Friday, November 22, 2024
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रायपुर : कचरा प्रबंधन कर गांव को स्वच्छ बना रही स्वसहायता समूह की महिलाएं

  • ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के साथ जैविक खाद भी बना रहा समूह

रायपुर: बिलासपुर जिले के बिल्हा विकासखंड के ग्राम डोड़की में स्वसहायता समूह की महिलाएं कचरा प्रबंधन कर अपने आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ रखने का कार्य कर रही हैं। कचरा प्रबंधन से जैविक खाद बनाने में समूह की दीदियां अहम भूमिका निभा रही हैं। शासन द्वारा दिए जा रहे सहयोग से समूह की महिलाओं के जीवन में आर्थिक सुधार आया है और वे अपने परिवार की जिम्मेदारियों में बखूबी अपना योगदान दे रही हैं।

कचरा प्रबंधन कर गांव को स्वच्छ बना रही स्वसहायता समूह की महिलाएं
कचरा प्रबंधन कर गांव को स्वच्छ बना रही स्वसहायता समूह की महिलाएं

ग्राम पंचायत केवांछी के आश्रित ग्राम डोड़की के जय मां अम्बे समूह की महिलाओं ने बताया कि गांव में मनरेगा के तहत एसएलडब्लयूएम शेड, नाफेड एवं वर्मी टैंक का निर्माण किया गया है। इन कार्यों के लिए मनरेगा से दस लाख 29 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे। शेड के माध्यम से ठोस एवं तरल अपशिष्ट के रूप में निकलने वाले कचरे का प्रबंधन किया जा रहा है। समूह की महिलाएं अपने तिपहिया वाहन में घर-घर घूमकर कचरा एकत्र कर शेड में लाकर इन कचरों से खाद बना रही हैं।

डोड़की के रहवासियों ने बताया कि ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन शेड के निर्माण से गांव में अस्वच्छता संबंधी समस्याओं का निदान हुआ है। गांव में अब स्वच्छता का माहौल बना रहता है। महिलाओं द्वारा ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य रोज किया जा रहा है। गांव में हर परिवार को नीले एवं हरे रंग का डस्ट-बिन दिया गया है। कचरा संग्रहण के लिए तिपहिया वाहन खरीदे गए हैं। जय मां अम्बे समूह ने गांव को रोगमुक्त रखने का भी बीड़ा उठाया है। समूह की महिलाएं जन-चौपाल लगाकर गांववालों को मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक जानकारियां भी दे रही हैं। कचरा प्रबंधन, अपशिष्ट से तैयार जैविक खाद और ठोस कचरे के रूप में प्राप्त प्लास्टिक की बिक्री से समूह को सालाना 30 हजार से 40 हजार रुपए तक की आमदनी अनुमानित है।

समूह की महिलाओं ने बताया कि वे इस कार्य से बहुत खुश हैं। इससे हो रही आय से उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। गांव में पहले इधर-उधर कचरा फैले होने से गंदगी का वातावरण रहता था और बीमारियों का खतरा बना रहता था। ठोस एवं तरल कचरा खुले में जगह-जगह पड़ा रहता था। लेकिन अब समूह द्वारा कचरे का सही प्रबंधन किया जा रहा है। गांव में पेयजल की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। सरकार की मदद से स्वसहायता समूहों को रोजगार एवं आजीविका का जरिया मिला है। इससे उनकी माली हालत में सुधार आ रहा है।




Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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