Wednesday, November 5, 2025

              भारत में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट ट्रायल शुरू करेगी स्टारलिंक, दावा- इलॉन मस्क की कंपनी को टेलीकॉम डिपार्टमेंट से मंजूरी मिली; 10 जगहों पर बेस स्टेशन बनाएगी

              नई दिल्ली: इलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में हाई स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट का ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने सैटेलाइट को ट्रायल के लिए प्रोविजनल स्पेक्ट्रम दिया है। ये स्पेक्ट्रम कंपनी को 6 महीने के लिए ट्रायल चलाने की इजाजत देता है।

              कंपनी अब भारत में 10 जगहों पर बेस स्टेशन बनाएगी, जिसमें मुंबई मुख्य केंद्र होगा। इसके अलावा स्टारलिंक ने इक्विपमेंट इंपोर्ट करने के लिए लाइसेंस भी मांगा है, जिसमें लैंडिंग स्टेशन हार्डवेयर भी शामिल है।

              यह हार्डवेयर सैटेलाइट सिग्नल को जमीन के नेटवर्क से जोड़ेगा। ट्रायल के दौरान सिक्योरिटी और टेक्निकल स्टैंडर्ड्स की जांच होगी, इसके बाद स्टारलिंक हाई स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट ऑफिशियली लॉन्च कर सकती है।

              टेलिकॉम डिपार्टमेंट को रिपोर्ट देगी स्टारलिंक

              सरकार ने स्टारलिंक के सामने सख्त सिक्योरिटी शर्तें रखी हैं। कंपनी को सभी डेटा भारत में स्टोर करना होगा और इंटेलिजेंस एजेंसियों को डेटा शेयर करने की सुविधा देनी होगी। यूजर टर्मिनल्स की डिटेल्स (नाम, पता, लोकेशन) टेलिकॉम डिपार्टमेंट को देनी होगी, और ट्रायल खत्म होने पर पूरी रिपोर्ट जमा करनी होगी।

              सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट?

              • सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाती है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।
              • स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।

              3 सवाल-जवाब में जानें स्टारलिंक से जुड़ी जरूरी बातें…

              सवाल 1: स्टारलिंक क्या है और ये खास क्यों है?

              जवाब: स्टारलिंक, स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जो सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट देता है। इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी के करीब घूमते हैं, जिससे इंटरनेट तेज और स्मूथ चलता है। ये खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जैसे गांव या पहाड़, जहां आम इंटरनेट नहीं पहुंचता।

              सवाल 3: स्टारलिंक को लाइसेंस मिलने में इतना वक्त क्यों लगा?

              जवाब: स्टारलिंक 2022 से कोशिश कर रही थी, लेकिन सिक्योरिटी चिंताओं की वजह से देरी हुई। भारत सरकार ने डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी शर्तें रखी थीं। स्टारलिंक ने इन शर्तों को माना, और मई 2025 में लेटर ऑफ इंटेंट मिलने के बाद अब लाइसेंस मिल गया।

              सवाल 4: आम लोगों को क्या फायदा होगा?

              जवाब: स्टारलिंक से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचेगा, जिससे ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, और बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सस्ते और बेहतर प्लान्स मिल सकते हैं।


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