Wednesday, April 17, 2024
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कोरबा: जिले की महिलाओं ने वर्मी खाद बेचकर कमाए आठ लाख 27 हजार रुपए…

  • गोधन न्याय योजना से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति हो रही मजबूत
  • गोठान बन रहे हैं आजीविका संवर्धन के केंद्र

कोरबा (BCC NEWS 24): छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से जिले की महिलाएं गांव में ही गुजर बसर करके लाखो रुपए कमा रही है। गांव में ही रहकर लाखों में आय अर्जित करने के सपने को विकासखंड पाली के निरधि गांव की महिलाएं साकार कर रही है। गांव में विकसित गोठान में गंगा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने वर्मी खाद बेचकर आठ लाख 27 हजार रुपए आय अर्जित किया है। समूह की महिलाओं ने गोठान में 2107 क्विंटल वर्मी खाद बना कर बेचा है।  जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। वर्मी खाद से लाभ पाकर  ग्रामीण महिलाएं खुश हैं। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा के द्वारा जिले में गोधन न्याय योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए योजना की सतत समीक्षा की जा रही है। साथ ही योजना के गंभीरता पूर्वक संचालन के लिए सतत मॉनिटरिंग भी की जा रही है। जिसके आशातीत परिणाम फील्ड में देखने को मिल रहे हैं। सीईओ जिला पंचायत श्री नूतन कुमार कंवर ने बताया कि गोधन न्याय योजना से जहां शहरी और ग्रामीण लोगों को दो रुपए प्रति किलोग्राम में गोबर बेचकर आर्थिक लाभ मिल हो रहा है। वहीं दूसरी ओर स्व सहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं गुणवत्तापूर्ण जैविक खाद बनाकर इसे बेचकर लाखों रुपए का लाभ अर्जित कर रहीं हैं। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।

गंगा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सावित्री यादव ने बताया कि उनके समूह में 10 महिला सदस्य हैं।वह सभी  गोठान में खरीदे गए गोबर से वर्मी खाद तैयार करती हैं। उन्होंने बताया कि वर्मी खाद तैयार करने के लिए उन्हें कृषि विभाग से प्रशिक्षण भी दिया गया है। उसके बाद उन्होंने का खाद तैयार करना प्रारंभ किया। श्रीमती यादव ने बताया कि उनके समूह ने अब तक 2667 क्विंटल खाद को तैयार किया है। जिसमें से 2107 क्विंटल खाद बेच कर बेचकर  8.27 लाख रुपये कमाए हैं। उन्होंने बताया कि कि अभी बैंक से पांच लाख रुपए निकालकर सभी महिला सदस्यों ने आपस में 50-50 हजार रुपए अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बांट लिए हैं। शेष पैसा बैंक में जमा है। उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना से समूह की महिलाओं को स्वरोजगार के नए अवसर मिले हैं जिससे गांव में ही खरीदे गए गोबर से खाद बनाकर आवक हो रही हैं। गाँव में ही स्वरोजगार मिलने से हम महिलाएं आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है। श्रीमती यादव ने कहा की यह योजना ग्रामीण महिलाओं की जीवन में खुशियों का वरदान लेकर आयी हैं।

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