रायपुर: हाल ही में कोनी-मोपका बायपास मार्ग को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भ्रामक और तथ्यहीन जानकारी प्रसारित की जा रही है, जिसमें मार्ग निर्माण में तथाकथित रूप से ‘स्पेस टेक्नोलॉजी‘ के उपयोग और काली मिट्टी डालने के आरोप लगाए गए हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि उक्त सभी दावे निराधार, भ्रामक और तकनीकी तथ्यों से परे हैं।
कोनी-मोपका बायपास मार्ग (लंबाई 13.40 किलोमीटर) का निर्माण कार्य वर्ष 2010 से 2014 के बीच भारतीय सड़क कांग्रेस (प्त्ब्) के मापदंड प्त्ब् 37-2001 के अनुरूप किया गया था। यह कार्य 15 वर्ष की डिज़ाइन लाइफ के साथ 5 एम.एस.ए. ट्रैफिक लोड क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया था। निर्माण में किसी भी स्तर पर कृषि मिट्टी या काली मिट्टी का उपयोग नहीं किया गया, बल्कि तकनीकी मानकों के अनुसार 500 मिमी सब ग्रेड, 250 मिमी जी.एस.बी., 250 मिमी डब्ल्यू.एम.एम., 55 मिमी डी.बी.एम. एवं 25 मिमी एस.डी.बी.सी. की परतों का निर्माण किया गया था।
मार्ग निर्माण हेतु शासन द्वारा 9 अक्टूबर 2009 को 3574 लाख रुपये (भू-अर्जन सहित) की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसमें से 2191.93 लाख रुपये व्यय किए गए। निर्माण के दौरान वर्ष 2014-16 में अरपा नदी पर बने पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण समस्त भारी वाहन ट्रैफिक इस मार्ग पर डाइवर्ट कर दिया गया, जिससे मार्ग पर अप्रत्याशित दबाव पड़ा। उस अवधि में छज्च्ब्, स्पंज आयरन इकाइयों और कोल वाशरियों की आवाजाही के कारण मार्ग की क्षति हुई, जो निर्माण दोष नहीं बल्कि विनिर्दिष्ट क्षमता से कई गुना अधिक यातायात दबाव का परिणाम था।
वर्तमान में यातायात घनत्व 40 एम.एस.ए. से अधिक हो चुका है, जबकि मार्ग केवल 5 एम.एस.ए. के अनुरूप डिज़ाइन किया गया था। इसी के दृष्टिगत मार्ग के फोरलेन निर्माण हेतु रु. 6313.03 लाख की योजना शासन को वर्ष 2025-26 में ठप् छव. 4797 के तहत भेजी गई है, जिसकी स्वीकृति प्रक्रिया में है। जनता से अपील है कि सोशल मीडिया में वायरल हो रहे इस प्रकार के अर्धसत्य और मनगढ़ंत दावों पर विश्वास न करें। शासन द्वारा सभी निर्माण कार्य तकनीकी मापदंडों एवं पारदर्शिता के साथ कराए जा रहे हैं। किसी प्रकार की शिकायत या सुझाव के लिए संबंधित विभागों से सीधे संपर्क किया जा सकता है।

(Bureau Chief, Korba)