रायपुर: सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद भी सौम्या चौरसिया, रानू साहू और सूर्यकांत तिवारी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। कोल केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली तो EOW ने DMF घोटाले में गिरफ्तारी कर ली है।
तीनों को EOW ने रायपुर कोर्ट में पेश कर 6 दिन की रिमांड मांगी थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 3 दिनों की रिमांड पर सौंप दिया है। 6 मार्च तक EOW की टीम पूछताछ करेगी।
इससे पहले सोमवार को ही कोल घोटाले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। यह जमानत एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज मामले में दी गई है।

आय से अधिक संपत्ति के मामले में सौम्या जेल में बंद हैं। इस मामले में उन्हें जमानत नहीं मिली है। ऐसे में उनका जेल से बाहर आना आसान नहीं है।
जेल से निकलना मुश्किल
शराब घोटाले में आरोपी निलंबित IAS रानू साहू और समीर बिश्नोई के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज है। इस मामले में पहले ही सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि, रानू साहू और समीर बिश्नोई अब तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं लेकिन, DMF घोटाले में उनकी गिरफ्तारी हो गई है।
हो सकती है जमानत याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि, आरोपी अगर किसी गवाह को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने में लिप्त पाया जाता है, तो राज्य सरकार अंतरिम जमानत रद्द कराने के लिए कोर्ट में आवेदन कर सकती है। ऐसी स्थिति में अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी। बता दें कि इन सभी हाई प्रोफाइल आरोपियों को एंटी करप्शन ब्रांच की ओर से दाखिल मुकदमे में अंतरिम जमानत मिली है।
इन्हें दी गई अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित IAS रानू साहू, निलंबित IAS समीर बिश्नोई, निलंबित राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, शिवशंकर नाग, दीपेश टांक, हेमंत जायसवाल, राहुल कुमार सिंह, चंद्रप्रकाश जायसवाल, शेख मोइनुद्दीन कुरैशी, रोशन कुमार सिंह और संदीप कुमार नाग को अंतरिम जमानत दी है।
सुप्रीम कोर्ट सुनाया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, इस मामले की जांच में समय लगेगा, इसलिए बिना किसी जल्दबाजी के आरोपियों को अंतरिम जमानत दी जा रही है। हालांकि, यह जमानत कुछ शर्तों के साथ दी गई है। आरोपी जमानत के बाद भी उचित आचरण बनाए रखें और अदालत के निर्देशों का सख्ती से पालन करें। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह आरोपियों के आचरण की रिपोर्ट प्रस्तुत करे, ताकि मामले की जांच में ट्रांसपेरेंसी बनी रहे।
जांच में कोई हस्तक्षेप का इरादा नहीं
यह फैसला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनाया। जस्टिस सूर्यकांत ने अपने आदेश में कहा कि अदालत किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है और न ही जांच में हस्तक्षेप करना चाहती है। अदालत की मंशा सिर्फ यह तय करने की है कि आरोपी जमानत की शर्तों का पालन करें और निष्पक्ष जांच में सहयोग करें।

(Bureau Chief, Korba)