Thursday, November 28, 2024
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रायपुर : स्टील उत्पादकों ने ऊर्जा प्रभार में बड़ी छूट से बढ़ाया अपना मार्जिन, आम उपभोक्ताओं को नहीं दिया लाभ

  • छूट अवधि में लोहे का भाव 34,000 रू. से बढ़ कर पहुचा 53,000 रू.
  • छत्तीसगढ़ में स्टील उद्योगों को छूट की रहस्यमय कहानी

रायपुर: सरकारें जब किसी उद्योग को जब कोई रियायत, छूट या सब्सिडी देती हैं तो उनका प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि उत्पादन बढ़े और इसका अंतिम लाभ आम जनता को वह वस्तु सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सके लेकिन छत्तीसगढ़ में विगत 4 वर्षों में उल्टी गंगा ही बहाई गई। विगत 5 वर्षों के आंकड़ों को देखा जाए तो इस मामले में बड़ी विरोधाभाषी तस्वीर नजर आती है।  स्टील उत्पादकों ने उत्पादन तो बढ़ाया लेकिन दाम कम होने की बजाय बढ़ते चले गये। वर्ष 2018-19 में जहां 100 मिलियन टन उत्पादन पूरे देश में हुआ था और दर 33,833 रू. प्रति टन थी जो वर्ष 2022-23 में बढक़र 53,036 रू. प्रति टन हो गई।

यह दिलचस्प कहानी छत्तीसगढ़ के संदर्भ में विशेष तौर पर मौजूं है क्योकिं इसमें स्टील उद्योगपतियों के खाते में लाभ का मार्जिन बढ़ाने में मुख्य भूमिका तत्कालीन राज्य सरकार ने निभाई है। छत्तीसगढ़ राज्य इस बात के लिए प्रसिद्ध है कि देश के कुल स्टील उत्पादन का 30 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में ही होता है। छत्तीसगढ़ में देश की सर्वाधिक गुणवत्ता वाली लौह अयस्क खदानें है। आम जनता को यह अपेक्षा रहती है कि हमारी खदानों, हवा, पानी और सरकारी मदद का लाभ जनता को सस्ते लोहे के रूप में मिले। लेकिन पूर्व राज्य सरकार का गड़बढ़झाला सामने आते ही लोग हैरान-परेशान हो रहे है। देश में स्टील उत्पादन के आंकड़ों  में  छत्तीसगढ़  के  30  प्रतिशत  का  आकलन  किया  जा  सकता  है।  भारत  में  वर्ष 2017-18 में 100 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि  औसत वार्षिक दर 33,833 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2019-20 में 104 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 34,198 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2020-21 में 112 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर  45,072  रू.  प्रति  टन  थी।  वर्ष  2021-22  में  118  मिलियन  टन  उत्पादन  हुआ  जबकि औसत वार्षिक दर 51,089 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2022-23 में 125 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 53,036 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2023-24 में 142 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 50,109 रू. प्रति टन थी। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ में अचानक और आश्चर्यजनक ढ़ंग  से  जो  टैरिफ  आदेश  जारी  किया  गया  था  उसमें  लोड  फैक्टर  छूट  को  अधिकतम  8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया था जबकि पॉवर कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था। इसके कारण स्टील उत्पादकों को प्रति वर्ष लगभग 750 करोड़ रू. का अतिरिक्त लाभ मिला था लेकिन प्रदेश में स्टील की दरों में कमी के बदले ड़ेढ गुना तक वृद्धि की गई थी।




Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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