बिलासपुर: वंदना हॉस्पिटल का विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा है। विवाद थाने तक पहुंचा तो किरायेदार और भवन मालिक थाने पहुंच गए थे। यहां मध्यस्थता से तीन माह में भवन खाली करने पर सहमति बनी, लेकिन बाद में दो किरायेदार ने भाड़ा नियंत्रक के यहां मामला पेश किया। यहां से राहत नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन दोनों आदेश में भवन खाली कराने के लिए समय तय नहीं किया गया। इधर, बिलासपुर के तहसीलदार ने 24 मार्च 2022 को भवन खाली कराने का आदेश जारी किया है। 11 अप्रैल से पहले भवन खाली कराकर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
वहीं, किरायेदारों का कहना है कि आदेश पूरी तरह गलत है। तहसीलदार भवन मालिक से सांठगांठ कर दुर्भावनापूर्वक ऐसा कर रहे हैं वंदना हॉस्पिटल को पहले तीन डॉक्टर मिलकर पार्टनरशिप में चला रहे थे। इनमें डॉ. चंद्रशेखर उइके के अलावा डॉ. संतोष उद्देश्य, डॉ. विजय कुर्रे शामिल थे। डॉ. विजय कुर्रे और डॉ. संतोष का विवाद अस्पताल के पार्टनर डॉ. चंद्रशेखर उइके से चल रहा है।
उनकी पार्टनरशिप भी टूट गई है। इसके बाद भवन मालिक संजय जैन ने डॉ. संतोष व डॉ. विजय कुर्रे से नया एग्रीमेंट करने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया। 90 दिनों का नोटिस देकर भवन मालिक संजय जैन ने हॉस्पिटल मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया और भर्ती मरीजों के लिए पीछे का दरवाजा खोल दिया।
भवन मालिक जैन के अनुसार गेट बंद करने को लेकर उनसे मारपीट की गई, इसी दौरान किसी ने उनकी सोने की चेन झटक ली। भवन मालिक के अनुसार गुरुवार को नोटिस पीरियड खत्म हो गया तो भवन मालिक ने भवन के सामने अस्पताल को बंद करने का बैनर लगा दिया और ताला बंद कर दिया। दोनों किरायेदारों को भाड़ा नियंत्रक और हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली, लेकिन दोनों आदेश में भवन खाली कराने के लिए समय निर्धारित नहीं किया गया है।
किरायेदारों ने कहा – अपील करने के लिए है समय
किरायेदारों का कहना है कि तहसीलदार रमेश कुमार मोर ने भवन मालिक संजय जैन के साथ सांठगांठ कर दुर्भावनापूर्वक ऐसा आदेश जारी किया है। उन्होंने भाड़ा नियंत्रक के आदेश के खिलाफ भाड़ा नियंत्रण प्राधिकरण रायपुर में अपील की है। इस पर 4 अप्रैल को सुनवाई होनी है। तहसीलदार ने नियमों का ताक पर रखकर आदेश जारी किया है।