Tuesday, June 24, 2025

रायपुर : फैंसी स्टोर से सजे वेदकुमारी के सपने

  • आत्मनिर्भरता से घर की आर्थिक स्थिति हुई मजबूत

रायपुर: आत्मनिर्भर भारत में महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहीं हैं और आत्मनिर्भर बन रहीं हैं। ऐसी ही आत्मनिर्भरता से अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाईं हैं, धमतरी विकासखंड के ग्राम पंचायत सोरम की श्रीमती वेदकुमारी साहू ने। वेदकुमारी कहतीं हैं कि ’’सपनों की दुकान जब हिम्मत से सजे, तो जिंदगी खुद ब खुद खूबसूरत हो जाती है। वे बतातीं हैं कि वे एम.ए. तक पढ़ीं हैं और अपने पति के साथ मनरेगा मजदूरी का काम कर रहीं थीं। मजदूरी करते-करते ही उनके मन में व्यवसाय करने की इच्छा हुई। तब वेदकुमारी को छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ’’बिहान’’ की जानकारी मिली और वे जय मां दुर्गा महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ गईं।

आत्मनिर्भरता से घर की आर्थिक स्थिति हुई मजबूत
आत्मनिर्भरता से घर की आर्थिक स्थिति हुई मजबूत

इसके बाद सार्थक महिला क्लस्टर संगठन रुद्री के माध्यम से फैंसी स्टोर संचालन के लिए व्यक्तिगत ऋण के तौर पर ढाई लाख रुपए और बैंक लिंकेज ऋण आठ लाख रुपए भी लिया। इस राशि से उन्होंने गांव में नवजागरण चौक के पास फैंसी स्टोर शुरू किया। इस फैंसी स्टोर में चूड़ियां, बिंदी, क्रीम, पाउडर, मेंहदी, सिंदूर, हेयर क्लिप, आर्टिफिशियल गहने, पर्स, उपहार सामग्री आदि बेचने लगीं। श्रीमती वेदकुमारी त्यौहारों के समय में फैंसी सामग्रियों में विशेष छूट देती हैं और त्यौहार के अनुरूप सजावट के साथ बेचतीं हैं, जिससे उनकी बिक्री दोगुनी हो जाती है। अब उनकी फैंसी दुकान स्थानीय महिलाओं की पहली पसंद बन चुकी है। इससे वेदकुमारी को हर महीने 10 से 12 हजार रूपए की शुद्ध आमदनी मिलने लगीं। इतना ही नहीं गांव और आसपास के गांवों में वेदकुमारी ठेले के जरिए भी फैंसी सामग्रियां बेचतीं हैं, जिसमें उनके पति सहायता करते हैं। इससे उनके घर की ज़रूरतें तो पूरी हो ही रहीं हैं, इसके साथ ही बच्चों की पढ़ाई और अन्य आवश्यकताओं के लिए राशि का बचत भी हो जाता है।

वेदकुमारी का फैंसी स्टोर गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया है। श्रीमती वेदकुमारी गांव की अन्य महिलाओं और युवतियों को भी अपने व्यवसाय की पहचान और मार्केटिंग के बारे में जानकारी देती रहतीं हैं। उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करतीं हैं। अब वह गांव की महिला उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं। वेदकुमारी यह भी बताती है कि स्थानीय पंचायत और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मेलों और प्रदर्शनी में स्टॉल लगाने के लिए प्रोत्साहन मिला। समूह के माध्यम से बाजार से जोड़े रखने में भी सहयोग मिलता है। वेदकुमारी ने यह सिद्ध कर दिया कि व्यवसाय का आकार नहीं, सोच और समर्पण मायने रखता है। एक छोटे से फैंसी स्टोर से उन्होंने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि अपने आत्मविश्वास और पहचान को भी सजाया-संवारा। 


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