Wednesday, October 22, 2025

सऊदी अरब ने 70 साल पुराना कफाला सिस्टम खत्म किया, अब देश में आने वाले विदेशी मजदूरों का पासपोर्ट जमा नहीं होगा, 1.3 करोड़ प्रवासी कामगारों को फायदा

रियाद: सऊदी अरब ने करीब 70 साल पुराना कफाला सिस्टम खत्म कर दिया है। अब देश में आने वाले विदेशी मजदूरों के पासपोर्ट नियोक्ता जब्त नहीं कर सकेंगे। साथ ही, मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नए नियम भी लागू किए गए हैं।

एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बदलाव का ऐलान जून 2025 में ही कर दिया गया था। कफाला सिस्टम के खत्म होने से 1.3 करोड़ से ज्यादा विदेशी मजदूरों को फायदा होगा। इन मजदूरों में ज्यादातर लोग भारत, बांग्लादेश, नेपाल और फिलीपींस से आते हैं।

मजदूरों पर कंट्रोल के लिए बना कफाला

कफाला शब्द, कफील से बना है। कफील का मतलब होता है स्पॉन्सर या जिम्मेदार व्यक्ति। यानी वह व्यक्ति जो किसी विदेशी मजदूर के रहने और काम करने के लिए जिम्मेदार होता है।

1950 के दशक में खाड़ी के देशों में तेल उद्योग तेजी से बढ़ रहा था। तेल की मांग बहुत बढ़ रही थी, और इन देशों में स्थानीय लोगों की संख्या कम थी। इसलिए उन्हें बहुत सारे विदेशी मजदूरों की जरूरत थी।

विदेशी मजदूरों के आने-जाने और काम करने को नियंत्रित करना भी जरूरी था। इसी लिए कफाला सिस्टम बनाया गया था। इसमें कफील को बहुत ज्यादा ताकत दे गई।

सऊदी अरब ने कफाला सिस्टम खत्म कर दिया है लेकिन मिडिल में UAE, कुवैत, ओमान, बहरीन, लेबनान और जॉर्डन जैसे देशों में अभी भी यह सिस्टम मौजूद है।

मिडिल ईस्ट देशों में कफाला सिस्टम को खत्म करने की मांग काफी समय से हो रही है।

मिडिल ईस्ट देशों में कफाला सिस्टम को खत्म करने की मांग काफी समय से हो रही है।

कफाला सिस्टम में क्या दिक्कतें हैं

जब कोई मजदूर इन देशों में काम करने आता है, तो वह कफाला सिस्टम के तहत ही एंट्री करता है, और उसके ऊपर वहां के नियम और कानून लागू होते हैं।

कफील तय करता है कि मजदूर क्या काम करेगा, कितने घंटे काम करेगा, उसकी सैलरी कितनी होगी और वह कहां रहेगा।

कफील की अनुमति के बिना नौकरी नहीं बदल सकते, देश नहीं छोड़ सकते थे, और अधिकारियों से सीधे शिकायत नहीं कर सकते थे। इस वजह से मजदूर अक्सर कफील के कंट्रोल में फंस जाते थे।

मानवाधिकार संगठन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) कफाला सिस्टम की दशकों से कड़ी आलोचना करते रहे थे और इसे “आधुनिक गुलामी” कहते थे, क्योंकि इस व्यवस्था ने श्रमिकों के सबसे बुनियादी अधिकारों को छीन लिया था और जबरन श्रम तथा मानव तस्करी को बढ़ावा दिया था।

कफाला सिस्टम की 3 बड़ी दिक्कतें

नौकरी बदलने पर पाबंदी: अगर मालिक उनके साथ बुरा व्यवहार करता था, कम वेतन देता था, या उनसे 18-18 घंटे काम कराता था, तब भी वे आसानी से नौकरी छोड़कर दूसरी जगह काम नहीं ढूंढ़ सकते थे। उन्हें नया काम शुरू करने के लिए अपने कफील की इजाजत लेना जरूरी होता था।

