Australia/Canberra: ऑस्ट्रेलिया की संसद में इस हफ्ते कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए एक नया बिल लाया जा रहा है। इसके तहत ड्यूटी खत्म होने के बाद कर्मचारी को बॉस की कॉल अटैंड करना जरूरी नहीं होगा। इसके अलावा, कर्मचारी को ड्यूटी के बाद ऑफिस का कोई काम नहीं कराया जा सकेगा।
बिल के ड्राफ्ट के मुताबिक- अगर कोई अधिकारी अपने कर्मचारी को ड्यूटी खत्म होने के बाद किसी भी तरह का काम करने लिए मजबूर करता है या दबाव डालता है तो उसे तगड़ा हर्जाना देना होगा।
इस बिल का पास होकर कानून बनना तय है। इसकी वजह है कि सरकार के अलावा विपक्ष भी इस बिल का पूरा समर्थन कर रहा है।
ऑस्ट्रेलिया के सोशल एक्टिविस्ट और कर्मचारी संगठन लंबे वक्त से मांग कर रहे थे कि देश में वर्किंग कल्चर को सुधारा जाए। (प्रतीकात्मक)
क्यों जरूरत महसूस हुई
- ऑस्ट्रेलिया के सोशल एक्टिविस्ट और कर्मचारी संगठन लंबे वक्त से मांग कर रहे थे कि देश में वर्किंग कल्चर को सुधारा जाए। इसके अलावा यह मांग भी लगातार उठ रही थी कि देश में बॉस कल्चर को सुधारकर वर्क-लाइफ बैलेंस किया जाए। इसके बाद एम्प्लॉटमेंट मिनिस्टर टोनी बर्की ने इस बिल का ड्राफ्ट तैयार किया और अब इसी हफ्ते यह पार्लियामेंट में पेश किया जाएगा।
- बिल के मुताबिक- अब किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वाजिब वजह के उसका बॉस ड्यूटी के बाद फोन भी नहीं कर सकेगा। उसे किसी ईमेल का रिप्लाई या डॉक्यूमेंट फाइल को भी अपडेट करने के लिए भी नहीं कहा जा सकेगा। अगर कोई एम्पलॉई बॉस के खिलाफ शिकायत करता है तो जांच के बाद उस बॉस पर कार्रवाई होगी। उससे तगड़ा हर्जाना वसूल किया जाएगा। हर्जाने की रकम एक पैनल तय करेगा।
- एम्प्लॉयमेंट मिनिस्टर टोनी बर्के ने कहा- यह बहुत खुशी की बात है कि इस बिल का समर्थन सभी सांसद कर रहे हैं। सभी चाहते हैं कि वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए सख्त कानून की जरूरत है। हम यही करने जा रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई सांसदों का कहना है कि कई बॉस काम पूरा होने के बाद भी बिना किसी वजह कर्मचारियों को परेशान करते हैं। (प्रतीकात्मक)
विपक्ष ने कहा- यह बिल वक्त की जरूरत
- एंदोलू न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक-विपक्षी नेता एडम बेंट पहले ही कह चुके हैं कि वो इस बिल का समर्थन करेंगे, क्योंकि यह वक्त की जरूरत है। वो इसलिए क्योंकि हम लगातार ये शिकायतें सुनते हैं कि कई बॉस काम पूरा होने के बाद भी बिना किसी वजह कर्मचारियों को परेशान करते हैं।
- बेंट ने आगे कहा- इस कानून के आने के बाद आप घर आते हैं या कहीं और जाते हैं, तो आपको बाॅस का फोन उठाने की जरूरत नहीं है। कोई डॉक फाइल एडिट नहीं करनी होगी और न किसी ईमेल का जवाब देना होगा। छुट्टी का मतलब सिर्फ छुट्टी होगा। अगर आपकी ड्यूटी पूरी हो गई है तो और घड़ी ने इसका इशारा कर दिया है तो कोई आपको काम के लिए मजबूर नहीं कर सकेगा। कोई दबाव नहीं डाल सकेगा। आप उसे आराम से इग्नोर कीजिए।
- बेंट ने कहा- कोई बॉस आपको 24/7 काम के लिए परेशान नहीं कर सकेगा। वैसे भी ड्यूटी के बाद आपसे जो काम कराया जाता है, उसके लिए आपको कोई पेमेंट नहीं किया जाता। हम जानते हैं कि ड्यूटी के बाद काम करने से टेंशन पैदा होता है, हेल्थ खराब होती है और रिश्ते भी बिगड़ते हैं।
सांसद बारबरा पोकोक ने कहा- हम इस बिल को ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ कह सकते हैं। इसका मतलब है कि बिना पैसे के ओवरटाइम नहीं कराया जा सकता। (प्रतीकात्मक)
20 देशों में पहले ही कानून
- बेंट ने आखिर में कहा- हम बहुत देर बाद यह कानून ला रहे हैं। फ्रांस के अलावा 20 देशों में यह कानून कई साल पहले ही बन चुका है। देर से ही सही हम अब इसे अमल में लाएंगे। क्या आप जानते हैं कि हर साल ऑस्ट्रेलियाई कर्मचारी 6 हफ्ते ओवरटाइम करते हैं और इसके लिए उन्हें कंपनी की तरफ से कोई पेमेंट नहीं किया जाता। इसलिए मैं कहता हूं कि आपका वक्त सिर्फ आपका है, आपके बॉस का उस पर कोई हक नहीं।
- प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने कहा- देश की कंपनियों और सरकारी विभागों को कानून का पालन करना होगा। अगर कंपनियां किसी कर्मचारी को 24 घंटे का पैसा नहीं देतीं तो उससे इतने घंटे काम भी नहीं ले सकतीं।
- एक सांसद बारबरा पोकोक ने कहा- हम इस बिल को ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ कह सकते हैं। इसका मतलब है कि बिना पैसे के ओवरटाइम नहीं कराया जा सकता। वर्क और लाइफ में बैलेंस बनाना इस बिल का मकसद है। कर्मचारी इस तरह के मामलों में शिकायत ‘फेयर वर्क कमीशन’ के पास कर सकेंगे।
(Bureau Chief, Korba)