प्रयागराज: सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने 3 फरवरी को NGT में एक रिपोर्ट देकर बताया कि प्रयागराज संगम का पानी नहाने के लिए उपयुक्त नहीं है। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) ने 18 फरवरी को NGT में एक नई रिपोर्ट देकर सेंट्रल की रिपोर्ट को झुठला दिया है।
इस रिपोर्ट में बताया है कि नाले का पानी प्रयागराज की गंगा–यमुना नदी में सीधे तौर पर नहीं गिर रहा। कुल छह पॉइंट पर पानी नहाने लायक है। सिर्फ शास्त्री ब्रिज के नीचे पानी की गुणवत्ता थोड़ी बहुत सही नहीं है और इसके जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जा रही है।
हालांकि NGT ने इस नई रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। कहा है कि अगर सेंट्रल की रिपोर्ट गलत है तो यूपी वाले एक्शन लें। NGT ने UPPCB से गंगा–यमुना के पानी की गुणवत्ता पर एक हफ्ते में नई विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
दरअसल, ये पूरा मामला उन 55 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है, जो महाकुंभ में संगम स्नान करने प्रयागराज आए हैं। CPCB की रिपोर्ट के श्रद्धालुओं पर संभावित असर को देखते हुए ही UPPCB ने नई रिपोर्ट बनाकर इसका जवाब दिया है।
राज्य और केंद्रीय पॉल्यूशन बोर्ड की खींचतान का पूरा मामला विस्तार से पढ़िए
![कुंभ में स्नान के बाद श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए फल-फूल और पूजा सामग्री को नदी से हटाते सफाईकर्मी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/02/19/kumbh-mela-small17-1739869565_1739965887.jpg)
कुंभ में स्नान के बाद श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए फल-फूल और पूजा सामग्री को नदी से हटाते सफाईकर्मी।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की क्या रिपोर्ट थी?
बैक्टीरिया मानक से ज्यादा, पानी नहाने लायक नहीं
CPCB ने 17 फरवरी को एक रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में दाखिल की। इसमें बताया कि हमने 9 से 21 जनवरी के बीच प्रयागराज में कुल 73 जगहों से सैंपल इकट्ठा किए। ज्यादातर सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से ज्यादा पाई गई। पांच अन्य पैमानों पर भी पानी की गुणवत्ता मानक के अनुरूप मिली है।
सामान्यत: एक मिलीलीटर पानी में 100 बैक्टीरिया होने चाहिए, लेकिन अमृत स्नान के ठीक पहले यमुना नदी के एक सैंपल में ये बैक्टीरिया 2300 पाया गया। संगम पर इसकी मात्रा 100 से बढ़कर 4500 मिली है।
फाफामऊ में बैक्टीरिया 790, राजापुर मेहदौरी में 930, छतनाग घाट पर 920, अरैल घाट के पास 680 और राजापुर में 940 बैक्टीरिया पाए गए। मतलब इस पानी को प्यूरिफिकेशन और डिसइंफेक्ट किए बिना नहाने तक के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
![नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिसंबर में आदेश दिया था कि कुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदी का पानी पीने और नहाने लायक होना चाहए।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/02/19/kumbhh_1739965321.jpg)
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिसंबर में आदेश दिया था कि कुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदी का पानी पीने और नहाने लायक होना चाहए।
इसके जवाब में यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने क्या बताया?
‘गंगा–यमुना में DO, BOD, FC का स्टैंडर्ड सही है’
यूपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड प्रयागराज के क्षेत्रीय अधिकारी सुरेश चंद्र शुक्ला ने 18 फरवरी को 549 पेज की रिपोर्ट NGT में जमा की है। इसमें प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, जल निगम, जियो ट्यूब और MNIT की जांच रिपोर्ट भी लगाई गई हैं।
UPPCB की ताजा रिपोर्ट के अनुसार– प्रयागराज की गंगा और यमुना में घुलित ऑक्सीजन (DO), बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और फेकल केलीफॉर्म (FC) का स्टैंडर्ड मानक बना हुआ है।
हालांकि प्रयागराज में गंगा नदी पर स्थापित शास्त्री पुल के नीचे BOD और FC में मामूली वृद्धि हुई है। अधिकारियों ने कहा है कि यहां पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन हुआ है। इसलिए संबंधित के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
UPPCB ने इस रिपोर्ट में पानी सैंपल की जांच रिपोर्ट, पानी सैंपल के फोटो भी अटैच किए हैं। बुधवार को NGT में सुनवाई के दौरान UPPCB ने सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड से उन जगहों की सटीक जानकारी मांगी जहां से पानी के सैंपल लिए गए थे।
इस पर ट्रिब्यूनल की बेंच ने राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या वह ऐसा करके सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट पर विवाद कर रहे हैं।
MNNIT ने पानी की गुणवत्ता को ठीक बताया
इस रिपोर्ट में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने जियो ट्यूब की जांच रिपोर्ट भी लगाई है। बताया है कि संगम में पानी के अंदर जियो ट्यूब पड़ी हुई हैं, जो पानी की गुणवत्ता बताती रहती हैं।
इसके अलावा मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान (MNNIT) प्रयागराज के जरिये भी STP की निगरानी की जा रही है। MNNIT की रिपोर्ट भी NGT को सौंपी गई है, जिसमें पानी की गुणवत्ता OK है।
जल निगम ने कहा– जियो ट्यूब में जमा होती है कीचड़
NGT में दाखिल रिपोर्ट में उप्र जल निगम (शहरी) के अधिशासी अभियंता आशुतोष यादव की 15 फरवरी 2025 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार– नगर निगम प्रयागराज में कुल 81 नाले हैं।
इसमें 54 नाले मौजूदा 10 STP से जुड़े हैं। 3 नालों में शुष्क मौसम में कोई प्रवाह नहीं होता, जबकि 2 नालों में कार्बनिक भार बहुत कम है। उन्हें नगर निगम प्रयागराज द्वारा बायोरेमिडिएशन विधि के जरिये जियो सिंथेटिक डिवाटरिंग ट्यूब से संशोधित किया जाता है।
सभी कीचड़ जियो ट्यूब में जमा हो रही है। जब ये ट्यूब पूरी तरह भर जाती है तो कीचड़ को बाहर निकाल दिया जाता है। इसलिए नालों के माध्यम से कोई भी प्रदूषित पानी सीधे गंगा–यमुना में नहीं छोड़ा जा रहा।
(Bureau Chief, Korba)