वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने करीब 50 साल पुराने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) को निलंबित कर दिया है। इससे विदेशों में व्यापार के लिए रिश्वत देना अपराध नहीं रहेगा।
भारतीय बिजनेसमैन गौतम अडाणी पर इस कानून के तहत अमेरिका में केस दर्ज किया गया है। जिसमें उन पर भारतीयों अधिकारियों को रिश्वत देने की प्लानिंग का आरोप है। ट्रम्प ने यह फैसला PM मोदी के अमेरिका दौरे से 2 दिन पहले लिया है।
रॉयटर्स के मुताबिक ट्रम्प ने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को इस कानून के तहत दिए गए फैसलों की समीक्षा करने के लिए गाइडलाइन्स बनाने का निर्देश दिया है। ट्रम्प ने आदेश दिया है कि,
न्याय विभाग उन अमेरिकियों पर मुकदमा चलाना रोक दे, जिन पर अन्य देशों में व्यापार जीतने या बनाए रखने के लिए विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप है।

PM मोदी 12 फरवरी को अमेरिका पहुंचने वाले हैं।
अडाणी पर अरबों की धोखाधड़ी के आरोप
पिछले साल अमेरिका में उद्योगपति गौतम अडाणी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। आरोप पत्र के मुताबिक अडाणी की कंपनी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट गलत तरीके से हासिल किए। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए रिश्वत देने की योजना बनाई।
इसके अलावा आरोपियों ने अमेरिकी इन्वेस्टर्स और बैंकों से झूठ बोलकर पैसा इकट्ठा किया। यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ था। 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में यह केस दर्ज हुआ था।
क्या है FCPA एक्ट
फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) को अमेरिका ने 1977 में लागू किया था। इसके तहत अमेरिका में रजिस्टर्ड कंपनियों को व्यापार और दूसरे मकसद के लिए विदेशों अधिकारियों को रिश्वत देने पर रोक लगा दी गई थी।
सोमवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में इस कानून पर रोक जुड़े आदेश पर साइन करते हुए ट्रम्प ने कहा, “इस फैसले से अमेरिका के लिए व्यापार के नए अवसर आएंगे।”
ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में भी इस कानून को खत्म करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने इसे भयानक कानून बताते हुए कहा, इस कानून की वजह से दुनिया हम पर हंस रही है।
(Bureau Chief, Korba)