Friday, April 26, 2024
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BCC News 24: CG न्यूज़- जम्मू-कश्मीर में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूर.. ईंट भट्ठे में कर रहे हैं बंधुआ मजदूरी, वापस बुलाने की सरकार से लगाई गुहार, VIDEO बनाकर भेजा

छत्तीसगढ़: जांजगीर-चांपा जिले के 20 परिवार जम्मू-कश्मीर में बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर हैं। बडगाम जिले चडूरा थाना क्षेत्र के मगरेपुरा गांव में ये सभी ईंट भट्ठे में काम कर रहे हैं, जहां के मालिक ने उन्हें बंधक बना लिया है। इन्होंने वीडियो बनाकर जांजगीर-चांपा जिले में स्थित अपने परिवार और प्रशासन को भेजा है और इन सबको वहां से निकालने की अपील की है।

इन 21 परिवारों में 40 बच्चे और 50 महिला-पुरुष शामिल हैं, जो इलाके के ईंट भट्ठे (मार्का 191) में बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं। 20 के अलावा एक परिवार बलौदाबाजार जिले का भी है, जिन्होंने रेस्क्यू करने की अपील की है। नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर ने 9 सितम्बर 2022 को बडगाम जिले के डिप्टी कमिश्नर से इस बात की शिकायत की थी, जिसके बाद डिप्टी कमिश्नर ने जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया, लेकिन 3-4 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक जम्मू-कश्मीर से मजदूरों को रिहा नहीं कराया जा सका है।

ईंट भट्ठे का मालिक जबरदस्ती करवा रहा है मजदूरी।

ईंट भट्ठे का मालिक जबरदस्ती करवा रहा है मजदूरी।

जांजगीर-चांपा कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा को भी 9 सितंबर 2022 को शिकायत पत्र ईमेल के माध्यम से भेजा गया, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। बंधुआ मजदूर मायावती ने बताया कि हम सभी अनुसूचित जाति के मजदूर हैं और हमें मई 2022 में बड़गाम जिले में लाया गया। यहां हमें 10,000 रुपए एडवांस देकर फंसा लिया गया। हरेक परिवार के मजदूरों यहां तक कि उनके बच्चों ने भी दिनरात काम करके कर्ज उतार दिया, लेकिन अब ईंट भट्ठे का मालिक उनसे 10,000 की एवज में सालभर काम करवाना चाहता है।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

मजदूरों ने वीडियो में बता है कि वे लगातार ईंट बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उनका हिसाब नहीं बताया जा रहा है। उन्हें उनका वेतन भी नहीं मिल रहा। एक मजदूर ने बताया कि उसने 90 हजार ईंट बनाई, जिसकी कीमत 81,000 रुपए हुई और उसे 4 महीने में केवल 15 हजार रुपए खर्च करने के लिए मिला, बाकी का पैसा मालिक ने उन्हें नहीं दिया। इसलिए वो अब अपने परिवार सहित छत्तीसगढ़ जाना चाहता है।

वहीं एक मजदूर सरस्वती देवी बंजारे ने बताया कि वो गर्भवती है, इसलिए लगातार जांच और इलाज के लिए हॉस्पिटल जाना पड़ता है। लेकिन अब पैसे नहीं होने के कारण वो अस्वताल नहीं जा पा रही है। उससे ईंट भट्ठे में जबरदस्ती काम करवाया जा रहा है। 15 साल के नाबालिग ने बताया कि उसने अपने परिवार के साथ मिलकर 1 लाख 30 हजार ईंट बनाई, क्योंकि खर्च के रूप में उनके परिवार को 15 हजार रुपए एडवांस में दिए गए थे। उसने बताया कि उन लोगों ने काम करके वो कर्ज उतार दिया, फिर भी पिछले 4 महीने में उन्हें केवल 25 हजार रुपए ही वेतन के रूप में दिए गए।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

अब इनके परिवार का 1 लाख 17 हजार रुपए बकाया है, लेकिन मालिक पैसा नहीं दे रहा, ऊपर से जान से मारने की धमकी दे रहा है। वो वापस छत्तीसगढ़ लौटना चाहता है, लेकिन ठेकेदार और मालिक वहां से जाने नहीं दे रहा। एक और मजदूर कार्तिक राम की मजदूरी 1,32,000 रुपए बनता है, लेकिन मालिक पैसा देने से मना कर रहा है। एक अन्य मजदूर सुरेश गीतावारे ने बताया कि हमारी महिला मजदूरों के साथ छेड़छाड़ भी हो रही है, हमने पुलिस को भी बुलाया, लेकिन मामला रफादफा हो गया। पुलिस उल्टा पीड़िता को धमकाकर चली गई।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर के कन्वीनर निर्मल गोराना ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मजदूरों को अंतर्राजीय प्रवासी मजदूर कानून 1979 के तहत दोनों ही राज्यों में से कहीं पर भी पंजीकृत नहीं किया गया। मजदूरों को एडवांस देकर फंसाया गया और अब उसे उतारने के नाम पर उनसे जबरदस्ती काम करवाया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

छत्तीसगढ़ के 21 परिवार बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर।

मजदूरों के मूवमेंट एवं एम्प्लॉयमेंट में स्वतंत्रता नहीं होने के कारण यह बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 एवं संविधान के आर्टिकल 23 के सीधे उल्लंघन का मामला बनता है। इसके अलावा ईंट भट्ठे का मालिक और ठेकेदार बच्चों से भी काम ले रहा है। उन्होंने कहा कि साथ ही महिलाओं के साथ लैंगिक अपराध और अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अत्याचार का मामला भी बनता है। संयोजक निर्मल गोराना ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार तत्काल इस मामले में संज्ञान लेकर एक टीम गठित कर उसे जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में भेजे और बंधुआ मजदूरों को मुक्त करवाए।

इधर जांजगीर-चांपा के श्रम अधिकारी घनश्याम पाणिग्रही ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में फंसे 40 से 45 मजदूरों को वापस लाने की तैयारी की जा रही है। जो लोग रुकना चाहते हैं, वह अपने मन से रुक रहे हैं। यहां से इन्हें कौन ले गया, मजदूर उसका नाम नहीं बता पा रहे।

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