Friday, May 3, 2024
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एटीएम फ्रॉड:यू-ट्यूब से कार्ड का क्लोन बनाना सीखा, ऑनलाइन मंगवाई मशीन, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों के लोगों के खाते से निकाले लाखों रुपये…

गिरोह के कब्जे से जब्त 43 एटीएम कार्ड, लैपटॉप व स्कीमर।

  • ठग गिरोह के 3 सदस्य गिरफ्तार, सभी उत्तरप्रदेश के, 1.65 लाख रुपए कैश व 43 क्लोन्ड एटीएम कार्ड जब्त

कवर्धा/ छग समेत 5 राज्यों में लोगों के एटीएम कार्ड के क्लोन तैयार कर लाखों रुपए ठगी करने वाले गिरोह के 3 सदस्यों को लोहारा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सभी आरोपी उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं। आरोपियों के पास से 1.65 लाख रुपए कैश, 43 क्लोनिंग एटीएम कार्ड, लैपटॉप, स्कीमर डिवाइस और कार जब्त किया है। खास बात यह है कि यू-ट्यूब से एटीएम कार्ड का क्लोन बनाना सीख आरोपियों ने ऑनलाइन क्लोनिंग मशीन मंगवाई थी। आरोपी अमित पिता कुशल पाल (34) निवासी नतौता जिला सहारनपुर (उप्र), सोमपाल पिता भोपपाल जाटव (34) निवासी गंगौह जिला सहारनपुर (उप्र) और मोनू कुमार पिता पोपी सिंह रविदास (23) आलमगिरपुर जिला मुजफ्फरनगर (उप्र) का रहने वाला है। गिरोह के सदस्य एटीएम में मदद के बहाने लोगाें से ठगी करते थे। गिरोह के सदस्य उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में लोगों के एटीएम कार्ड बदलकर खाते से लाखों रुपए निकाल चुके हैं। छग के राजनांदगांव, गंडई, सहसपुर लोहारा समेत अन्य जगहों पर 6 से अधिक वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।

आरोपी ठगी कर भाग रहे थे, तेलीटोला में पकड़ाए
सहसपुर लोहारा थाने के टीआई अनिल शर्मा ने बताया कि मोहगांव का एक किसान सोमवार को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सिल्हाटी के एटीएम से पैसा निकालने गया था। एटीएम में पहले से मौजूद इन आरोपियों ने उसे मदद का झांसा दिया। उसके कार्ड को स्कैन कर खाते से 16,500 रुपए निकालकर कार में फरार हाे गए। पीड़ित ने जानकारी तुरंत थाने में दी। तेलीटोला में नाकेबंदी कर गिराेह के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।

मदद के बहाने कार्ड लेकर डाटा काॅपी कर लेते थे
एटीएम ठग गिरोह के पास से सफेद रंग की मारुती सुजुकी स्विफ्ट कार क्रमांक- एच 60 डी 0101 जब्त की गई है। पूछताछ में पता चला कि गिरोह के सदस्य कार में निकलते के बाद रूट में पड़ने वाले सुनसान या उपयुक्त एटीएम में लोगों को मदद के बहाने उनका एटीएम कार्ड लेकर डाटा मशीन के जरिए चोरी से कॉपी कर लेते। फिर मशीन में डमी एटीएम डालकर क्लोन तैयार करके लोगों के खाते से पैसा निकाल लेते थे।

गिरोह के तीनों सदस्यों का काम बंटा था, जानिए किसकी क्या भूमिका
अमित पाल: एटीएम में मदद का झांसा देना।

8वीं पास आरोपी अमित पाल गिरोह का मास्टरमाइंड है। गिरोह के तीनों सदस्य एटीएम में जाते थे। अमित लोगों को मदद का झांसा देकर उनका एटीएम लेता था और बड़ी सफाई से गिरोह के दूसरे सदस्य मोनू को पकड़ा देता।

मोनू कुमार: एटीएम कार्ड को स्वैप कर स्ट्रिप की डाटा कॉपी करना।
5वीं पास आरोपी माेनू कुमार का एटीएम कार्ड को स्वैप कर स्ट्रिप की डाटा कॉपी करता है। फिर वही शातिर तरीके से संबंधित व्यक्ति द्वारा एटीएम का पासवर्ड देखकर उसे मोबाइल में नोट कर लेता था।

सोमपाल जाटव: लैपटाप की मदद से क्लोन एटीएम तैयार करना।
12वीं पास आरोपी सोमपाल कंप्यूटर मास्टरमाइंड है। कार्ड रीडर से लिए गए स्ट्रिप की डाटा को लैपटॉप में स्टोर करता है। फिर क्लोन एटीएम कार्ड तैयार कर खाते से पैसा निकालता है।

जानिए, इस तरह देते थे वारदात को अंजाम
एसपी शलभ कुमार सिन्हा ने क्लोनिंग कर डुप्लीकेट एटीएम कार्ड बनाने का डेमो दिखाया। बताया कि मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले एटीएम या डेबिट कार्ड के पीछे की ओर मैग्नेटिक (काली पट्टी) होती है। गिरोह छोटे से कार्ड रीडर में एटीएम कार्ड को स्वैप करके उक्त स्ट्रिप की डाटा कॉपी कर लेते हैं। फिर लैपटॉप में डाटा सेव करते हैं। आगे कार्ड राइटर में नया कार्ड लगाकर साॅफ्टवेयर के जरिए क्लोन एटीएम तैयार कर लेते हैं।

तीन साल रुड़की जेल में सजा काट चुके आरोपी
पूछताछ में पता चला कि एटीएम ठग गिरोह लंबे समय से धोखाधड़ी करते आ रहे हैं। ठगी के मामले में ये तीनों आरोपी रुड़की (उत्तराखंड) जेल में 3 साल की सजा काट चुके हैं। वहीं हरिद्वार (उप्र) के जेल में भी 2 साल तक बंद रहे। हाल ही में हरिद्वार के जेल से छूटे थे और छग में आकर ठगी की वारदातों को अंजाम देने में लग गए। आरोपी अलग-अलग स्थानों में सक्रिय रहकर मौके की तलाश में रहते थे और फिर ठगी करते थे।

एटीएम में ट्रांजेक्शन के दौरान रहें सतर्क : एसपी
एसपी शलभ कुमार सिन्हा ने आमजन से अपील कि है कि वे एटीएम में ट्रांजेक्शन के दौरान सतर्कता बरतें। रुपए नहीं निकलने पर अंजान लोगों की मदद न लें। पहले से किसी के एटीएम में होने पर ट्रांजेक्शन न करें। उसे बाहर जाने को कह दें या फिर हाथ या कुछ अन्य सामान का आड़ लेकर पासवर्ड डालें। एटीएम पर अच्छी तरह देख ले कि कोई अतिरिक्त डिवाइस न लगा हो। शंका होने पर पुलिस या बैंक को सूचना दें।

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