- बस्तर और रायपुर जिले की सौ-सौ ग्राम पंचायतें परियोजना में करेंगी भागीदारी
- आजीविका के अवसर बढ़ाने और गरीबी कम करने ‘बिहान’ के समूह और ग्राम पंचायतें मिलकर करेंगी काम
- शुभारंभ के मौके पर आयोजित कार्यशाला में बिहान के सामुदायिक संगठनों और पंचायती राज संस्थाओं की महिला जनप्रतिनिधि हुईं शामिल
रायपुर: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर छत्तीसगढ़ में पीआरआई-सीबीओ कन्वर्जेन्स (Panchayati Raj Institutions-Community based Organisation Convergence) परियोजना का शुभारंभ किया गया। परियोजना के तहत गांवों में आजीविका के अवसर बढ़ाने और गरीबी कम करने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के सामुदायिक संगठनों और ग्राम पंचायतों के अभिसरण (Convergence) से मिशन के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूहों को उद्यमशील बनाया जाएगा। यह परियोजना बस्तर और रायपुर जिले के चार-चार विकासखंडों के कुल 200 ग्राम पंचायतों में संचालित की जाएगी। परियोजना के शुभारंभ के मौके पर रायपुर के ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान (SIRD) निमोरा में आयोजित कार्यशाला में दोनों जिलों के ‘बिहान’ के सामुदायिक संगठनों की पदाधिकारी और पंचायतीराज संस्थाओं की महिला जनप्रतिनिधि शामिल हुईं।
पीआरआई-सीबीओ कन्वर्जेन्स परियोजना के अंतर्गत ग्रामीण गरीबी को कम करने और आजीविका के अवसर पैदा करने संकुल संगठन, ग्राम संगठन तथा स्वसहायता समूह जैसे स्थायी समुदाय आधारित संगठनों को बढ़ावा देकर ग्राम पंचायतें और स्वसहायता समूहों के संघ अभिसरण से काम करेंगी। इसके तहत समुदाय के भीतर सेवा वितरण तंत्र को बढ़ाने के लिए स्थानीय सरकार और लाइन विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाएगा। ग्राम पंचायतों और लाइन विभागों के साथ सीबीओ नेटवर्क भी बनाया जाएगा। यह परियोजना बस्तर जिले के बकावंड, बास्तानार, लोहंडीगुड़ा और तोकापाल विकासखंडों तथा रायपुर जिले के अभनपुर, आरंग, धरसीवा और तिल्दा विकासखंड में संचालित की जाएगी। इसमें इन सभी विकासखंडों की 25-25 ग्राम पंचायतों के ‘बिहान’ के कुल 32 संकुल संगठनों और 640 ग्राम संगठनों सहित इनसे जुड़ी स्वसहायता समूहें हिस्सेदारी करेंगी।
परियोजना का शुभारंभ करते हुए ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान के संचालक श्री पी.सी. मिश्रा ने कार्यशाला में कहा कि बेहतर लाभ पाने के लिए अपने अधिकारों के विषय में जागरूकता और उन्हें हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास करना आवश्यक है। यह परियोजना स्वसहायता समूहों की महिलाओं को अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (CCO) श्रीमती एलिस लकड़ा ने कार्यशाला में बताया कि त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं एवं ‘बिहान’ के अंतर्गत गठित सामुदायिक संगठनों के बीच बेहतर सांमजस्य से गांवों के विकास के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG) के 17 संकेतकों का क्षेत्रीकरण कर उन्हें नौ थीमों में वर्गीकृत किया गया है।
सीओओ श्रीमती लकड़ा ने बताया कि गरीबी मुक्त एवं उन्नत आजीविका पंचायत, स्वस्थ पंचायत, चाइल्ड फ्रेन्डली पंचायत, पानी पर्याप्त पंचायत, स्वच्छ और हरित पंचायत, पंचायत में आत्मनिर्भर अधोसंरचना, सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत, सुशासन वाली पंचायत और महिला हितैषी पंचायत जैसे थीम आपस में किस तरह से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि पंचायतीराज संस्थाएं और ‘बिहान’ के सामुदायिक संगठन आपसी सहभागिता से गरीबी उन्मूलन पर कार्य करेगें तो निश्चित ही ग्रामीण क्षेत्रों को गरीबीमुक्त किया जा सकता है। इसके लिए पंचायतीराज संस्थाओं और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन को एक-दूसरे का पूरक बनकर काम करने की जरूरत है।
पीआरआई-सीबीओ कन्वर्जेन्स परियोजना के प्रभारी अधिकारी श्री जॉन गैब्रियल ने प्रतिभागियों से परियोजना के उद्देश्यों और आगामी दो वर्ष का रोडमैप साझा किया। उन्होंने त्रैमासिक लक्ष्यों के बारे में भी जानकारी दी। एसआईआरडी में संकाय सदस्य डॉ. अशोक जायसवाल ने कार्यशाला में पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में लागू पेसा (PESA) अधिनियम, ग्राम गरीबी उन्मूलन योजना और ग्राम पंचायत विकास योजना के बारे में बताया। ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन के श्री राजीव त्रिपाठी ने कार्यशाला में मौजूद संकुल स्तरीय संगठन के पदाधिकारियों को पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से बेहतर समन्वय कर संयुक्त कार्ययोजना बनाने, उनके क्रियान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
राष्ट्रीय मिशन प्रबंधन इकाई की श्रीमती उषा रानी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पीआरआई-सीबीओ कन्वर्जेन्स परियोजना के माध्यम से हम समूह की दीदियों की हकदारी को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में ‘बिहान’ के अच्छे कार्यों को रेखांकित करते हुए इस नई परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शुभकामनाएं दी। पंचायतीराज संस्थाओं की महिला प्रतिनिधियों और ‘बिहान’ की संकुल स्तरीय संगठन के पदाधिकारियों ने भी कार्यशाला में अपने अनुभव साझा किए।