- मनरेगा से आत्मनिर्भरता की ओर
रायपुर: मनरेगा के तहत गांवों में पशुपालन के लिए आवश्यक अधोसंरचना के निर्माण से कई गांवों में ग्रामीणों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव आने लगा है। मनरेगा के अंतर्गत पंचायत स्तर पर मछली पालन के लिए तालाब व डबरी का निर्माण पशुपालन एवं मुर्गी पालन शेड निर्माण के कार्य कराया जा रहा है। इन कार्यों से ग्रामीणों को रोजगार मिलने के साथ ही उनके जीवन स्तर में काफी सुधार आ रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रहीं है।
मस्तूरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत जुनवानी निवासी श्री भरत लाल टंडन के पास कोई रोजगार, व्यवसाय नहीं था। परिवार की आजीविका चलाने के लिए उन्हें अपने घर से दूर रह कर मेहनत, मजदूरी करना उनकी मजबूरी थीं। गंाव में रोजगार सहायक द्वारा उन्हे मनरेगा के तहत कराये जा रहे कार्याे की जानकारी मिली। मनरेगा के तहत मुर्गीपालन के लिए 81 हजार रूपए की लागत से शेड निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ। इससे मनरेगा श्रमिकों को रोजगार भी मिला। मुर्गी पालन शेड निर्माण हितग्राही एवं मनरेगा श्रमिकों द्वारा पूरा किया गया। इस कार्य में 46 मानव दिवस सृजित किया गया। काम के पूरा होने पर भरत लाल मुर्गी पालन कर रहें है।
श्री टंडन ने बताया की उन्हें मुर्गीपालन में एक वर्ष में 80 हजार रूपए का मुनाफा हुआ है। शेड बन जाने के बाद श्री टंडन को अपनी आजीविका चलाने में बड़ी राहत मिली हैै, जिससे उनकी आय में भी इजाफा हो रहा है। उन्हें अपने परिवार की अजीविका चलाने में अब कोई परेशानी नहीं हो रहीं है। श्री टंडन ने शासन को धन्यवाद देते हुए आभार जताया।
(Bureau Chief, Korba)