- रक्तदान कर बचाई आदिवासी महिला की जान, ना प्रेरणा का स्रोत
रायपुर: छत्तीसगढ़ के दूरस्थ और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित आदिवासी अंचल नारायणपुर में इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक जवान ने असाधारण संवेदनशीलता और मानवता का परिचय देते हुए एक महिला की जान बचाई। यह घटना जिला अस्पताल नारायणपुर की है, जहां गंभीर रूप से बीमार महिला को परिजनों द्वारा भर्ती कराया गया था।
महिला अत्यधिक एनीमिया (एचबी 5.2), उच्च रक्तचाप, अनियंत्रित मधुमेह और एक्यूट किडनी इंजरी जैसी जटिल समस्याओं से ग्रस्त थी। डॉक्टरों ने तत्काल तीन यूनिट रक्त की आवश्यकता बताई, लेकिन महिला का रक्त समूह दुर्लभ होने के कारण परिवार के सभी प्रयास असफल रहे। ऐसे संकट की घड़ी में आईटीबीपी की 41वीं बटालियन में पदस्थ कांस्टेबल (सीटी जीडी) श्री बलजीत सिंह फरिश्ता बनकर सामने आए।
परिजनों के अनुरोध पर बलजीत सिंह ने बिना किसी हिचकिचाहट के तत्क्षण रक्तदान कर दिया। उनका यह साहसिक और मानवीय कदम न केवल एक महिला की जान बचाने में सहायक बना, बल्कि समाज के प्रति सुरक्षाबलों की समर्पण भावना को भी दर्शाता है। मरीज के परिजनों ने भावुक होकर कहा जब हर रास्ता बंद हो गया, तब आईटीबीपी कैंप से मिली यह मदद हमारे लिए जीवनदान साबित हुई। बलजीत सिंह का यह योगदान हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं। अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों ने भी जवान के इस कार्य की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
यह घटना बताती है कि वर्दी केवल सीमा की सुरक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि मानवता की रक्षा और सेवा का भी प्रतीक बन चुकी है। बलजीत सिंह का यह सेवा भाव न केवल सुरक्षाबलों की संवेदनशील छवि को सुदृढ़ करता है, बल्कि युवाओं को भी समाज सेवा के प्रति प्रेरित करता है।

(Bureau Chief, Korba)