Friday, November 22, 2024
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है औषधीय पौधों के नुस्खों का वैज्ञानिक रूप से दस्तावेजीकरण – एपीसीसीएफ पांडेय

  • ‘‘औषधि विकास के लिए पारंपरिक स्वदेशी औषधीय पौधों के हालिया रुझान और भविष्य की संभावनाएं’’ विषय पर रायपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

रायपुर: वन विभाग के एडिशनल पीसीसीएफ श्री अरूण कुमार पांडे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से राज्य में औषधि पौधों की खेती को बढ़ावा देने के साथ ही औषधीय पौधों के नुस्खों का वैज्ञानिक रूप से दस्तावेजीकरण और सत्यापन किया जा रहा है। उन्होंने वेदों और उपनिषदों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक पौधे और वृक्ष का औषधीय महत्व है, और हमें उनके संरक्षण व अध्ययन पर ध्यान देना चाहिए। श्री पांडे आज “औषधि विकास के लिए पारंपरिक स्वदेशी औषधीय पौधों के हालिया रुझान और भविष्य की संभावनाएं” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।

यह संगोष्ठी रायपुर के श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, श्री अरुण कुमार पांडे ने पारंपरिक ज्ञान पर आधारित सतत विकास और औषधीय पौधों के संरक्षण के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा आयुष विभाग के साथ मिलकर पारंपरिक सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सकों जैसे बैगा, गुनिया, सिरहा, और वैद्य का प्रमाणीकरण किया जा रहा है। उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त वैद्यराज हेमचंद मांझी के पारंपरिक स्वास्थ्य सेवाओं में पांच दशकों के अमूल्य योगदान की सराहना की।

श्री पांडे ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए, क्योंकि यह कैंसर जैसे गंभीर रोगों के इलाज में भी प्रभावी है। उन्होंने ग्लोरियोसा सुपरबा (कलिहारी) और वेंटिलागो डेंटिकुलता (लाल लता) जैसे औषधीय पौधों का उदाहरण दिया, जो त्वचा रोगों के उपचार में उपयोगी हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में वन औषधालयों की स्थापना  की गई है। इसके माध्यम से आयुर्वेद चिकित्सकों के सहयोग से औषधीय पौधों के पारंपरिक उपयोग को संरक्षित और प्रोत्साहित किया जा रहा है। श्री पांडे ने पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शोध को एकीकृत करने पर बल दिया, जिससे सतत स्वास्थ्य सेवा और स्वदेशी औषधीय प्रजातियों का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

संगोष्ठी में कुलपति प्रो. एस.के. सिंह ने कहा कि छात्रों को अपने ज्ञान का उपयोग समाज और राष्ट्र के निर्माण में करना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक और फार्मेसी विभाग के प्राचार्य, डॉ. विजय कुमार सिंह ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य औषधीय पौधों के उपयोग और नई औषधियों के विकास के लिए शोध उपलब्धियों और अवसरों की तलाश करना है। कुलसचिव डॉ. सौरभ कुमार शर्मा ने इस प्रासंगिक थीम पर संगोष्ठी के आयोजन के लिए फार्मेसी विभाग को बधाई दी पहले दिन के तकनीकी सत्र में प्रो. चंचल दीप कौर, डॉ. नागेंद्र सिंह चौहान और डॉ. सुशील के. शशि जैसे विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में 500 से अधिक प्रतिभागी, जिनमें शोधकर्ता, विद्यार्थी और शिक्षाविद, ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से जुड़े।




Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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