Sunday, November 24, 2024
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साय ने आदिवासियों के ‘मन की बात’ कह दी- CM भूपेश… मोहन मरकाम बोले- भाजपा में आदिवासी उपेक्षित, नंदकुमार के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले

रायपुर: नंदकुमार साय के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि साय ने अपने साथ-साथ आदिवासियों के “मन की बात” भी कह दी है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ पर भी निशाना साधा है।

बीजेपी नेता नंदकुमार साय ने रविवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उनके अचानक लिए गए इस फैसले से हर कोई हैरान है। उनके इस्तीफे के बाद कई तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में चल रही है। कहा ये भी जा रहा है कि ‌‌‌वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं और इसे लेकर कांग्रेस में एक महत्वपूर्ण बैठक की भी सूचना मिल रही है।

बीजेपी नेता नंदकुमार साय का इस्तीफा पत्र।

बीजेपी नेता नंदकुमार साय का इस्तीफा पत्र।

साय के इस फैसले से सत्ता पक्ष को फिर एक बार बीजेपी को घेरे में लेने का मौका मिल गया है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साय के इस्तीफे की कॉपी सोशल मीडिया में लगाकर मन की बात के बहाने साय के इस्तीफे को लेकर बीजेपी को घेरा है।

बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय के इस्तीफे पर कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में‌ बीजेपी को देखते हुए इसे पार्टी में आदिवासियों की उपेक्षा बताया है। कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बीजेपी देश में आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है, उनका शोषण कर रही है।

नंदकुमार साय के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री का तंज।

नंदकुमार साय के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री का तंज।

उन्होंने कहा कि नंदकुमार साय ने पार्टी के लिए खून पसीना लगाया, उनका इस्तीफा इस बात का उदाहरण है, कि देश के बड़े वर्ग के साथ अन्याय हुआ। इससे पहले विश्व आदिवासी दिवस के ही दिन आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को भी पद से हटाया गया था।

मोहन मरकाम ने बयान जारी कहा है कि नंदकुमार साय के लिए कांग्रेस के दरवाजे हमेशा खुले।

मोहन मरकाम ने बयान जारी कहा है कि नंदकुमार साय के लिए कांग्रेस के दरवाजे हमेशा खुले।

नंदकुमार के लिए कांग्रेस के द्वार खुले-मरकाम

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने नंदकुमार साय के इस्तीफे के बाद उन्होंने सीधा कांग्रेस मे आने का ऑफर दे दिया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा में आदिवासी नेता उपेक्षित हैं। साय के लिए कांग्रेस के दरवाजे हमेशा खुले हैं। वो कभी भी आ सकते हैं। हम उनका स्वागत करते हैं।




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