Tuesday, May 14, 2024
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छत्तीसगढ़: अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे आदिवासी समाज: राज्यपाल अनुसुईया उइके

  • आदिवासी लोककला महोत्सव में शामिल हुईं राज्यपाल

रायपुर: राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज बिलासपुर जिले के कोटा में छत्तीसगढ़ सर्वआदिवासी समाज द्वारा आयोजित आदिवासी लोक कला महोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुश्री उइके ने कहा कि आदिवासी समुदाय ने प्रकृति के साथ रहते हुए आदिकाल से लगातार अपने परिवेश की देखभाल कर उसके संरक्षण और संवर्धन का काम किया है। आदिवासी समाज के धर्मगुरूओं द्वारा विश्व की रक्षा के लिए पर्यावरण के संतुलन के सिद्धांतों को भी जीवन में अपनाने का संदेश दिया गया है। हमारे आदिवासी समाज द्वारा गुरूओं के इन संदेशों का प्रचार आधुनिक समाज को नयी दिशा दे सकता है। अपने अधिकारों के प्रति सजग रहकर और समाज एकजुट रहकर ही तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकता है। समाज के लोग सजग रहकर ही शासन, प्रशासन तक अपनी बात प्रभावी तरीके से पहुंचा सकते है और शासकीय योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं। आज की जनजातीय युवा पीढ़ी को भी समुदाय के पारंपरिक ज्ञान एवं रीति-रिवाजों को हस्तांतरित किया जाना चाहिए।

आदिवासी लोककला महोत्सव
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके

मुख्य अतिथि की आसंदी से राज्यपाल सुश्री उइके ने आगे कहा कि इस बदलते परिवेश में आदिवासी समुदाय अपनी पुरातन परंपरा को खोते जा रहा है। अपनी समृद्ध संस्कृति से दूर होता जा रहा है। इस तरह के कार्यक्रम, समुदाय के लोगों को अपनी संस्कृति से परिचित कराने के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इस मौके पर आदिवासी समाज के माटीपुत्र क्रांतिवीर शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधुर, बिरसा मुंडा और रानी दुर्गावती जैसे महान् विभूतियों को भी सादर नमन करते हुए कहा कि उनके त्याग और बलिदान के कारण यह समुदाय अपने अस्तित्व को बचाने और उसे उन्नत करने में सफल रहा।  उन्होंने कहा कि मैं क्षेत्रवासियों की खुशहाली के लिए अरपा नदी से प्रार्थना करती हूं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश के संविधान में जनजातीय समाजों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रावधान किये गये है। इन प्रावधानों के द्वारा आदिवासियों को किसी भी प्रकार के शोषण और अत्याचार से सुरक्षा प्रदान किये गये है। कार्यक्रम को बिलासपुर लोकसभा सांसद श्री अरूण साव और लोरमी विधायक श्री धर्मजीत सिंह ने संबोधित किया। इस दौरान आदिवासी समाज के प्रतिनिधि, समाज प्रमुख सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समाज और ग्रामीण जन मौजूद थे।

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