Sunday, May 5, 2024
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ई-पंचायतों का हाल: जहां ढेरों पुरस्कार मिले वहां न तो नेट कनेक्शन न ही कंप्यूटर…

छतौना की बंद ग्राम पंचायत। - Dainik Bhaskar

छतौना की बंद ग्राम पंचायत।

  • प्रशासन अब तक मूलभूत चीजें भी मुहैया नहीं करा पाया

रायपुर/ दो साल पहले पंचायतों को ई-नेटवर्क से जोड़कर सरकार ने दावा किया था कि प्रशासन इससे गांवों से जुड़ गया है। इसे लेकर दर्जनभर से ज्यादा सम्मान भी हासिल कर लिए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। राजधानी से लगे गांवों में ही पंचायतें ई नेटवर्क से कोसों दूर हैं, तो दूरस्थ इलाकों का हाल जाना जा सकता है। इन गांवों में ही पंचायत दफ्तरों में मैनुअली काम हो रहा है। वहां कंप्यूटर तो लगे हैं, लेकिन नेटवर्क नहीं है।

हालांकि ज्यादातर गांवों में 24 घंटे बिजली रहती है, फिर भी वाईफाई लगाने में देरी हो रही है। इस वजह से पंचायत कार्यालयों के अलावा च्वाइस सेंटर भी सूने पड़े हैं। इस मामले को लेकर भास्कर ने दरबा, कुरुद, निमोरा, मानिकचौरी, पिरदा, छेरीखेड़ी, सम्मानपुनकटी, छतौना आदि गांवों में पड़ताल की।

पंचायत सचिवों की हड़ताल की वजह से कार्यालयों में ताले लटके थे। राजधानी से लगे और नगर निगम में शामिल ग्राम जोरा से सटे होने की वजह से यहां नेटवर्क की दिक्कत नहीं है। सरपंच गेंदलाल हैं। उनका मानना है कि आपरेटर और वे मिलकर लंबित आवेदन निपटा देते हैं।

एक नजर में ग्राम पंचायत

  • 10971 ग्राम पंचायतें
  • 146 जनपद
  • 27 जिला पंचायत
  • इनमें 60 फीसदी महिलाएं निर्वाचित

कुछ प्रमुख पुरस्कार

  • वर्ष 2015 से अब तक छत्तीसगढ़ राज्य को ई-पंचायत में उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 2018-19 में तृतीय पुरस्कार एवं वर्ष 2019-20 में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ को केंद्रीय ई-पंचायत पुरस्कार
  • उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं को भारत सरकार द्वारा 11 पुरस्कार मिले।
  • जिला पंचायत कांकेर, जनपद पंचायत सोनहत और अभनपुर तथा बनचरोदा, सैदा, पोंडीडीह, तिलसिवा व केन्द्री ग्राम पंचायत को दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार मिला।
  • बनचरोदा ग्राम पंचायत को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा, कान्हाभैरा ग्राम पंचायत को बाल मित्र पंचायत तथा भिलाई को ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार।

निमोरा : पंचायत कार्यालय में ओपन जिम भी लगाया गया

यहां सरकारी अधिकारियों- कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने की वजह से शासन की निगाह रहती है। पंचायत कार्यालय में ओपन जिम भी लगाया गया है। जिसका ज्यादातर इस्तेमाल बच्चे करते हैं। सचिवों की हड़ताल के बावजूद यहां काम होने और लोगों के प्रमाणपत्र बनाकर देने का दावा किया गया। नेटवर्क का प्राब्लम नहीं है।

छतौना : कंप्यूटर है पर नेट नहीं

मंदिर हसौद से लगी ग्राम पंचायत है छतौना। ये ग्राम नकटा से अलग होकर बनी है। आबादी है करीब डेढ़ हजार। वोटर 1004 हैं। सरपंच सरोजनी जांगड़े हैं। नया रायपुर विकास प्राधिकरण में ये गांव आ जाने से काफी तकनीकी दिक्कतें होती हैं। गांव में बिजली तो रहती है। कंप्यूटर है, लेकिन नेटवर्क नहीं है। काम मैनुअली हो रहा है। कुछ दिन पहले नेट कनेक्टिविटी के लिए एक कंपनी वाले आए थे।

इसलिए उम्मीद है कि जल्द ऑनलाइन काम होने लगेगा। जाति प्रमाणपत्र की प्रारंभिक प्रक्रिया यहां से पूरी कर तहसील दफ्तरों को भेजी जाती है। सरपंच का दावा है कि आवेदनों पर वक्त पर काम होता है।

दरबा: सालभर से नेट का इंतजार

करीब 1400 की जनसंख्या वाले दरबा गांव के आसपास काफी कारखाने हैं। पंचायत भवन व्यवस्थित है। गांव में च्वाइस सेंटर भी है। पंचायत कार्यालय में नेट कनेक्टिविटी का सालभर से इंतजार है। पिछली बार दीवाली में ही लगाने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक कोई नहीं आया। यहां के सचिव जम्मालाल उरेना दरबा के साथ ही चीचा पंचायत के प्रभारी सचिव हैं।

हालांकि वे और सरपंच नियमित आते हैं। कंप्यूटर में ट्रेंड करने यहां कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। दावा किया गया कि सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने पर उसी दिन या एक-दो दिन में प्रमाण पत्र बना दिया जाता है।

पिछली सरकार का दावा गलत था, हम कनेक्टिविटी बढ़ा रहे हैं

जितना पिछली सरकार दावा करती रही वो स्थिति नहीं है। कई जगह तो टावर भी नहीं लगे हैं। इससे कारण भी कनेक्टिविटी की समस्या बनी हुई है। सबसे अधिक समस्या बस्तर में है, हम उनके अधूरे काम हम आगे बढ़ा रहे हैं। अभी भी कई पंचायतें हैं जिन्हें हम कनेक्टिविटी दे रहे हैं। जल्द ही काम पूरा कर लेंगे। 

टीएस. सिंहदेव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री

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