Saturday, September 6, 2025

रायपुर : एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में पिछले वर्ष की तुलना में लगाई 11 पायदानों की छलांग

  • कामयाबी के नए शिखर पर छत्तीसगढ़ का कृषि विश्वविद्यालय
  • इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को भारत सरकार द्वारा जारी
  • एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में मिला 28वां स्थानएन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में स्थान प्राप्त करने वाला राज्य का एकमात्र विश्वविद्यालय बना
  • मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने दी बधाई और शुभकामनाएं 
         
    रायपुर (BCC NEWS 24): इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के नेतृत्व में कृषि शिक्षा के क्षेत्र में एक बार फिर कामयाबी का परचम फहराते हुए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग हेतु नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.आई.आर.एफ.) द्वारा वर्ष 2024-25 हेतु जारी टॉप 40 संस्थानों में जगह बनाई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में संचालित 173 उच्च शिक्षा संस्थानों हेतु जारी एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में 28वां स्थान प्राप्त हुआ है। इस प्रकार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने एक वर्ष की अवधि में एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में 11 पायदानों की छलांग लगाई है। वर्ष 2023-24 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में 39वां स्थान प्राप्त हुआ था। छत्तीसगढ़ राज्य से एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में स्थान प्राप्त करने वाला एक मात्र विश्वविद्यालय है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं महाराष्ट्र जैसे बड़े एवं विकसित राज्यों से किसी भी कृषि विश्वविद्यालय को एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में जगह नहीं मिली है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने इस उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने इस उपलब्धि के लिए सभी प्रशासनिक अधिकारियों, प्राध्यापकों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि देश भर के 173 कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि शिक्षा संस्थानों में 28वां स्थान हासिल करना गर्व का विषय है। डॉ. चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय को यह रैंकिंग पिछले तीन वर्षों में किये गये कार्यां एवं उपलब्धियों के आधार पर मिली है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले दो वर्षों में शैक्षणिक, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों के क्षेत्र में किये गए उल्लेखनीय प्रयासों तथा अधोसंरचना विकास के लिए किये जा रहे कार्यां को देखते हुए आगामी वर्ष विश्वविद्यालय की एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में और भी सुधार होगा तथा जल्द ही हम देश के टॉप 10 विश्वविद्यालयों में स्थान बनाने में सफल होंगे।

डॉ. चंदेल ने बताया कि एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग हेतु निर्धारित मापदण्ड़ों जैसे अधोसंरचना विकास (महाविद्यालय भवन, छात्रावास, लाईब्रेरी, सभागृह आदि) छात्र सुविधाएं, छात्र शिक्षक अनुपात, अनुसंधान कार्य, शोध पत्र प्रकाशन, पेटेन्ट, नवाचार, उद्यमिता विकास आदि सभी क्षेत्रों में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय कार्य किया है जिसका लाभ आने वाले वर्षां में जारी रैंकिंग में मिलेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन का कार्य वर्तमान शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ किया जा चुका है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित 28 शासकीय कृषि, कृषि अभियांत्रिकी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालयों के भवनों का निर्माण हो चुका है अथवा प्रगति पर है। सभी महाविद्यालयें में छात्रावास, लाइब्रेरी, सभागृह उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। लगभग 500 नवीन प्रौद्योगिकी, उत्पादों एवं पौध किस्मों के पेटेन्ट प्राप्त हो चुके हैं। विश्वविद्यालय द्वारा विगत तीन वर्षों में 13 फसलों की 22 नवीन उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, 91 नवीन प्रौद्योगिकी अधिसूचित की गई है, 46 उत्पादन प्रौद्योगिकी विकसित की गई है तथा 45 नवीन कृषि यंत्र विकसित किये गये हैं। कृषिविश्वविद्यालय को चार अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ  केन्द्र का पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। 

विश्वविद्यालय द्वारा नवीन कृषि अनुसंधान हेतु विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संस्थानों के साथ 70 से अधिक समझौते भी किये गये हैं। विश्वविद्यालय के प्रयासों से नगरी दुबराज एवं बांसाझाल जीरा फूल चावल को जी.आई. टैग प्राप्त हो चुका है। राज्य शासन द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविंद्यालय के विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों को अन्तर्राश्ट्रीय संस्थानों में अध्ययन एवं अनुसंधान हेतु 1 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध कराई गई है जिससे यहां के विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों को विश्व स्तरीय शिक्षण एवं अनुसंधान के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने बताया कि शोध पत्र, तकनीकी प्रकाशन एवं कृषकोपयोगी प्रकाशनों हेतु विश्वविद्यालय द्वारा 25 लाख रूपये का बजट स्वीकृत किया गया है जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। डॉ. चंदेल ने बताया कि उन क्षेत्रों को भी चिन्हित कर लिया गया है जहां हम पीछे रह गये और आगामी वर्षों  में इन क्षेत्रों में भी आगे बढ़ने का प्रयास किया जायेगा।



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