
रायपुर (BCC NEWS 24): वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन की इकाई और मध्य भारत में कैंसर उपचार के क्षेत्र में अग्रणी बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) ने अपने तीसरे ‘छत्तीसगढ़ कैंसर कॉन्क्लेव’ का सफल आयोजन किया। इस कॉन्क्लेव में 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कैंसर विशेषज्ञ और 1,200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें ऑन्कोलॉजिस्ट, जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ, नीति-निर्माता और शोधकर्ता शामिल थे। कार्यक्रम का उद्देश्य कैंसर उपचार को सुलभ, मरीजों के परिणामों में सुधार और शोध को आगे बढ़ाना था।

कैंसर कॉन्क्लेव के इस वर्ष का थीम ’ड्राइविंग कॉमन-सेंस ऑन्कोलॉजी–मल्टीडिसिप्लिनरी मैनेजमेंट ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, जेनिटोयूरिनरी एंड लंग कैंसर पर आधारित था। इसका उद्देश्य बेहतर इलाज परिणामों के लिए बहु-विशेषज्ञ सहयोग के महत्व को बढ़ावा देना है। ई-कैंसर, टाटा मेमोरियल सेंटर और नेशनल कैंसर ग्रिड के सहयोग से आयोजित इस तीन दिवसीय कॉन्क्लेव में 20 से अधिक विशेषज्ञ पैनल चर्चाएँ हुईं।
कॉन्क्लेव के दौरान कई विशेष कार्यशाला आयोजित की गई, जिनमें कार्ट-टी सेल अफेरेसिस, सिर और गर्दन के कैंसर की लाइव सर्जरी डेमोंस्ट्रेशन, मिनी-अकॉर्ड रिसर्च वर्कशॉप, जीवन की अंतिम अवस्था में मरीज और परिजनों से संवाद करने का प्रशिक्षण और स्टेरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरेपी (एसबीआरटी) पर हैंड्स-ऑन कॉन्टूरिंग वर्कशॉप शामिल थीं। इसके साथ ही ‘वीमेन फॉर ऑन्कोलॉजी’ नेटवर्क मीटिंग और सामुदायिक स्तर पर कैंसर रोकथाम को सशक्त करने हेतु एक विशेष कार्यशाला भी आयोजित हुई।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन (वीएमआरएफ) की निदेशक श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने कहा कि विश्वस्तरीय कैंसर विशेषज्ञों की मेजबानी करना हमारे लिए सम्मान की बात है। कैंसर की रोकथाम ही सबसे सशक्त इलाज है। वीएमआरएफ का मिशन है कि समुदाय को समय पर जांच एवं इलाज के लिए जानकारी, साधन और स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। यह कॉन्क्लेव हमारे इस संकल्प को दोहराता है कि हम केवल इलाज ही नहीं, बल्कि रोकथाम को भी प्राथमिकता दें, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ भविष्य बनाया जा सके।
डॉ. शैलेश श्रीखंडे, डिप्टी डायरेक्टर, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल एवं हेड, कैंसर सर्जरी ने कहा कि भारत में कैंसर देखभाल को रोकथाम से लेकर आधुनिक इलाज तक पूरी श्रृंखला को शामिल करना चाहिए। यह कॉन्क्लेव दिखाता है कि जब वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित रोकथाम रणनीतियाँ बहुविषयक विशेषज्ञता से मिलती हैं, तो हम कैंसर के मामलों और मृत्यु दर दोनों को कम कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में वैज्ञानिक मूल्यों और नैतिकता को बनाए रखना बेहद आवश्यक है।
वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन (बीएमसी) की चिकित्सा निदेशक डॉ. भावना सिरोही ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मामलों में तेज़ी से वृद्धि चिंता का विषय है। इसलिए जागरूकता और रोकथाम को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। लोगों को समझना होगा कि सही उपायों और समय पर उपचार से कैंसर को रोका भी जा सकता है जो किफायती व इलाज योग्य भी होता है। हमारा लक्ष्य है कि रोकथाम को कैंसर देखभाल में सबसे सुलभ और न्यायसंगत रूप बनाया जाए।
डॉ. दिवाकर पांडे, कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, बालको मेडिकल सेंटर ने कहा कि कैंसर के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर किया गया शोध बेहद महत्वपूर्ण है। यह देखकर खुशी होती है कि युवा ऑन्कोलॉजिस्ट ऐसे शोध कर रहे हैं जो उनके मरीजों की ज़रूरतों से जुड़े हैं। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में किफायती और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त रोकथाम रणनीतियाँ विकसित होंगी।
इस कॉन्क्लेव के तीसरे संस्करण ने बीएमसी की इस प्रतिबद्धता को और मजबूत किया कि मध्य भारत में एक व्यापक कैंसर इकोसिस्टम विकसित किया जाए, जिसमें उत्कृष्ट इलाज के साथ-साथ रोकथाम, जनजागरूकता और शिक्षा भी शामिल हो। कार्यक्रम का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि कैंसर रोकथाम को सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्राथमिकता बनाया जाए, ताकि आने वाले दशकों में भारत में कैंसर का बोझ कम किया जा सके।

(Bureau Chief, Korba)