वॉशिंगटन डीसी: अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने शुक्रवार को बताया कि उसने सैनिकों की सैलरी के लिए 130 मिलियन डॉलर (लगभग 1,100 करोड़ रुपए) का एक सीक्रेट डोनेशन स्वीकार किया है।
यह डोनेशन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक अनजान ‘दोस्त’ ने दिया है, ताकि सरकारी शटडाउन के दौरान सैनिकों को तनख्वाह मिल सके। हालांकि इस डोनेशन से कई सवाल खड़े हो गए हैं।
ट्रम्प ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में इस डोनेशन की बात बताई और दानदाता को देशभक्त कहा। उन्होंने दानदाता का नाम नहीं बताया, क्योंकि वह अपनी पहचान छुपाना चाहता है।
अमेरिका में 1 अक्टूबर से शुरू हुए सरकारी शटडाउन को 25 दिन हो गए हैं। अमेरिका के दोनों प्रमुख दल डेमोक्रेट और रिपब्लिकन में ओबामा हेल्थ केयर सब्सिडी प्रोग्राम को लेकर ठनी हुई गई है।
डेमोक्रेट्स चाहते थे कि हेल्थ केयर (स्वास्थ्य बीमा) की सब्सिडी बढ़ाई जाए। रिपब्लिकन को डर है कि अगर सब्सिडी बढ़ाई गई तो सरकार को खर्च करने के लिए और पैसे की जरूरत पड़ेगी, जिससे बाकी सरकारी काम प्रभावित होंगे।
पैसा सैनिकों के वेतन और अन्य सुविधा के लिए इस्तेमाल होगा
पेंटागन के प्रवक्ता शॉन पार्नेल ने कहा कि यह पैसा सैनिकों के वेतन और अन्य सुविधाओं के लिए इस्तेमाल होगा। उन्होंने डेमोक्रेट्स पर सैनिकों का वेतन रोकने का इल्जाम भी लगाया।
हालांकि, यह 130 मिलियन डॉलर सैनिकों के वेतन के लिए जरूरी अरबों रुपए की तुलना में बहुत कम है। पिछले हफ्ते ट्रम्प सरकार ने 6.5 अरब डॉलर का इंतजाम करके सैनिकों को तनख्वाह दी थी।
अब अगली तनख्वाह कुछ ही दिनों में देनी है, और यह साफ नहीं है कि सरकार फिर से पैसे का इंतजाम कैसे करेगी। सैनिकों का वेतन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
पिछले हफ्ते सरकार ने मिलिट्री रिसर्च के लिए रखे 8 अरब डॉलर में से कुछ पैसा सैलरी के लिए इस्तेमाल किया था। लेकिन अगले हफ्ते फिर से ऐसा करना मुश्किल हो सकता है।
डोनेशन के नियमों और पारदर्शिता पर सवाल
पार्टनरशिप फॉर पब्लिक सर्विस के प्रमुख मैक्स स्टायर ने इस डोनेशन को “अजीब” बताया और कहा कि यह सैनिकों के वेतन को निजी डोनेशन से देना सही नहीं लगता। उन्होंने इसे ‘किसी के बार बिल चुकाने’ जैसा बताया। उन्होंने इस डोनेशन के नियमों और पारदर्शिता पर सवाल उठाए।
पेंटागन के नियम कहते हैं कि 10,000 डॉलर से ज्यादा का डोनेशन लेने से पहले यह जांचना जरूरी है कि दानदाता का रक्षा मंत्रालय से कोई गलत संबंध तो नहीं है। लेकिन अभी तक दानदाता का नाम और इस डोनेशन की पूरी जानकारी सामने नहीं आई है।
शटडाउन का सबसे बुरा असर हवाई क्षेत्र पर
CNN के मुताबिक शटडाउन का सबसे बुरा असर एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों पर पड़ रहा है। इन्हें जरूरी कर्मचारी माना जाता है, इसलिए 1 अक्टूबर को शटडाउन शुरू होने के बावजूद उन्हें लगातार काम करना पड़ रहा है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है।
वेतन रुकने के कारण हजारों कंट्रोलर अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्थिति इतनी खराब है कि कई कंट्रोलर अपनी नियमित शिफ्ट खत्म करने के बाद दूसरी नौकरी करने को मजबूर हैं। वे गुजारा करने के लिए Uber चला रहे हैं, खाना डिलीवर कर रहे हैं, या रेस्टोरेंट में काम कर रहे हैं।
25 दिन के शटडाउन का असर
- कर्मचारियों पर: करीब 7.5 लाख सरकारी कर्मचारी बिना सैलरी के छुट्टी पर हैं। सेना, पुलिस, बॉर्डर सिक्योरिटी और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर जैसे जरूरी कर्मचारियों को बिना सैलरी काम करना पड़ रहा है।
- हवाई यात्रा और फूड प्रोग्राम: उड़ानें देरी से चल रही हैं और लोअर इनकम वाले परिवारों को फूड सहायता न मिलने का खतरा बढ़ रहा है।
- टूरिज्म पर असर: स्मिथसोनियन म्यूजियम बंद हैं। ट्रम्प ने कहा कि इन्हें शायद खोल देना चाहिए।
- एटमी हथियार एजेंसी: नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एजेंसी ने 1,400 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा है। एनर्जी सेक्रेटरी क्रिस राइट ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है, इससे परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
अमेरिका में शटडाउन के चर्चित मामले
- 2013 में अमेरिका के साथ 8,891 किमी लंबी कनाडा सीमा की देखभाल करने वाला सिर्फ 1 शख्स था। उस पर ही पूरे बॉर्डर इलाके की साफ-सफाई की जिम्मेदारी थी। बाकी सारे कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था।
- अमेरिका के सवा लाख सैनिक (ज्यादातर पहले और दूसरे विश्वयुद्ध) दूसरे देशों में मारे गए हैं। ये दुनियाभर के 24 कब्रिस्तानों में दफन हैं। इनमें से 20 यूरोप में हैं। इनकी देखभाल का खर्च अमेरिकी सरकार उठाती है। 2013 में शटडाउन होने पर ये सारे कब्रिस्तान बंद कर दिए गए थे।
- 2018 के शटडाउन में वेतन नहीं मिलने की वजह से कई कर्मचारी एयरपोर्ट पर काम करने नहीं जा रहे थे जिस वजह से कई उड़ानें रद्द कर दी गईं।
- 2018 के शटडाउन में FBI डायरेक्टर ने चेतावनी दी कि उनके पास पैसे खत्म हो चुके हैं, जिस वजह से उनके काम में दिक्कतें आ रही हैं।

(Bureau Chief, Korba)



