दंतेवाड़ा: छ्त्तीसगढ़ के सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण करने वाले नक्सली को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। बताया जा रहा है कि, अपहरण के मामले में आकाश उर्फ भीमा पिछले 6 साल 7 महीने और 16 दिन से जेल में बंद था। कोई गवाह नहीं मिल पाया इसलिए मंगलवार को दंतेवाड़ा की NIA की विशेष अदालत ने उसे दोषमुक्त कर दिया है।
साल 2016 में आकाश उर्फ भीमा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाला था। साथ ही इससे पूर्व में कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन ने भी कोर्ट में गवाही दी थी कि घटना काफी पुरानी है। अब इसलिए नक्सलियों की पहचान कर पाना संभव नहीं है। वे भविष्य में भी अपहरण से संबंधित किसी नक्सली की पहचान नहीं कर पाएंगे। उनके बयान के बाद विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलहरे की कोर्ट ने दोषमुक्त का फैसला सुनाया है।
एलेक्स पॉल मेनन की कुछ दिन पहले गवाही हुई थी।
IAS ने कोर्ट में दिया था यह बयान
कुछ महीने पहले दंतेवाड़ा में NIA की विशेष अदालत में IAS एलेक्स पॉल मेनन को गवाही के लिए बुलाया गया था। जहां उन्होंने नक्सलियों को पहचानने से इनकार कर दिया था। कोर्ट में अपने बयान में उन्होंने कहा था कि, 21 अप्रैल 2012 को सुकमा जिले के केरलापाल स्थित मांझी पारा में जल संरक्षण कार्यों का अवलोकन कर रहे थे। उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई। मैं खुद को बचाने के लिए जमीन पर लेट गया था। सभी इधर-उधर भागने लगे थे। मैंने देखा कि मेरे एक गनमैन किशन कुजूर जमीन पर गिरे हुए थे।
उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाएं। तब मैं भाग कर अपने वाहन से आगे जा रहा था। तभी रास्ते में 3-4 बंदूकधारी नकाबपोश लोग सामने आ गए। पूछे कि कलेक्टर कौन है। फिर मैं सामने आया। जिसके बाद मेरे हाथ को रस्सी से बांध दिया। आंख में पट्टी बांधकर जंगल की ओर कहीं लेकर गए थे। कुछ देर बाद आंख की पट्टी खोल दिए थे। 12 दिन अपने साथ रखे। 13वें दिन छोड़ दिए थे।
दंतेवाड़ा के NIA कोर्ट ने सुनाया फैसला।
गनमैन को मारी थी गोली
नक्सलियों ने उनकी सुरक्षा में तैनात गनमैन किशन कुजूर और अमजद खान को गोली मारकर हत्या कर दी थी। अपहरण के 13वें दिन मध्यस्थों के माध्यम से बातचीत के बाद कलेक्टर को रिहा कराया गया था। एलेक्स वर्तमान में चेन्नई SEZ में जॉइंट डेवलपमेंट कमिश्नर के रूप में काम कर रहे हैं।
बताया गया था कि नक्सलियों के चंगुल से छूटने के बाद IAS एलेक्स पॉल मेनन प्रतिनियुक्ति मांग रहे थे, लेकिन उनका इंतजार भाजपा शासनकाल में खत्म नहीं हुआ। 2 साल पहले लगभग 9 साल के लंबे इंतजार के बाद मेनन को प्रतिनियुक्ति पर अपने गृह राज्य तमिलनाडु जाने सरकार ने अनुमति दे दी थी।