जाने लगा।

1814 में पेरिस की संधि के बाद टोबैगो को आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन के अधीन मान लिया गया। इसके बाद यहां कब्जों का सिलसिला खत्म हुआ। हालांकि, इतने कब्जे और लड़ाइयों का टोबैगो की संस्कृति पर बहुत असर पड़ा। वहां फ्रेंच, डच, ब्रिटिश, स्पेनिश जैसी भाषाओं और परंपराओं के मिश्रण का प्रभाव आज भी दिखता है।


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