Tuesday, July 1, 2025

सुनीता विलियम्स 19 मार्च को अंतरिक्ष से धरती पर वापसी करेंगी, एलन मस्क के रॉकेट फॉल्कन 9 ने उड़ान भरी, 9 महीने से स्पेस स्टेशन में फंसी हैं

फ्लोरिडा: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स चार दिन बाद, यानी 19 मार्च को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर वापसी करेंगी। लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को इलॉन मस्क की स्पेस एजेंसी SpaceX का रॉकेट फॉल्कन 9 भारतीय समयानुसार करीब 4:30 बजे लॉन्च कर दिया गया।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से इसे लॉन्च किया। इसमें क्रू ड्रैगन कैप्सूल से जुड़ी चार सदस्यीय टीम ISS के लिए रवाना हुई। इस मिशन को क्रू-10 नाम दिया गया है।

सुनीता और उनके साथ गए बुच विलमोर नौ महीने से ISS पर फंसे हैं। उनके स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिसकी वजह से उनकी वापसी तय समय पर नहीं हो पाई थी।

क्रू-10 टीम करेगी क्रू-9 को रिप्लेस

नए दल में NASA की ऐनी मैकक्लेन और निकोल अयर्स, जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के टकुया ओनिशी और रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के कोस्मोनॉट किरिल पेस्कोव शामिल हैं। ये चारों अंतरिक्ष यात्री ISS पहुंचकर सुनीता विलियम्स, बुच विलमोर और क्रू-9 के दो अन्य सदस्यों की जगह लेंगे।

क्रू-10 का स्पेसक्राफ्ट 15 मार्च को ISS पर डॉक करेगा, जहां वे कुछ दिनों तक एडजस्टमेंट के बाद संचालन संभालेंगे। इसके बाद, क्रू-9 मिशन 19 मार्च के बाद किसी भी समय लौटेगा।

6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट के कमांडर बुच विल्मोर और पायलट सुनीता विलियम्स का स्वागत करते हुए क्रू।

6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट के कमांडर बुच विल्मोर और पायलट सुनीता विलियम्स का स्वागत करते हुए क्रू।

बोइंग के स्टारलाइनर में खराबी से 8 दिन की यात्रा बनी 9 महीने की

सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर गए थे। यह मिशन सिर्फ 8 दिन का था, लेकिन तकनीकी खराबियों के कारण 9 महीने तक अंतरिक्ष में रहना पड़ा। हालांकि, स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट बाद में खाली लौट आया, लेकिन इसमें कोई बड़ी अतिरिक्त समस्या नहीं हुई।

मस्क की स्पेसएक्स के पास वापस लाने की जिम्मेदारी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पेस एक्स के CEO इलॉन मस्क से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर को वापस लाने का काम सौंपा है।

ट्रम्प ने जनवरी में सोशल मीडिया पर लिखा- मैंने मस्क से उन दो ‘बहादुर अंतरिक्ष यात्रियों’ को वापस लाने को कहा है। इन्हें बाइडेन प्रशासन ने अंतरिक्ष में छोड़ दिया है। वे अंतरिक्ष स्टेशन पर कई महीनों से इंतजार कर रहे हैं। मस्क जल्द ही इस काम में लग जाएंगे। उम्मीद है कि सभी सुरक्षित होंगे।

मस्क ने इसके जवाब में कहा कि हम ऐसा ही करेंगे। यह भयानक है कि बाइडेन प्रशासन ने उन्हें इतने लंबे वक्त तक वहां छोड़ रखा है।

हालांकि नासा ने अपने क्रू-मिशन के तहत दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए मस्क की स्पेसएक्स को कई महीने पहले ही शामिल कर लिया था।

हालांकि नासा ने अपने क्रू-मिशन के तहत दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए मस्क की स्पेसएक्स को कई महीने पहले ही शामिल कर लिया था।

सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था?

सुनीता और बुच विलमोर बोइंग और NASA के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुच विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था।

लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।

एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।

सुनीता और विलमोर इतने लंबे समय तक स्पेस में कैसे फंस गए?

स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई।

NASA ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।

लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पाए।


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