वन विभाग के मुताबिक लकड़ी की कीमत करोड़ों में है।
- रायपुर के मंदिर हसौद इलाके से बरामद की गई लकड़ी
रायपुर/रायपुर शहर से हिमाचल प्रदेश ले जाई जा रही कीमती लकड़ी पुलिस ने पकड़ी है। वन विभाग के अफसरों के लापरवाही की वजह से ये तस्करी की जा रही थी। पुलिस ने ट्रक को रोका, छानबीन में पता चला कि ट्रक ड्राइवर ने अपनी गाड़ी में खैर लकड़ी लोड करके रखी है। इस लकड़ी से जुड़ा हुआ कोई भी दस्तावेज उसके पास नहीं था। पूछताछ में वो इस बात का जवाब भी नहीं दे सका कि उसे लकड़ी आखिर कहां से मिली थी। जांच करने पर पता चला कि ट्रक में करोड़ों रुपए की खैर लकड़ी लोड की हुई है और इसे सरसीवा इलाके से ले जाया जा रहा था।
पुलिस ने मामले की जांच अब वन विभाग को सौंप दी है। अंदेशा जताया जा रहा है कि बाहर के बड़े तस्कर इसके पीछे होंगे।
देश के किसी बड़े गिरोह का कारनामा
पुलिस ने फौरन इस बात की सूचना वन विभाग को दी। अब वन विभाग के लोग लकड़ी की तस्करी की छानबीन कर रहे हैं। मंदिर हसौद थाने से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस की टीम को एक इनपुट गुरुवार देर रात मिला था। पुलिस को पता चला था कि एक शख्स यह लकड़ी लेकर हिमाचल प्रदेश की ओर भाग रहा था। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की। ट्रक ड्राइवर अपना नाम कृष्ण सिंह बताया है। जो पंजाब के पटियाला का रहने वाला है। अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि ट्रक में लोड की गई है लकड़ी लगभग 2 करोड रुपए के आसपास की थी। हालांकि इसके सही दाम का अनुमान वन विभाग लगा रहा है, ट्रक से पुलिस को 1310 लकड़ी के बड़े तने मिले हैं। 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल इसका बाजार में दाम है।
तस्वीर लकड़ी लेकर जा रहे ट्रक ड्राइवर की है। कृष्ण नाम के इस शख्स से वन विभाग की टीम पूछताछ कर रही है।
जानिए खैर लकड़ी क्यों है इतनी बेशकीमती
वन विभाग ने इसे दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में रखा है। इस पेड़ का इस्तेमाल औषधि बनाने से लेकर पान और पान मसाला में इस्तेमाल होने वाले कत्था, चमड़ा उद्योग में इसे चमकाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल डायरिया, पाइल्स जैसे रोग ठीक करने में होता है। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हरयाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ खैर तस्करी के प्रमुख केंद्र बन रहे हैं। खैर का एक वयस्क पेड़ से 5 से 7 लाख रुपए तक का फायदा होता है।