RAIPUR: रायपुर के तेलीबांधा तालाब में लगातार मछलियां मर रही है। पिछले एक सप्ताह से यह सिलसिला जारी है । जिसकी वजह से तालाब के पानी से बदबू आने लगी है। बताया जा रहा है कि तालाब के पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने से ऐसा हो रहा। तालाब में मछलियों के मरने की शिकायत के बाद रायपुर नगर निगम की ओर से तालाब के किनारे चूना और ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव किया जा रहा है ।
लेकिन उसका असर भी नही दिख है। मंगलवार को भी तालाब में कई मछलियां मरी हुई मिली। तालाब की सफाई करने वाले कर्मचारी ने बताया कि रोजाना तालाब में मछलियां मर रही है। छिड़काव भी किया जा रहा लेकिन स्थिति नही सुधर रही है।पूर्व में निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा के निर्देश बाद अफसरों ने तालाब का निरीक्षण किया था। निगम ने अधिकारियों ने जरूरी उपाय शुरू किए लेकिन अब भी इसका असर नही दिख रहा है।
मंगलवार को तेलीबांधा तालाब में मछली की मौत
छत्तीसगढ़ में मछली पकड़ने पर होगी जेल
छत्तीसगढ़ में मछलियों को पकड़ना बैन कर दिया गया है। इसे लेकर सरकार ने एक आदेश भी जारी किया है। ये बैन 16 जून से 15 अगस्त तक लगाया गया है। इस बीच मछली पकड़ते पाए जाने पर FIR दर्ज की जाएगी। जेल के साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
आदेश को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कहा गया है कि बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया है। ये वक्त मछलियों के ब्रीडिंग के लिए अच्छा होता है। उन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। इसलिए राज्य में छत्तीसगढ़ नदीय मत्स्योद्योग अधिनियम 1972 के तहत 16 जून से 15 अगस्त 2024 तक की अवधि को बंद ऋतु (क्लोज सीजन) के रूप में घोषित किया गया है।
जहां मछलियों के केज बनाए गए हैं पालन के लिए वहां ये नियम लागू नहीं होगा।
यहां लागू होगा नियम
प्रदेश के सभी नदी-नालों और छोटी नदियों, सहायक नदियों में जिन पर सिंचाई के तालाब या जलाशय (बड़े या छोटे) जो निर्मित किए गए हैं, केज कल्चर को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के मछली पकड़ना प्रतिबंधित रहेगा। आदेश में कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने पर अधिनियम के तहत एक साल का कारावास या 10 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
2 लाख से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं
छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 2.20 लाख से ज्यादा लोग मछली पालन के काम से जुड़े हुए हैं। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण तालाब, सिंचाई जलाशय, नदियां इन तीन कैटेगरी में वाटर बॉडी को बांटा गया है। इन्हीं में मछलियों का उत्पादन होता है। राज्य में 1 लाख 29 हजार 39 तालाब हैं, जिनमें साल 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 7.30 लाख तन मछलियों का उत्पादन हुआ था।
यहां भी हुई थी मछलियों की मौत
14 जून को बलरामपुर जिले के पलटन घाट के कन्हर नदी में बड़ी संख्या में मछलियां मृत मिली। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मछुआरों ने ज्यादा मछली के लालच में पानी में जहर मिलाया। इसी जहर के कारण ही इतनी ज्यादा तादाद में मछलियों की मौत हुई। जहर के कारण नदी का पानी भी दूषित हो चुका है।
मिली जानकारी के मुताबिक अचानक नदी की सारी मछलियां मर गई, जिससे नदी के आसपास बदबू फैल गई। नदी में आसपास के ग्रामीण नहाने के लिए आते हैं। इसके अलावा नदी का पानी पीने के लिए भी उपयोग करते हैं। मवेशी और पशु-पक्षी भी नदी का पानी पीते हैं। ऐसे में अब नदी का पानी जानलेवा साबित ना हो इसका खतरा बना हुआ है।
(Bureau Chief, Korba)