अगर कोई मजदूर बिना इजाजत के नौकरी छोड़ता था, तो उसे “अवैध निवासी” माना जाता था और उसे गिरफ्तार किया जा सकता था।

देश छोड़ने पर रोक: मजदूर देश छोड़कर अपने घर भी नहीं जा सकते थे, यहां तक कि पारिवारिक आपातकाल में भी नहीं। उन्हें देश से बाहर जाने के लिए अपने नियोक्ता से एक्जिट वीजा मंजूर कराना होता था, लेकिन मालिक अक्सर मना कर देते थे, जिससे कर्मचारी बंधक बने रहते थे।

पासपोर्ट जब्त करना: मजदूरों को कैदी जैसा बनाने के लिए, कफील अक्सर उनके पासपोर्ट ले लेते थे। पहचान पत्र न होने और यात्रा का कोई साधन न होने के कारण वे सचमुच फंस जाते थे।

कफाला सिस्टम की जगह नया नियम लागू

सऊदी अरब ने कफाला सिस्टम को खत्म करने के बाद नए नियम लागू किए जिनके तहत मजदूरों को पहले की बजाय ज्यादा आजादी मिलेगी।

नई व्यवस्था के अनुसार अब मजदूरों को अपने कफील की मर्जी के बिना नौकरी बदलने की अनुमति मिलेगी। इसके अलावा, देश छोड़ने या वापस आने के लिए अब एक्जिट वीजा या कफील की अनुमति हमेशा जरूरी नहीं होगी।

नए नियमों में अब मजदूरों को कानूनी मदद देने का भी प्रावधान है। मतलब अगर उन्हें वेतन नहीं मिलता, काम का माहौल खराब है, या अन्य दिक्कतें है, तो शिकायत करने और न्याय मांगने के रास्ते आसान होंगे।

इसके साथ-साथ नए नियमों में रोजगार कॉन्ट्रैक्ट की व्यवस्था स्पष्ट की गई है। अब गैर-सऊदी मजदूरों के लिए काम की अवधि, मजदूर और कंपनी के अधिकार, वेतन और भत्तों को लिखित रूप में तय करना जरूरी होगा।

सऊदी अरब में 1.34 करोड़ विदेशी मजदूर हैं, जो देश की कुल आबादी का लगभग 42% हैं।

सऊदी अरब में 1.34 करोड़ विदेशी मजदूर हैं, जो देश की कुल आबादी का लगभग 42% हैं।

सऊदी ने 4 वजहों से बंद किया कफाला सिस्टम

1. इमेज सुधारने की कोशिश

सऊदी अरब पर लंबे समय से आरोप लगते रहे कि कफाला सिस्टम प्रवासी मजदूरों के लिए ‘आधुनिक गुलामी’ जैसा है। मानवाधिकार संगठन (जैसे ह्यूमन राइट वॉच और एमनेस्टी) लगातार इसकी आलोचना करते रहे।

2. विजन 2030 का हिस्सा

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) का विजन 2030 प्रोग्राम सऊदी अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से बाहर निकालने की कोशिश है। इसके लिए विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की जरूरत है लेकिन कफाला जैसे सिस्टम से निवेशक डरते थे।

3. विदेशी मजदूरों पर निर्भर अर्थव्यवस्था

सऊदी की वर्कफोर्स में लगभग 70% से ज्यादा विदेशी मजदूर हैं। कफाला सिस्टम की वजह से कई मजदूर वापस अपने देशों लौटने लगे थे या नए लोग सऊदी आना नहीं चाहते थे। सरकार को डर था कि अगर सिस्टम नहीं बदला गया, तो मजदूरों की कमी से निर्माण, तेल और सर्विस सेक्टर पर असर पड़ेगा।

4. कतर से प्रतिस्पर्धा

कतर ने फीफा विश्व कप (2022) से पहले कफाला सिस्टम लगभग खत्म कर दिया था, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय तारीफ मिली। सऊदी अरब नहीं चाहता था कि वह ‘पीछे’ दिखे।



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