Thursday, July 4, 2024
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रायपुर : सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं के लिए आजीविका संवर्धन पर दो दिवसीय कार्यशाला

  • ग्राम सभाओं का सशक्त होना अत्यंत महत्वपूर्ण: श्री नरेन्द्र कुमार दुग्गा

रायपुर: आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के सचिव सह आयुक्त श्री नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने कहा है कि व्यक्तिगत, सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरण तथा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार वितरण के बाद अब ग्राम सभाओं को सशक्त करना हमारा प्रमुख उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि जब ग्राम सभाएं सशक्त होगी, तभी वन अधिकार अधिनियम का शत्-प्रतिशत लाभ हासिल किया जा सकेगा। श्री दुग्गा आज सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं के लिए आजीविका संवर्धन के लिए वन संरक्षण एवं प्रबंधन पर जिलों से हितधारकों की दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यशाला 27 से 28 जून 2024 को आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, नवा रायपुर में आयोजित की जा रही है।

कार्यशाला में श्री दुग्गा ने बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति (ब्थ्त्डब्) के गठन और उनकी भूमिकाओं के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों के परिपालन में प्रदेश में महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वन संसाधनों एवं लघु वनोपज का केवल 2 प्रतिशत ही सरकारी माध्यम से खरीद होता है, जबकि शेष 98 प्रतिशत भाग व्यापारी एवं बिचौलियों के माध्यम से खरीदा जाता है। इस कारण से उपज का सही दाम संग्रहणकर्ताओं, हितधारकों को नहीं मिल पाता। अतः इस ओर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। सामुदायिक वन संसांधन प्रबंधन समितियां इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

दो दिवसीय यह कार्यशाला आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, यूएनडीपी एवं फॉउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (एफईएस) के तत्वाधान में आयोजित की जा रही है जबकि इसमें छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ एवं एक्सिस बैंक फॉउंडेशन भी सहयोग कर रहे हैं। कार्यशाला में सामुदायिक वन संसाधन प्रंबंधन समिति के सदस्य, पंचायत (पेसा), जैव विविधता बोर्ड, वन्यजीव, एसआरएलएम, मनरेगा, लघु वनोपज संघ, कृषि आदि के प्रभारी अधिकारी एवं राज्य के समस्त सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास भाग ले रहे हैं।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संचालक श्री पी.एस.एल्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी वन अधिकार पत्र वितरण योजना के अंतर्गत राज्य में अब तक कुल 4 लाख 81 हजार 445 व्यक्तिगत वन अधिकार, 49 हजार 271 सामुदायिक वन अधिकार, 4316 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार एवं 02 जिलों- धमतरी एवं गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में निवासरत क्रमशः कमार एवं बैगा पीवीटीजी को पर्यावास अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं। साथ ही विभिन्न विभागों की योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारकों को शासकीय योजनाओं के लाभ पंहुचाने की दिशा में काम किया जा रहा है। अतः अब मुख्य रूप से इनके विकास पर फोकस किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सभी वन अधिकार पत्र धारकों को प्राप्त पटटे के आधार पर अभिलेख दुरूस्तीकरण एक प्रमुख कार्य है साथ ही भूमि का सीमांकन एवं नक्शा बटांकन भी जरूरी है जिस वन अधिकार पत्र धारक की मृत्यु या फौत हो गई है उनके वारिसानों के नाम से अभिलेख दुरूस्त किया जाना है ताकि भविष्य में किसी प्रकार की कोई समस्या ना आए। उन्होंने बताया कि हमारा विभाग इस कार्य में राजस्व विभाग एवं वन विभाग से सहयोग प्राप्त कर आवश्यक कार्यवाही कर रहा है।

सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन एवं आजीविका संवर्धन पर गैर शासकीय संस्था के सदस्यों एवं सामुदायिक वन संसांधन प्रबंधन समितियों के सदस्यों द्वारा पीपीटी, चित्र, पोस्टर के माध्यम से इस दिशा में किए जा रहे कार्यों की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में संस्था के माध्यम से वन संसाधन एवं लघु वनोपज आधारित प्रबंधन एवं आजीविका संवर्धन के तरीके, वृहद स्तर पर क्रियान्वयन की संभावनाएं, समुदाय पर इसका प्रभाव, चुनौतियां एवं सुझाव इत्यादि का बेहतर प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यशाला को अपर संचालक श्री संजय गौड़, एफईएस की सुश्री मंजीत कौर बल एवं सुश्री नमिता ने भी संबोधित किया।    

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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