Sunday, June 22, 2025
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टॉप-10 कंपनियों में 4 की वैल्यू ₹1 लाख करोड़ बढ़ी, रिलायंस का मार्केट कैप सबसे ज्यादा ₹30,786 करोड़ बढ़ा, TCS का ₹28,510 करोड़ कम हुआ

मुंबई: मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 4 की वैल्यू बीते हफ्ते में 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ी है। इस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज गेनर रही। कंपनी का मार्केट कैप 30,786 करोड़ रुपए बढ़कर 19.53 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

HDFC बैंक की वैल्यू 26,668 करोड़, बजाज फाइनेंस की ₹12,322 करोड़ और ICICI बैंक की ₹9,790 करोड़ बढ़ी है। इधर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की वैल्यू 28,510 करोड़ रुपए कम होकर 12.24 लाख करोड़ रुपए पर आ गई है।

पिछले हफ्ते बाजार में तेजी रही थी

RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के ब्याज दरों में कटौती के बाद शेयर बाजार में आज यानी 6 जून को तेजी रही। सेंसेक्स 746 अंक की बढ़त के साथ 82,188 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में भी 252 अंक की बढ़त रही। ये 25,003 पर बंद हुआ।

आज के कारोबार में बैंकिंग, फाइनेंस, ऑटो और मेटल शेयर्स में आज ज्यादा बढ़त रही। श्रीराम फाइनेंस का शेयर 5.46% और बजाज फाइनेंस का शेयर 4.90% चढ़कर बंद हुआ। वहीं JSW स्टील के शेयर में 3.56% की तेजी रही।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझें…

मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।

कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…

मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ती है?

  • शेयर की कीमत- बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती है।
  • मजबूत वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी की कमाई, रेवेन्यू, मुनाफा जैसी चीजों में बढ़ोतरी निवेशकों को अट्रैक्ट करती है।
  • पॉजिटीव न्यूज या इवेंट- प्रोडक्ट लॉन्च, अधिग्रहण, नया कॉन्ट्रैक्ट या रेगुलेटरी अप्रूवल से शेयरों की डिमांड बढ़ती है।
  • मार्केट सेंटिमेंट- बुलिश मार्केट ट्रेंड या सेक्टर स्पेसिफिक उम्मीद जैसे IT सेक्टर में तेजी का अनुमान निवेशकों के आकर्षित करता है।
  • हाई प्राइस पर शेयर जारी करना: यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है।

मार्केट वैल्यू कैसे घटती है?

  • शेयर प्राइस में गिरावट- मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है।
  • खराब नतीजे- किसी वित्त वर्ष या तिमाही में कमाई-रेवेन्यू घटने, कर्ज बढ़ने या घाटा होने से निवेशक शेयर बेचते हैं।
  • नेगेटिव न्यूज- स्कैंडल, कानूनी कार्रवाई, प्रोडक्ट फेल्योर या लीडरशिप से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर निवेश को कम करता है।
  • इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट- मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बेयरिश यानी नीचे जाता मार्केट शेयरों को गिरा सकता है।
  • शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग: यदि कोई कंपनी शेयरों को वापस खरीदती है या प्राइवेट हो जाती है, तो आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है।
  • इंडस्ट्री चैलेंज: रेगुलेटरी चेंज, टेक्नोलॉजिकल डिसरप्शन या किसी सेक्टर की घटती डिमांड के चलते शेयरों की मांग घटती है।

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

  • मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
  • किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
  • कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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