Thursday, August 21, 2025

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा- चीन पर पाबंदी क्यों नहीं लगाई, चीन रूसी तेल ग्लोबल मार्केट में बेचता है, प्रतिबंध से कीमतें बढ़ेंगी; भारत पर 50% टैरिफ

वॉशिंगटन डी सी: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका ने चीन पर कोई प्रतिबंध इसलिए नहीं लगाया क्योंकि चीन रूस से खरीदे गए तेल को रिफाइन करके ग्लोबल मार्केट में बेचता है।

फॉक्स को दिए इंटरव्यू में रुबियो ने कहा, ‘चीन पर प्रतिबंध लगाने से दुनिया में तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं।’

उन्होंने कहा, ‘अगर आप उस तेल को देखें जो चीन जा रहा है और रिफाइन किया जा रहा है, तो उसमें से बहुत कुछ वापस यूरोप में बेचा जा रहा है। यूरोप अभी भी प्राकृतिक गैस रूस से खरीद रहा है।’ ये देश चीन पर प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं।

वहीं, अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। जो 27 अगस्त से लागू होगा, इससे भारत पर कुल 50% टैरिफ हो जाएगा।

रुबियो बोले- यूरोपीय देश चीन पर प्रतिबंधों को लेकर चिंतित

रुबियो ने कहा कि यूरोपीय देश चीन के माध्यम से रूस का तेल खरीदते हैं। ये देश चीन पर प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, ‘जब सीनेट में चीन और भारत पर 100% टैरिफ का प्रस्ताव आया, तो कई यूरोपीय देशों ने इस पर चिंता जताई।’

जब पूछा गया कि क्या यूरोप पर रूस से तेल और गैस खरीदने के लिए प्रतिबंध लगाए जाएंगे, तो रुबियो ने कहा, ‘मैं यूरोप पर सीधे प्रतिबंध की बात नहीं कर रहा, लेकिन सेकेण्डरी सेंक्शन का असर हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि यूरोप के साथ टकराव की बजाय, वे इस मामले में पहले बात करेंगे।

रूस का 47% क्रूड खरीद रहा चीन

रूस से क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा खरीदार चीन है। दिसंबर 2022 से जून 2025 तक रूस के कुल क्रूड निर्यात का 47% हिस्सा चीन को गया।

वहीं, भारत ने 38%, यूरोपीय यूनियन और तुर्किये ने 6%-6% क्रूड ऑयल रूस से आयात किया। अमेरिका ने भी रूस से 2024 में 3 अरब डॉलर का सामान आयात किया था।

जबकि इस साल के शुरुआती पांच महीनों में ही अमेरिका रूस से 2.09 अरब डॉलर का आयात कर चुका है। यह पिछले साल इसी अवधि से 24% ज्यादा है। इस साल यह आंकड़ा 4 अरब डॉलर पहुंच सकता है।

EU ने 2024 में रूस से करीब 72.9 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार किया। वहीं, 2023 में सेवाओं का व्यापार 18.6 अरब डॉलर रहा। यह भारत के उस वर्ष या उसके बाद रूस से कुल व्यापार से कहीं अधिक है।

ईयू ने 2024 में रूस से 1.65 करोड़ टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आयात किया, जो 2022 के 1.521 करोड़ टन के रिकॉर्ड को पार कर गई। रूस से यूरोप उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात और मशीनरी का भी व्यापार करता है।

चीन की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी सिनोपेक। ये दुनिया की सबसे बड़ी तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल कंपनियों में से एक है।

चीन की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी सिनोपेक। ये दुनिया की सबसे बड़ी तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल कंपनियों में से एक है।

चीन रिफाइनिंग क्षमता में आगे

चीन दुनिया का सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और रिफाइनिंग क्षमता वाला देश है। 2023 में इसकी वार्षिक रिफाइनिंग क्षमता 936 मिलियन टन (लगभग 18.7 मिलियन बैरल प्रति दिन) थी, जो वैश्विक स्तर पर पहले स्थान पर है।

जून 2025 में रिफाइनिंग उत्पादन बढ़कर 15.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गया, जो सितंबर 2023 के बाद सबसे अधिक है। चीन रूस, सऊदी अरब, इराक, ओमान और मलेशिया से सबसे अधिक कच्चा तेल आयात करता है। रूसी तेल को रिफाइन कर चीन इसे वैश्विक बाजार, खासकर यूरोप में बेचता है।

ट्रम्प ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत पर 6 अगस्त को 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। यह आदेश 27 अगस्त से लागू होगा।

एग्जीक्यूटिव ऑर्डर में कहा गया है कि रूसी तेल खरीद की वजह से भारत पर यह एक्शन लिया गया है। इससे पहले उन्होंने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान किया था। अब भारत पर कुल 50% टैरिफ लगेगा।

डेयरी प्रोडक्ट्स को लेकर भारत-अमेरिका के बीच विवाद

अमेरिका चाहता है कि उसके डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, घी को भारत में आयात की अनुमति मिले। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस सेक्टर में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं।

भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आएंगे, तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई हैं।

अमेरिका में गायों को बेहतर पोषण के लिए जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे रैनेट) को उनके खाने में मिलाया जाता है। भारत ऐसी गायों के दूध को ‘नॉन वेज मिल्क’ यानी मांसाहारी दूध मानता है।

भारत-पाकिस्तान सीजफायर दावे को दोहराया

इंटरव्यू में रुबियो ने भारत-पाकिस्तान संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास ऐसा राष्ट्रपति है, जिसने शांति को अपनी प्राथमिकता बनाया है।

हमने इसे कंबोडिया-थाईलैंड और भारत-पाकिस्तान के संघर्ष के दौरान देखा है। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर दावा किया है।

इससे पहले ट्रम्प कई बार इस तरह का दावा कर चुके हैं। जिससे भारत ने हमेशा इनकार किया है।



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