Friday, May 3, 2024
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दो साल की प्लानिंग के बाद धमाका: माड़ डिविजन की सेक्रटरी बनने के बाद से नक्सली अनिता बड़ा हमला करने की फिराक में थी, जवानों के साथ सुकमा से भिलाई को जोड़ने वाली सड़क भी थी नक्सलियों का निशाना..

नारायणपुर के धौड़ाई थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने धमाके में जवानों की बस को उड़ा दिया

  • पीएलजीए की 6 नंबर कंपनी के साथ मिलकर दिया वारदात को अंजाम
  • तीन बसों से जवान बेस कैंप पर लौटने के लिए निकले थे
  • धौड़ाई से नारायणपुर तक 43 किमी की सड़क बनाई जा रही है
  • ठीक एक साल पहले 21 मार्च 2020 को भी हुआ था हमला

जगदलपुर/ बस्तर संभाग से नक्सल पकड़ को कमजोर करने के साथ-साथ यहां के लोगों को भिलाई जैसे बड़े शहर से जोड़ने के लिए सुकमा जिले के मरईगुड़ा से भिलाई तक के मार्ग पर पुलिस कई पेंचों में काम कर रही है। मंगलवार को धौड़ाई थाना क्षेत्र में 5 जवान जिस धमाके में शहीद हुए हैं वो जगह इसी सड़क का हिस्सा है।

बता दें कि बारसूर के बाद आगे नारायणपुर के धौड़ाई तक काम जारी है। इस रास्ते में बारसूर और धौड़ाई के बीच बोदली गांव है जो बस्तर जिले में आता है। धौड़ाई से नारायणपुर और यहां से कांकेर के अंतागढ़ तक कुछ जगह काम बाकी है। बारसूर से धौड़ाई तक 35 किमी और धौड़ाई से नारायणपुर तक 43 किमी की सड़क का काम चल रहा है।

रायपुर भेजे गए ये घायल जवान : प्रधान आरक्षक नारायण नेताम, रमेश सोरी, आरक्षक उमेश सोरी, सकेन्द्र नेताम, सहायक आरक्षक प्रेमचंद, हेमचंद, हेमेश्वर पात्र।

एक साल दो दिन के बाद हमला
नक्सलियों ने ठीक एक साल दो दिन पहले 21 मार्च 2020 की शाम को सुकमा के मिनपा के जंगलों में जवानों को घेरकर उन पर हमला किया था। इस में 17 जवान शहीद हो गए थे।

राज्यपाल अनुसुईया ने भी शोक व्यक्त किया
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने नारायणपुर के धौड़ाई और पल्लेनार के बीच हुए नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों के प्रति दुख व्यक्त किया है।

नक्सली कर रहे थे रेकी, पता था कि जवान ऑपरेशन के बाद बड़ी गाड़ी से लौटेंगे
नारायणपुर के कड़ेनार में हमले के बाद सूत्रों के अनुसार ब्लास्ट नक्सलियों के माड़ डिवीजन ने किया है। इसके लिए पीएलजीए की 6 नंबर कंपनी का सहारा लिया गया और बारूद बिछाने से लेकर ब्लास्ट करने तक में नक्सलियों के 6 नंबर की कंपनी के हार्डकोर सदस्य शामिल रहे। इस हमले की पूरी कहानी करीब दो साल पहले ही बुन ली गई थी।

अभी जो गोपनीय रिपोर्ट सामने आई है उसके अनुसार माड़ की कमान दो साल पहले अनिता मंडावी नामक नक्सली को दी गई थी। अनिता अपने लिबरेटेड जोन में एक बड़े नक्सली हमले को अंजाम देने की फिराक में थी और इसी हमले के लिए बारूद को भी पहले से जमीन में गाड़ दिया गया था। पुलिस सूत्रों का कहना था कि नक्सलियों को पहले से ही पता था कि डीआरजी जवान किसी बड़े ऑपेरशन के लिए गए हुए हैं और वापसी के दौरान थके हुए जवान किसी न किसी गाड़ी का सहारा लेंगे। ऐसे में नक्सली जवानों के लौटने का इंतजार कर रहे थे।

जानिए, नारायणपुर में धमाके से पहले क्या-क्या हुआ
रविवार रात 9 बजे – रात में निर्देश, सुबह ऑपरेशन

