रायपुर: दुर्ग जिले के छोटे से गांव असोगा की रहने वाली श्रीमती मंजू अंगारे आज पूरे पाटन विकासखंड में ‘लड्डू वाली दीदी‘ के नाम से मशहूर हैं। उनकी मेहनत और आत्मनिर्भरता की यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन से कोई भी सफलता की ऊंचाइयों को छू सकता है। असोगा गांव में 12 महिलाओं को साथ लेकर मां संतोषी महिला स्व-सहायता समूह का गठन किया गया, जिसमें मंजू दीदी एक सदस्य के रूप में जुड़ीं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से प्रेरणा लेकर उन्होंने लड्डू बनाने का काम शुरू किया। दीदी अपने हाथों से करी के लड्डू, मुर्रा लड्डू, तिल के लड्डू, मेवे के लड्डू और बेसन के लड्डू तैयार करती हैं।
समूह के माध्यम से मंजू दीदी ने बैंक से एक लाख रुपये का लोन लिया और अपने व्यवसाय की शुरुआत की। शुरुआत में वह अपने गांव की दुकानों और छोटे आयोजनों के लिए लड्डू बनाती थीं। उनकी मेहनत और गुणवत्ता के चलते धीरे-धीरे उनके लड्डुओं की मांग बढ़ने लगी। अब दीदी पाटन ब्लॉक के आसपास के सभी गांवों से भी ऑर्डर ले रही हैं। मंजू दीदी अपने लड्डू व्यवसाय से हर महीने औसतन 15,000 से 20,000 रुपए कमा रही हैं। दीदी को ग्राम संगठन से 60,000 रुपए का सीआईएफ लोन भी मिला, जिसका उपयोग उन्होंने अपने काम को और विस्तार देने में किया। इसके अलावा, समूह को 15,000 रुपए की अनुदान राशि भी मिली, जिससे उनके काम को और मजबूती मिली।
आज मंजू दीदी को आसपास के गांवों से शादी, छट्ठी और अन्य कार्यक्रमों के लिए बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलते हैं। दीदी की मेहनत और उनके उत्पाद की गुणवत्ता ने उन्हें एक ब्रांड बना दिया है। मंजू दीदी अपनी सफलता को गांव की अन्य महिलाओं के साथ साझा करती हैं। उनकी कहानी यह दिखाती है कि कैसे छोटे से गांव की एक साधारण महिला अपने हुनर और आत्मविश्वास के बल पर लखपति बन गई। ‘लड्डू वाली दीदी‘ के नाम से मशहूर मंजू अंगारे आज अपने गांव और आसपास के इलाकों में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं।
(Bureau Chief, Korba)