मॉस्को: रूस के हमले के बाद यूक्रेन को कई देशों का समर्थन मिल रहा है। इसकी वजह से रूस की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। 30 से ज्यादा देशों ने रूस के लिए एयर स्पेस बंद कर दिए हैं। इसके जवाब में अब रूस ने अपने स्पेस रॉकेट से अमेरिका, जापान और ब्रिटेन का फ्लैग हटा दिया है। खास बात ये है कि रूस ने इंडियन फ्लैग को बरकरार रखा है। रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने सोशल मीडिया पर रूसी स्पेस रॉकेट का वीडियो शेयर किया है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि रूसी स्पेस रॉकेट से कई देशों के फ्लैग्स को हटाया जा रहा है, जबकि भारत का झंडा रॉकेट पर बरकरार है। वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, ‘बैकोनूर में हमारी टीम ने फैसला किया कि हमारा रॉकेट कुछ देशों के झंडे के बिना बेहतर दिखेगा।’ कजाकिस्तान के बैकोनूर में रूस ने रॉकेट लॉन्च पैड बनाया है।
रोस्कोस्मोस रूसी एजेंसी ने सेटेलाइट को लॉन्च करने से मना किया
रोस्कोस्मोस रूसी स्पेस एजेंसी दुनिया के सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी में से एक है, जहां से रूसी रॉकेट लॉन्च किया जाता है। रोस्कोस्मोस 4 मार्च को 3 दर्जन वनवेब इंटरनेट सेटेलाइट लॉन्च करने वाला था, लेकिन अब ये जानकारी मिल रही है कि जब तक कि वनवेब कंपनी रोस्कोस्मोस की नई मांगों को पूरा नहीं करती है, तब तक रूसी एजेंसी इस सेटेलाइट को लॉन्च नहीं करेगी। वनवेब इंटरनेट एक कम्युनिकेशन सेटेलाइट कंपनी है जो ब्रिटिश सरकार की देखरेख में काम करती है।
रूसी स्पेस रॉकेट से अमेरिका, ब्रिटेन और जापान का फ्लैग हटाया गया।
रॉकेट पर 36 सेटेलाइट को लॉन्च करने का था इरादा
वनवेब इंटरनेट कंपनी शुक्रवार को रूसी सोयुज रॉकेट पर 36 सेटेलाइट को लॉन्च करना चाहती थी, लेकिन रोस्कोस्मोस ने मना कर दिया। इसके लिए रोस्कोस्मोस के तरफ से मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि वो वनवेब कंपनी के लिए रूसी सोयुज रॉकेट को लॉन्च नहीं करेगी। दिमित्री रोगोजिन ने सोशल मीडिया पर जो वीडियो शेयर किया है वो इसी सेटेलाइट को लॉन्च करने वाले रॉकेट का वीडियो है।
एजेंसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘रोस्कोसमोस गारंटी मांगता है कि वनवेब उपग्रहों का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा। रूस के खिलाफ ब्रिटेन के शत्रुतापूर्ण रुख के कारण, लॉन्च के लिए एक शर्त ये भी है कि ब्रिटिश सरकार वनवेब से हट जाए।’
कई देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं
यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला करने के बाद रूस पर पश्चिमी देशों ने कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए। और ये प्रतिबंध लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। इन देशों की कोशिश है कि रूस की इकोनॉमी को गहरी चोट पहुंचाकर उसे रोका जाए। अमेरिका ने रूस के दो सरकारी बैंकों को US-यूरोप में कारोबार से रोका। वहीं, जर्मनी ने11.6 अरब डॉलर की नार्ड स्ट्रीम 2 गैस परियोजना रोक दी है। इसके साथ ही अमेरिका जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने रूस के लिए अपने एयर स्पेस को भी बंद कर दिया है।
इसके अलावा जापान ने रूसी बॉन्ड पर रोके के साथ कुछ लोगों की देश में एंट्री बैन कर दी। वहीं, ऑस्ट्रेलिया ने रूसी सुरक्षा परिषद के आठ सदस्यों की देश में एंट्री पर रोक। हालांकि, रूस को भी इस बात का अंदाजा था कि उसपर ये प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इसी वजह से उसने इनसे निपटने के लिए अपनी तैयारी की थी। इन तैयारियों में उसकी मदद की उसके शक्तिशाली आर्थिक सहयोगी चीन ने जिसके साथ उसकी करीबी बीते सालों में काफी ज्यादा बढ़ी है।