अफसरों ने करियामेट में ऑपरेशन की प्लानिंग जवानों को बताई और कहा गया कि सुबह ऑपरेशन पर जाना है।

सोमवार सुबह 6 बजे – जवान ऑपरेशन के लिए रवाना
सोमवार की सुबह छह बजे जवानों की अलग-अलग टुकड़ियों को बेस कैंप से ऑपरेशन के लिए उतारा गया।

मंगलवार दोपहर 2 बजे – तीन दिनों तक चला ऑपरेशन
रविवार से मंगलवार तक ऑपरेशन चला। फिर वापसी के लिए 3 बसों से दोपहर 2 बजे बेस कैंप के लिए निकले।

मंगलवार शाम 4.30 बजे – शाम 4.15 बजे के करीब विस्फोट
इसके बाद शाम 4.15 बजे से 4.30 बजे के करीब नक्सलियों ने कड़ेनार के पास विस्फोट कर दिया।

मंगलवार शाम 5.30 बजे – देश में हमले की जानकारी फैली
इधर शाम 5.30 बजे के करीब हमले की जानकारी पूरे देश को लगी। पांच जवानों के शहीद होने की पुष्टि हो गई।

3 बसों में थे जवान, पहली बनी निशाना
जवानों को कैंप तक लाने 3 बसों का उपयोग किया गया था। जिस बस को नक्सलियों ने उड़ाया है वह सबसे सामने चल रही थी। जैसे ही पहली बस पुल के पास पहुंची तो नक्सलियों ने इसे उड़ा दिया। पीछे की बसों में आ रहे जवानों ने ही रेस्क्यू किया ।

कच्ची सड़क पर घटी ब्लास्ट की तीव्रता
नक्सलियों ने करीब 40 किलो बारूद यहां दफन किया था। विस्फोट के लिए अमोनियम नाईट्रेड, जिलेटिन और डेटोनेटर का उपयोग किया गया। सड़क कच्ची थी ऐसे में धमाके का इम्पैक्ट वैसा नहीं हो पाया जैसा नक्सलियों ने सोचा था।

इस बार भी पुल पर विस्फोट क्योंकि यहां धीमी हो जाती है रफ्तार
जवानों की गाड़ियां उड़ाने के लिए नक्सली हमेशा ऐसी जगह पर आईईडी लगाते हैं जहां रफ्तार धीमी हो। विस्फोट करने सबसे आसान रास्ता पुल-पुलिया और घुमावदार सड़क होती है। अब तक जितने भी बड़े विस्फोट किए हैं वहां ऐसे ही मार्गों का उपयोग किया है।

  • मंगलवार को भी कन्हारगांव और कड़ेनार के बीच सड़क पर नक्सलियों ने डीआरजी जवानों से भरी बस को उड़ाने के लिए पुल के पहले ही विस्फोट किया।
  • इससे पहले भी नक्सली बीजापुर में जवानों से भरी मिनी बस को गुदमा और तुमला के बीच मौजूद नाले को चुना था और उनका निशाना सही बैठा था।
  • इससे पहले छत्तीसगढ़ के बड़े हमलों में से एक झीरम हमले में भी नक्सलियों ने घाट को चुना था।

टीसीओसी में अब तक के बड़े हमले

  • 6 अप्रैल 2010 ताड़मेटला में सीआरपीएफ जवानों पर बड़ा हमला, 76 शहीद।
  • 25 मई 2013 झीरम घाटी हमला, 30 से ज्यादा कांग्रेसी और जवान शहीद।
  • 11 मार्च 2014 टाहाकवाड़ा में नक्सलियों का बड़ा हमला, इसमें 15 जवान शहीद।
  • 12 अप्रैल 2014 दरभा में एंबुलेंस उड़ाई, 5 जवान समेत पायलट व ईएमटी की मौत {21 मार्च 2020 को सुकमा के मिनपा में घात लगाकर हमला, 17 जवान शहीद।
  • 6 मई 2017 को सुकमा के कसालपाड़ में नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। 14 जवान शहीद हुए थे।
  • 25 अप्रैल 2017 को सुकमा में बुर्कापाल सीआरपीएफ कैंप के पास नक्सलियों का हमला 32 सीआरपीएफ के जवान शहीद।
  • मार्च 2017 भेज्जी में सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया,11 जवान शहीद।
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