Saturday, May 4, 2024
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घर में मिला सामाजिक कार्यकर्ता का शव, बह रहा था खून… कॉल रिसीव नहीं करने पर दोस्त घर पहुंचे तो चला पता, बेड के पास पड़ी थी लाश

RAIPUR: रायुपर के एक सामाजिक कार्यकर्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मामले की जांच पुलिस कर रही है। युवक की मौत कैसे हुई इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं, मगर पुलिस ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट सामने आने के बाद ये स्पष्ट हो सकेगा कि मौत कैसे हुई।

सामाजिक कार्यकर्ता का नाम संदीप यादव है। संदीप अमेठी के रहने वाले थे। बीते 7-8 सालों से रायपुर में रहकर कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर काम कर रहे थे। उन्हें जानने वालों ने बताया कि बीते-एक दो दिनों से वो किसी का फोन कॉल रिसीव नहीं कर रहे थे। जब उनके कुछ परिचित उनसे मिलने घर पहुंचे तो भीतर कमरे में संदीप का शव मिला।

संदीप प्रदेश में NGO से जुड़े थे।

संदीप प्रदेश में NGO से जुड़े थे।

संदीप अवंति विहार इलाके के एक फ्लैट में रह रहे थे। पुलिस को खबर दी गई। फॉरेंसिक टीम भी मौके पर पहुंची। चश्मदीदों के मुताबिक संदीप का शव वॉशरूम और बेड के पास पड़ा था। देखकर लगा मानों यहीं तबीयत बिगड़ने की वजह से गिर पड़े होंगे और फिर सिर पर चोट लगी वो उठ नहीं पाए। घर पर अेकेले ही थे किसी को खबर नहीं लगी। उनके दोस्तों ने जब देखा कि कॉल मैसेज का जवाब नहीं मिल रहा तो घर जाकर देखने पर उनकी मौत की बात सामने आई।

कम उम्र में यूं हुई मौत ने सभी जानने वालों को परेशान कर दिया।

कम उम्र में यूं हुई मौत ने सभी जानने वालों को परेशान कर दिया।

संदीप की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सलाहकार विनोद वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत कौर मौके पर पहुंचे। संदीप के यूपी में रहने वाले परिजनों को भी खबर दी गई है। सोशल मीडिया पर इस अचानक हुई मौत पर लोग कई तरह की प्रतिक्रियाएं और शोक व्यक्त कर रहे हैं। इस मौत से हैरत इस वजह से भी क्योंकि कई पत्रकारों, सामाजिक संगठनों, कांग्रेस नेताओं के संपर्क में रहने वाले संदीप की उम्र सिर्फ 28 से 30 साल के बीच थी।

कोरोना काल में किया सेवा का काम
कोविड की पहली लहर में संदीप ने श्रमिकों, बेघर-बेसहारा लोगों लिए कई तरह के अभियान चलाए। उनकी शिक्षा, राहत शिविरों का आयोजन करना, पका हुआ-सूखा राशन पहुंचाना। बसों की व्यवस्था कर उन्हें उनके गांवों तक पहुंचाने जैसे काम संदीप ने बखूबी किए थे। वो लगातार शिक्षा, स्वरोजगार संबंधी अभियान चलाया करते थे।

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