SURGUJA: सरगुजा स्थित आदिवासी हॉस्टल में 8वीं के छात्र ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। छात्र कई दिनों पथरी के दर्द से परेशान था। बावजूद इसके हॉस्टल प्रबंधन ने उसे अस्पताल में भर्ती नहीं कराया। इसके बाद कलेक्टर ने गुरुवार को अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया और मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, सीतापुर के बिशनपुर गांव निवासी मुकेश तिर्की (13) दरिमा के प्री-मैट्रिक आदिवासी हॉस्टल में रहकर 2 साल से पढ़ाई कर रहा था। बुधवार शाम स्कूल की छुट्टी के बाद जब बच्चे हॉस्टल पहुंचे, तो मुकेश के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था।
हॉस्टल के बच्चों ने उतार लिया था शव।
रोशनदार से घुसकर छात्रों ने उतारा शव
छात्रों ने दरवाजा नहीं खुलने पर रोशनदान से देखा तो मुकेश फांसी पर लटका दिखाई दिया। इस पर छात्रों ने अधीक्षक भूपेश कश्यप को इसकी जानकारी दी। फिर रोशनदान से अंदर घुसकर मुकेश को फंदे से नीचे उतारा, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
परिजनों ने जताई हत्या की आशंका
बच्चे के पिता रामजी तिर्की और परिजन छात्रावास पहुंचे। गुरुवार सुबह छात्र का शव अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज लाया गया। परिजनों ने सूचना दिए बगैर बेटे का शव उतारने पर हत्या की आशंका जताई है। इस आरोप पर तीन डॉक्टरों की टीम ने छात्र के शव का पोस्टमॉर्टम किया।
परिजनों ने चर्चा करते सहायक आयुक्त डीपी नागेश।
परिजन करा रहे थे जड़ी-बूटी से इलाज
छात्रों ने बताया कि पिछले कई महीनों से वह पथरी की बीमारी परेशान था। उसके परिजन अपने स्तर पर गांव में ही जड़ी-बूटी से दवा करा रहे थे। वो 10 दिन पहले अपने घर से इलाज कराकर लौटा था। फिर अधिक दर्द होने पर अधीक्षक ने मेडिकल स्टोर से दर्द की दवाई लाकर दी थी।
कलेक्टर ने दिए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश
कलेक्टर विलास भोस्कर के निर्देश पर एसडीएम मजिस्ट्रियल जांच करेंगे। कलेक्टर ने कहा कि शाम तक उनके पास भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ जाएगी। आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त डीपी नागेश ने बताया कि मामले की जांच के लिए टीम बनाई गई है।
(Bureau Chief, Korba)