छ्त्तीसगढ़: बस्तर में छुई खदान में दबकर शुक्रवार को 6 ग्रामीणों की मौत हो गई। जिनका शनिवार को अंतिम संस्कार किया गया। 5 ग्रामीणों के शव का तो हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन इनमें एक महिला के शव को दफनाने पर बवाल चलता रहा। ग्रामीणों का आरोप है कि, मृत महिला ईसाई धर्म को मानने वाली थी। इसलिए उसके शव को गांव की जमीन में दफनाने नहीं दिया जा रहा था। लेकिन, प्रशासन की समझाइश के बाद ग्रामीण माने। तब कहीं जाकर शव दफन की प्रक्रिया की गई।
दरअसल, यह पूरा मामला मालगांव का है। इस गांव के ग्रामीणों ने कहा कि, मृत महिला शैतो नाग और उसका पूरा परिवार धर्मांतरित है। इसलिए ईसाई रीति रिवाज से गांव में शव दफनाने मना किया गया। इधर, मृत महिला के परिजनों ने कहा कि, प्रशासन ने हमारे लिए जमीन आरक्षित नहीं की है। हमेशा शव दफन के लिए हमें परेशानियों का सामान करना पड़ता है। इसी मामले को लेकर दोनों पक्षों में कई घंटे बवाल चलता रहा। फिर दोपहर बाद शव को दफन किया गया।
ग्रामीणों की जबरदस्त भीड़ रही।
बिना ताबूत के लाए शव
मृत महिला के भाई दिशुदान गोयल ने बताया कि, हमने गांव वालों की सुनी। बिना ताबूत के काठी में शव लेकर आए। मरघट में गड्ढा किए थे। उसी के पास में शव कई घंटे तक पड़ा था। फिर भी दफनाने नहीं दिया जा रहा था। लेकिन, पुलिस और प्रशासन की समझाइश के बाद अंतिम संस्कार किया गया। भाई ने बताया कि, गांव की अबादी करीब 1700 के आस-पास है। पूरे गांव में करीब 30-35 क्रिश्चन परिवार हैं। जिसमें 150 से ज्यादा सदस्य हैं। लेकिन, फिर भी हमें शव दफनाने जगह नहीं दिया जाता है।
हिंदू संगठन ने कहा- मूल धर्म में वापसी पर बनी सहमति
विश्व हिंदू परिसद के जिला महामंत्री हरि साहू ने कहा कि, गांव के ग्रामीणों ने हमें इस मामले की जानकारी दी। शव दफनाने को लेकर विवाद बढ़ता गया। लेकिन अंत में यह सहमति बनी की धर्मांतरण किए परिवार मूल धर्म में लौटेंगे। गांव की रीति-रिवाज परंपरा को मानेंगे। जिसके बाद ही शव दफनाने की इजाजत दी गई। उन्होंने कहा कि, दूसरे पक्ष के लोग पहले ताबूत में शव लेकर आ रहे थे। लेकिन विवाद बढ़ता देख नहीं लाए। दोनों समुदाय के लोगों की आपसी सहमति से शव दफन करने दिया।
शव दफन करते ईसाई समुदाय के लोग।
देर शाम तक तैनात थी फोर्स
इस मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ा था। जगदलपुर से एक बस समेत करीब 8 से ज्यादा छोटी-बड़ी गाड़ियों में सवार होकर सैकड़ों जवान मौके पर पहुंचे थे। भारी संख्या में महिलाबल को भी बुलाया गया था। विवाद बढ़ता देख छावनी के रूप में इलाके को तब्दील कर दिया गया था। देर शाम तक जवान मौके पर ही मौजूद थे। कानून व्यवस्था बनाने पहुंचे SDOP ऐश्वर्य चंद्राकर ने कहा कि, दोनों पक्षों को समझाया गया है। विवाद बढ़ने नहीं दिया गया। मौके पर जवानों की तैनाती थी। शव दफन किया गया।
दो मतों को मानने वालों के बीच हुआ विवाद- SDM
इधर, बस्तर SDM ओम प्रकाश वर्मा ने कहा कि, 6 लोगों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार का कार्यक्रम था। इनमें से कुछ लोगों का कहना था कि एक महिला के परिजन दूसरे मत को मारने वाले हैं। इसलिए उसके शव को गांव में दफनाने के लिए मना कर रहे थे। लेकिन किसी तरह से उन्हें समझाया गया और शव को दफन करने दिया गया। हालांकि, SDM हिंदू-ईसाई और धर्मांतरण के सवालों पर जवाब देते बचते हुए नजर आए।
काम करने के दौरान हुआ था हादसा
शुक्रवार को बस्तर जिले में स्थित एक छुई खदान धंसने से वहां काम कर रहे 6 मजदूरों की दबने से मौत हो गई थी। मृतकों में 5 महिलाएं और 1 पुरुष शामिल है। दो घायलों में एक 14 साल की लड़की भी शामिल है।मलबे के नीचे कुछ और लोगों के दबे होने की आशंका के चलते रेस्क्यू टीम ने काफी देर तक मलबा हटाकर सर्चिंग अभियान चलाया था। मलबा हटाने के बाद वहां कोई और लोगों के नहीं दबे होने की पुष्टि होने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन बंद किया गया।
यहां 3 महीने पहले भी ऐसा ही विरोध
3 महीने पहले भी बस्तर जिले में धर्मांतरित महिला के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाने पर बवाल हो गया था। विरोध में सैकड़ों ग्रामीण सड़क पर उतर आए। ग्रामीणों ने कहा कि, मृत महिला और उसके परिवार के सदस्यों ने धर्मांतरण कर ईसाई धर्म को अपना लिया था। जब 30 अगस्त को महिला की मौत हुई तो बिना किसी को बताए ईसाई रीति-रिवाज से ही दफना दिया गया। बाद में प्रशासन की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ है।