Sunday, May 19, 2024
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राज्य में जैविक खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा….

  • 16.56 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का किसानों ने किया खेती में उपयोग

रायपुर: छत्तीसगढ़ में रियायती दर पर सहजता से उच्च गुणवत्ता की वर्मी कम्पोस्ट उपलब्ध होने से किसानों का जैविक खेती की ओर रूझान बढ़ा है। राज्य के किसान खेती में अब वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने लगे हैं। सहकारी समितियों से मात्र 10 रूपए किलो की दर से कृषि ऋण के रूप वर्मी कम्पोस्ट की प्रदाय किए जाने की व्यवस्था के चलते किसानों को आसानी हुई है।

गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में 2 रूपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से महिला समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट सहित अन्य कम्पोस्ट खाद तैयार की जा रही है। कम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता निजी कम्पनियों द्वारा मार्केट में अधिक कीमत पर बेची जाने वाली खाद से कई गुना बेहतर है। महिला समूहों द्वारा अब तक गौठानों में क्रय किए गए गोबर से 35 लाख 6 हजार क्विंटल से अधिक कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें 29 लाख 38 हजार 441 किवंटल वर्मी कम्पोस्ट, 5 लाख 49 हजार 280 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट एवं 18924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद शामिल है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है।

गौठानों में उत्पादित कम्पोस्ट में से 23.04 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, 4 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्टर तथा 3387 क्विंटल सुपर प्लस कम्पोस्ट का विक्रय हो चुका है, जिसमें से 16 लाख 56 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट किसानों ने क्रय कर अपने खेतों में उपयोग किया है। फिलहाल राज्य के 7300 गौठानों में 6 लाख 34 हजार वर्मी कम्पोस्ट तैयार है, जिसकी पैकेजिंग कर सोसायटियों को भेजा जा रहा है। गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन निरंतर जारी है, जिसके चलते किसानों को वर्मी कम्पोस्ट की आपूर्ति निंरतर होती रहेगी।

गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के अलावा महिला समूह गो-काष्ठ, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 152 करोड़ 89 लाख रूपए की आय हो चुकी है। राज्य में गौठानों से 16,948 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 2,01,238 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत एवं प्राकृतिक पेंट सहित अन्य सामग्री का भी उत्पादन किया जा रहा है।

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