रायपुर: संकल्प, आत्मविश्वास और अवसर का सही उपयोग इन तीनों ने दंतेवाड़ा जिले के ग्राम कुआकोण्डा पुजारीपारा की कुमारी यशोदा नाग की जिंदगी बदल दी। परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों का बोझ, सीमित शैक्षणिक संसाधन और बेरोज़गारी जैसी चुनौतियों के बीच यशोदा ने हार नहीं मानी। जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति की आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना ने उनके जीवन में नई उम्मीद और आत्मनिर्भरता की राह खोली। आज यशोदा अपने किराना व्यवसाय से प्रतिमाह 7,000 से 10,000 रुपये की आमदनी अर्जित कर अपने परिवार का सहारा बन चुकी हैं।
यशोदा नाग बताती हैं कि वर्ष 2023-24 से पूर्व उनके सामने भविष्य को लेकर गहरी अनिश्चितता थी। पिता स्वर्गवासी होने के बाद परिवार की संपूर्ण जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। मां और दो छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई से लेकर घर-परिवार के संचालन तक, सभी दायित्व उन्हें निभाने थे। परिस्थितियों के कारण वे केवल 12वीं तक ही शिक्षा प्राप्त कर सकीं। नौकरी की अनेक कोशिशों के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली, परंतु उन्होंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा।
इसी दौरान उन्होंने आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना के बारे में जानकारी हासिल की। जिला समिति दंतेवाड़ा में आवश्यक दस्तावेज जमा कर उन्होंने इस योजना का लाभ प्राप्त किया। योजना के अंतर्गत उन्हें 2 लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया, जिससे उन्होंने किराना दुकान प्रारंभ की। आज यह दुकान उनकी आजीविका का स्थायी स्रोत है। यशोदा बताती हैं कि उन्हें ऋण की किश्तें जमा करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती और व्यवसाय निरंतर प्रगति कर रहा है। वे बताती हैं “इस व्यवसाय ने मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी है। आज मैं स्वयं के पैरों पर खड़ी हूँ और अपने परिवार का सहारा बन चुकी हूँ। यह उपलब्धि मेरे लिए गर्व और संतोष का विषय है। शासन की इस योजना ने मुझे नया जीवन दिया है।”

(Bureau Chief, Korba)




