रायपुर: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशानुसार जशपुर जिले के प्रतिभावान बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के लिये जिला प्रशासन द्वारा नवसंकल्प शिक्षण संस्थान संचालित किया जा रहा है। जिला खनिज न्यास से संचालित इस संस्थान में कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के नेतृत्व में 34 छात्र-छात्राओं ने केन्द्रीय शिक्षक पात्रता एवं छत्तीसगढ़ शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफलता का परचम लहराया है। इन 33 छात्रों में से 25 छात्र- छात्राएं नवसंकल्प के वर्तमान शिक्षक परीक्षा बैच के छात्र हैं जबकि 9 छात्रों ने विभिन्न बैच में संस्थान में रह कर परीक्षा की तैयारी की है
संस्थान के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि बच्चों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिला कर उन्हें उत्कृष्ट भविष्य प्रदान करने के लिए जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन के सहयोग से नव संकल्प शिक्षण संस्थान संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान से 33 छात्र छात्रों का चयन शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षा में हुआ है। सीटैट और सीजीटैट क्वालीफाई करने के बाद छात्र केंद्र और राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली शिक्षक भर्ती के लिए पात्र हो गए हैं, आगे उन्होंने कहा कि एक साथ इतनी संख्या में छात्रों का यह परीक्षा पास करना नवसंकल्प के लिए गौरव की बात है।
दिव्यांग नीरज को मिला नव संकल्प से हौसला
कुनकुरी के छोटे से गांव कोराबहरी के किसान परिवार से आने वाले दिव्यांग नीरज निराला बचपन से ही चलने-फिरने और बोल पाने में कठिनाई होती थी। ऐसे में उन्हें बचपन से ही शिक्षक बन कर लोगों के जीवन में शिक्षा का उजाला लाने का सपना था। उन्होंने उसके लिये जशपुर आ कर शिक्षा प्राप्त करना प्रारम्भ किया। आरम्भिक ज्ञान उपरांत जब शिक्षक बनने के लिए पता किया तो शिक्षक पात्रता परीक्षा की स्वयं तैयारी प्रारम्भ की पर मार्गदर्शन की कमीं से उन्हें अपनी तैयारी अधूरी लगती थी ऐसे में जिला प्रशासन की नव संकल्प पहल उनके लिए वरदान बनीं जहां उन्हें शिक्षकों का सहयोग मिला। जिससे उन्होंने ना सिर्फ छत्तीसगढ़ की राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा बल्कि केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया।
पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ गिरिजा ने पास की पात्रता परीक्षा
जशपुर की श्रीमती गिरिजा यादव शादी के पहले से ही शिक्षक बनने का ख्वाब आंखों में लिए बीएड कर रहीं थी पर उनकी माता की तबियत खराब होने से तैयारी बीच में छूट गयी। साथ ही पारिवारिक दायित्वों के चलते उसका सपना अधूरा रह गया था। उन्हें अपने पारिवारिक दायित्व के साथ सपना पूरा होना नामुमकिन सा लगने लगा ऐसे में नव संकल्प नई किरण बन कर उनके जीवन में आई। अपने 2 साल की छोटी बच्ची को लेकर वे कोचिंग जाने लगी। कोचिंग के शिक्षकों द्वारा उन्हें पूरा सहयोग और मार्गदर्शन दिया गया। जिससे वो मां होने के दायित्व के साथ पढ़ाई कर सकीं और छत्तीसगढ़ और केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा दोनों एक साथ उत्तीर्ण किया।
(Bureau Chief, Korba)